">Rajasthan 9 Districts Ends: राजस्थान में 9 नए जिलों को खत्म करने पर अशोक गहलोत ने जताया विरोध, बोले हमने DM, SP...
Rajasthan 9 Districts Ends: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए एक अदूरदर्शी और राजनीतिक प्रतिशोध के कारण लिए गए निर्णय की निंदा की है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल अनुचित है, बल्कि यह राजनीतिक विद्वेष का परिचायक भी है. गहलोत ने आगे कहा कि उनकी सरकार इस तरह के निर्णयों की निंदा करती है और लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
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Ashok Gehlot on 9 Districts Ends: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार द्वारा 9 नए जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के फैसले का विरोध किया है. उन्होंने एक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि यह निर्णय अविवेकशीलता और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है. गहलोत ने आगे कहा कि उनकी सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों को निरस्त करने का यह फैसला न केवल अनुचित है, बल्कि यह राजनीतिक विद्वेष का परिचायक भी है.
राजस्थान सरकार ने हाल ही में 19 नए जिलों और तीन अतिरिक्त मंडलों के गठन को मंजूरी दी है, जिससे राज्य में जिलों की कुल संख्या 33 से बढ़कर 50 हो जाएगी. यह निर्णय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति के प्रस्ताव के आधार पर लिया गया है, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक ढांचे में सुधार करना और सार्वजनिक सेवाओं की पहुंच बढ़ाना है. मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया, लेकिन प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ था. राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं.
हमारी सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों में से 9 जिलों को निरस्त करने का भाजपा सरकार का निर्णय अविवेकशीलता एवं केवल राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है।
हमारी सरकार के दौरान जिलों का पुनर्गठन करने के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को समिति बनाई गई…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 28, 2024
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भजनलाल सरकार द्वारा राजस्थान के प्रशासनिक ढांचे में किए गए बदलावों के बारे में जानकारी निम्नलिखित है.
- नए जिलों का समापन: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बनाए गए 19 नए जिलों में से 9 को समाप्त कर दिया गया है, जिससे राजस्थान में अब कुल 41 जिले होंगे.
- संभागों में परिवर्तन: सीकर, पाली और बांसवाड़ा को संभाग का दर्जा छीन लिया गया है, जिससे राजस्थान में अब कुल 7 संभाग रह गए हैं.
राजस्थान में नए जिलों के गठन से पहले, प्रत्येक जिले की औसत आबादी 35.42 लाख और क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था. इसकी तुलना में, त्रिपुरा राज्य का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा राज्य का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर और दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है. नए जिलों के गठन के बाद, जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख और क्षेत्रफल 5,268 वर्ग किलोमीटर हो गया है. छोटी प्रशासनिक इकाइयों के परिणामस्वरूप, शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है और सुविधाओं व योजनाओं की डिलीवरी में सुधार होता है. इसके अलावा, छोटी प्रशासनिक इकाइयों में जनता की समस्याओं का समाधान तेजी से होता है.
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भाजपा सरकार द्वारा जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया गया है, वह निर्णय अनुचित है. जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित किया जाता है, न कि केवल आबादी के आधार पर. हमारे पड़ोसी राज्यों में भी कई जिले हैं जिनकी आबादी कम है, लेकिन वे जिले के रूप में संचालित हो रहे हैं. उदाहरण के लिए, गुजरात के डांग, पोरबंदर और नर्बदा जिलों की आबादी क्रमशः 2 लाख 29 हजार, 5 लाख 85 हजार और 5 लाख 91 हजार है. इसी तरह, हरियाणा के पंचकुला और चरखी दादरी जिलों की आबादी लगभग 5 लाख 59 हजार और 5 लाख 1 हजार है. पंजाब के मलेरकोटला, बरनाला और फतेहगढ़ साहिब जिलों की आबादी लगभग 4 लाख 30 हजार, 5 लाख 96 हजार और 6 लाख है. इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि जिले का आकार केवल आबादी के आधार पर निर्धारित नहीं किया जा सकता है.
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राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार द्वारा 9 नए जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह फैसला अविवेकशीलता और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है. गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों को निरस्त करने का भाजपा सरकार का निर्णय अनुचित है. उन्होंने यह भी कहा कि छोटी प्रशासनिक इकाइयाँ शासन-प्रशासन की पहुंच को बेहतर बनाती हैं और सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित करती हैं.
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