सोनोग्राफी रिपोर्ट से गर्भवती महिला हैरान, एक की या दो बच्चों की करें तैयारी
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सोनोग्राफी रिपोर्ट से गर्भवती महिला हैरान, एक की या दो बच्चों की करें तैयारी

राजधानी जयपुर के चौमूं चिकित्सा नगरी बन चुकी है. शहर में छोटे-बड़े मिलाकर 30 से ज्यादा अस्पताल संचालित है. इतना ही नहीं गली-गली में सोनोग्राफी सेंटर, लेबोरेटरी खुली हुई है. 

गर्भवती महिला हैरान

Chomu: राजधानी जयपुर के चौमूं चिकित्सा नगरी बन चुकी है. शहर में छोटे-बड़े मिलाकर 30 से ज्यादा अस्पताल संचालित है. इतना ही नहीं गली-गली में सोनोग्राफी सेंटर, लेबोरेटरी खुली हुई है. 

जांच और सोनोग्राफी के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है. यह हम नहीं कह रहे एक सोनोग्राफी सेंटर पर हुई सोनोग्राफी की रिपोर्ट बता रही है. मरीजों के साथ जांच और सोनोग्राफी के नाम पर इतना बड़ा धोखा हो रहा है और चिकित्सा महकमे के जिम्मेदार लोगों की आंखें बंद है. 

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जांच रिपोर्ट के नाम पर खानापूर्ति करके मरीज को गलत रिपोर्ट दी जा रही है. आमतौर पर लेबोरेटरी की जांच रिपोर्ट के बाद ही चिकित्सक भी इलाज करता है, जब रिपोर्ट गलत होगी तो निश्चित मान लीजिए इलाज भी गलत होगा. डायग्नोस के बाद ही डॉक्टर प्रिसक्रिप्शन करता है.

दरअसल ऐसा ही एक मामला सामने आया है, चौप गांव निवासी गुड्डी देवी नाम की एक महिला मरीज ने गर्भवती होने के बाद चिकित्सक से इलाज लिया. चिकित्सक ने महिला मरीज को पहले सोनोग्राफी कराने के लिए सुझाव दिया. महिला ने सरकारी अस्पताल के पास 7 जुलाई को अपेक्स सोनोग्राफी सेंटर पर अपनी सोनोग्राफी करवाकर चिकित्सक को दिखाई. 

उस सोनोग्राफी रिपोर्ट में उसके गर्भ में करीब 7 माह का एक बच्चा होने की पुष्टि हुई. इस रिपोर्ट को देखने के बाद चिकित्सक ने महिला को दवाई लिख कर दे दी. 15 दिन बाद यानी 23 जुलाई को महिला फिर चिकित्सक के पास दिखाने के लिए पहुंची तो फिर से सोनोग्राफी के लिए सुझाव दिया जाता है. 

इस बार महिला ने शर्मा डायग्नोस्टिक सेंटर पर सोनोग्राफी करवाई. यह रिपोर्ट लेकर चिकित्सक के पास पहुंची तो चिकित्सक का माथा भी चकरा गया.
इस रिपोर्ट में दो बच्चे जुड़वा होने की पुष्टि हुई. इस तरह से चिकित्सक भी इस मामले को लेकर असमंजस में पड़ गए. आखिर किस रिपोर्ट को सच माना जाए. 

इस मामले में जब राधिका डायग्नोस्टिक सेंटर और अपेक्स सोनोग्राफी सेंटर चलाने वाले सुशील धाकड़ से बात की तो कहा सोनोग्राफी सोनोलॉजिस्ट डॉ RK मोदी ने की है. उनसे बात कीजिए. सोनोलॉजिस्ट डॉ RK ने मोदी ने कहा कि मुझे कंफ्यूज तो था पर भूल हो गई. अब सोचिए कि यह भूल इस प्रसूता पर कितनी भारी पड़ सकती थी. 

अगर समय रहते दूसरी सोनोग्राफी नहीं होती तो महिला और उसके परिजनों को इस बात का पता नहीं चलता कि उसके गर्भ में दो बच्चे पल रहे हैं. जब गांव में रहने वाली यह महिला गांव के किसी अस्पताल में प्रसव के लिए चली जाती है तो उसके साथ क्या होता. 

पूरे मामले को लेकर हमने गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ सीखा मील बराला से बातचीत की तो सीधे तौर पर कहा कि यह एक लापरवाही है और इसे मानवीय भूल भी कह सकते है. गर्भ में 1-2 महीने के बच्चे जब होते हैं तो इस तरह की रिपोर्ट आ सकती है लेकिन 7 महीने के दो बच्चे गर्भ में पल रहे हो तो इस तरह रिपोर्ट लापरवाही दर्शाती है. 

अब आप जरा सोचिए कि अपेक्स सोनोग्राफी सेंटर ने ना जाने ऐसी कितनी सोनोग्राफी की रिपोर्ट गलत पेश कर दी होगी, कितने मरीजों के साथ धोखा हुआ होगा. इस पूरे मामले को लेकर जयपुर प्रथम सीएमएचओ डॉ नरोत्तम वर्मा ने कहा कि इस तरह की शिकायत अगर हमें मिलती है तो निश्चित तौर पर लापरवाही बरतने वाले सोनोग्राफी सेंटर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 

इस पूरे खेल में एक और हैरतअंगेज बात सामने आती है. जब भी इस तरह के सोनोग्राफी सेंटरों पर कार्रवाई होती है तो यह इतने चतुर चालाक होते हैं कि वे सेंटर का नाम और सोनोलॉजिस्ट बदलकर नए नाम से सेंटर खोल लेते हैं और फिर से वे अपना खेल शुरू कर देते है.  

कुल मिलाकर 'तू डाल डाल मैं पात पात' वाली कहावत भी यहां चरितार्थ होती है. अब जरूरत इस बात की है कि ऐसे सोनोग्राफी सेंटर जो गलत रिपोर्ट देकर मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके खिलाफ चिकित्सा महकमा कड़ी कार्रवाई करें जिससे मरीज के साथ अन्याय नहीं हो.

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