कोटपुतली में चरमराई बिजली व्यवस्था, 33 केवी लाइन में फाल्ट, अंधेरे में डूबा शहर
Advertisement

कोटपुतली में चरमराई बिजली व्यवस्था, 33 केवी लाइन में फाल्ट, अंधेरे में डूबा शहर

बिजली नहीं आने के कारण पीने के पानी तक कि समस्या खड़ी हो गई है. यहां तक जानवरों के लिए पीने का पानी नहीं है. ये सब कोटपुतली विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते हो रहा है.

कोटपुतली में  चरमराई बिजली व्यवस्था, 33 केवी लाइन में फाल्ट, अंधेरे में डूबा शहर

Kotputli: कहते हैं बिजली, पानी और सड़के मूलभूत सुविधाओं में आती हैं, लेकिन जब मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह से चौपट हो जाएं तो उस क्षेत्र की जनता पर क्या गुजरती होगी. ऐसा ही कुछ नजारा कोटपुतली में पिछले कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है. एक बार सड़क के बिना काम चलाया जा सकता है, लेकिन आज के मशीनरी युग के बिना बिजली के कैसे काम चले. बिजली नहीं आने से कोटपुतली क्षेत्रवासी त्राहि-त्राहि करने को मजबूर है.

बिजली नहीं आने के कारण पीने के पानी तक कि समस्या खड़ी हो गई है. यहां तक जानवरों के लिए पीने का पानी नहीं है. ये सब कोटपुतली विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते हो रहा है. दरअसल करीब 7-8 साल पहले बिजली की अंडर ग्राउंड केबिल दबाने का काम किया गया था, जिसके बाद से बराबर केबलिंग में फाल्ट आता रहता है. इसके कारण शहर की विद्युत आपूर्ति ठीक नहीं रहती है.

शहर की अधिकतर केबले खराब हो चुकी हैं, जिनके दुबारा ऊपर से कनेक्शन किए गए हैं, लेकिन अभी भी पुतली स्थित 220 केवी ग्रिड स्टेशन से विभिन्न फीडरों के लिए ग्राउंडिंग केबल दबा रखी है, जिसके कारण आए दिन फाल्ट हो जाता है. सभी केबलों को एक साथ दबा रखा है. किसी भी केबल को अलग नहीं किया गया और न ही ये पहचान की गई. कौनसी केबल किस फीडर की है. फाल्ट चैक करने के लिए हर बार जयपुर से मशीन बुलाई जाती है, जिसके आने में ही करीब 3 घंटे लग जाते हैं. करोड़ों की केबल दबाने के बाद भी बिजली की सुविधा नहीं सुधरी. 

लगातार बिजली आपूर्ति ठप होने से शहर के साथ-साथ आसपास के गांव ढाणियों में भी बिजली कटौती को लेकर बुरे हालत हैं. किसान वर्ग का कहना है कि हमारे पास पीने तक का पानी  नहीं है. साथ ही, हमारे पशु भी प्यासे मर रहे हैं. बिजली पावर हाउस में शिकायत के लिए आते हैं, तो यहां के कर्मचारी गलत व्यवहार करते हैं. साथ ही, सीट के ऊपर कोई अधिकारी नहीं मिलता है. 

कोटपुतली के स्थानीय निवासी इतने परेशान हैं, आखिर कहे रो किसको कहे पढ़े लिखे वर्ग के साथ स्थिति ये है, तो ग्रामीण वर्ग में क्या हाल होंगे. पेशे से अधिवक्ता प्रभा अग्रवाल का कहना है. ये लगता ही नहीं है हम शहर के में रह रहे हैं. इससे अच्छा तो गांव ढाणी में माहौल होगा, जब भी बिजली की शिकायत की जाती है तो कहा जाता है भूमिगत केबल में समस्या है, लेकिन जब विभाग के पास संसधान नहीं है तो केबलिंग को भूमिगत क्यों किया गया. अपनी जिम्मेवारियों से विभाग के अधिकारी अपना पल्ला छाड़ते हैं.

वहीं, जनहित सेवा संघठन के प्रदेश अध्यक्ष अमरसिंह कसाना ने बताया कि कोटपुतली में बिजली की व्यवस्था बहुत पहले से ख़त्म थी अंडरग्राउंड केबलिंग बहुत हल्की क्वालटी की खरीदी गई थी, जिसके चलते यहां की जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन बड़ी बात ये है कि कोटपुतली में स्थानीय जनप्रतिंधी हैं, उन्होंने ये जहमत तक नहीं उठाई आखिर बिजली पिछले तीन दिन से कैसे गड़बड़ाई हुई हैं. यहां तक प्रदेश के मंत्री राजेंद्र यादव तक यहां हैं. साथ ही, भाजपा नेता मुकेश गोयल और पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना ने भी कोई मुद्दा नहीं उठाया. केवल सोशल मीडिया पर अपना प्रचार-प्रसार करते हैं. 

बिजली की समस्या से रोजना एक दो हाथ होना पड़ता है, लेकिन इसके लिए यहां के जिम्मेवार अधिकारी और जनप्रतिनिधी काम करने में सक्षम नहीं हैं. केबल के करोड़ों रुपये का घोटाला कर शहर की व्यवस्था को पूरी तरह से चौपट कर दिया है, जिसने भी बिजली केबल में घोटाला किया है, उन सब के खिलाफ जांच बिठाई जानी चाहिए और बिजली विभाग के रवैए को ठीक करने की आवश्यकता है. आज समय रहते केबलिंग का मेंटिनेश करना आवश्यक है. 

ऐसा नहीं है कि कोटपुतली में बिजली व्यवस्था की जानकारी विद्युत विभाग के अधिकारियों को नहीं है. पूरी जानकारी होने के बाद भी समय रहते बिजली की केबलिंग को ठीक नहीं किया जाता है. एक्सईएन जेपी बैरवा ने 220 केवी का ग्रिड काफी पुराना हो गया है. साथ ही, पूर्व में जब केबल दबाई गई थी तब सही तरीके से नहीं बिछाई गई, जिसकी वजह से आए दिन 32 केवी में फाल्ट की समस्या बनी रहती है.

एक्सईएन बैरवा का कहना है कि स्थाई समाधान के लिए एक अलग से जीएसएस बनाने की आवश्यकता है, जिसको लेकर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को लिखित में अवगत करवा दिया गया. वही, 220 पर कार्यरत एईएन रेमश गुर्जर का कहना है. हमारे द्वारा लगातार सप्लाई चालू की जाती है, लेकिन बीच में लाइन फाल्ट होने के कारण सप्लाई बंद कर दी जाती है, लेकिन अंदर की बात ये है. 220 केवी जीएसएस पर प्रसारण के अधिकारी और वितिरण निगम के अधिकारियों में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण समस्या ज्यादा पनपती है. वितरण के सभी अधिकारियों को पब्लिक डीलिंग में रहना पड़ता है. वहीं, विद्युत प्रसारण के अधिकारी केवल सप्लाई भेजने का काम करके अपनी इतिश्री कर लेते हैं, कोई भी जिम्मेवारी लेकर काम करने की जहमत नहीं उठाते हैं, जिसके कारण समस्या ज्यादा पनपती है. 

मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकारे मोटा पैसा खर्च करती है, लेकिन हकीकत जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आता है. काफी लंबे समय से कोटपुतली क्षेत्र में पावर कट की समस्या से लोग झुझ रहे हैं, लेकिन यहां के बाशिंदों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है अधिकारी कह रहे है. नया जीएसएस स्वीकृत करवा दिया है, लेकिन नया जीएसएस कब बनेगा और कब यहां के बाशिंदों को बिजली की समस्या से समाधान मिल पाएगा, लेकिन फिलहाल सरकार को यहां के लिये कोई न कोई वैकल्पिक व्यवस्था करना अति आवश्यकता है. देखना होगा सरकार या इनके अधिकारी कर्मचारी क्या कर पाते हैं. ये तो आने वाला समय ही बता पाएगा. 

Reporter: Amit Yadav

जयपुर की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें. 

अन्य खबरें 

CM के जाते ही चौमूं SDM के APO के आदेश जारी, अवस्थाओं के चलते हुई कार्रवाई 

Chanakya Niti : जिस पुरुष में होते हैं कुत्ते के ये 5 गुण उसकी स्त्री रहती है संतुष्ट

Trending news