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इस महिला ने 'खुद से खुद को पैदा किया', पढ़िए रोंगटे खड़े देने वाली दर्दनाक दास्तान

Vidya Rajput Story: जिंदगी सबके लिए आसान नहीं होती है. कई बार तो जिंदगी की पहेली इतनी कठिन होती है कि इंसान आखिरी सांस तक उसे समझने में और सुलझाने में रह जाते हैं. सबसे ज्यादा तकलीफ तो उस समय बढ़ जाती है, जब इंसान ऊपर से कुछ और और अंदर से कुछ और होता है. ऐसे लोग ना तो समाज वालों के साथ घुलमिल पाते हैं और ना ही अपनी खुशी में रह जाते हैं. यह लोग हमेशा दूसरों की परवाह ही करते रहते हैं.

 

छत्तीसगढ़ के विकास राजपूत की आत्मा थी लड़की

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छत्तीसगढ़ के विकास राजपूत की आत्मा थी लड़की

कई बार जब इंसान की ऐसी उलझन उनके परिवार तक पहुंचती है तो उनके होश फाख्ता हो जाते हैं. एक इंसान की मुसीबत उसके पूरे परिवार के ऊपर हावी हो जाती है. कुछ ऐसी ही दर्दनाक कहानी है छत्तीसगढ़ के विकास राजपूत की, जिन्हें विद्या राजपूत बनने के लिए बहुत ही कठिन संघर्ष किया. इस कड़े संघर्ष में विकास राजपूत ने किस तरह से खुद को विद्या राजपूत में बदला, यह कहानी आपके रोंगटे खड़ी कर देगी. यह कहानी एक ऐसे लड़के की है, जिसने खुद को लड़की के रूप में कैसे बदला, यह जानकर आप का दिल दुखी हो जाएगा.

 

लड़कियों की जिंदगी चाहती थी जीना

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लड़कियों की जिंदगी चाहती थी जीना

अपनी दर्दनाक कहानी विकास राजपूत ने एक चैनल को बताई थी. अब से विकास को विद्या राजपूत कहकर बुलाया जाता है. विद्या बताती हैं कि उनका जन्म 1 मई 1977 को लड़के के रूप में हुआ था लेकिन तभी उन्हें अपने धरती पर होने का एहसास ही नहीं हुआ. विद्या बताती हैं कि खुद से मुलाकात उनकी तब हुई जब उन्होंने खुद से खुद को असल में महसूस किया. विद्या का कहना है कि वह भले ही विकास राजपूत के तौर पर जन्मी थी लेकिन हमेशा से वह अपने अंदर एक लड़की को महसूस करती थी. उनका नाम भी विकास राजपूत रखा गया था. विकास 10 साल की उम्र से ही अपने-अपने विकास होने पर गुरेज करने लगा था. उसे लगता ही नहीं था कि वह एक लड़का है.

 

समाज को खटकती थी विद्या की चाल

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समाज को खटकती थी विद्या की चाल

यह कहानी है छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के गांव में रहने वाली विद्या राजपूत की. विद्या बताती है कि जैसे-जैसे मैं बड़ी होना शुरू हुई थी, लोगों की नजरों में मेरी चाल खटकने लगी थी. विद्या बताती है कि उस समय मेरा नाम विकास था. जब भी मैं चलता था, घरवालों से लेकर मोहल्ले वाले मुझे चिढ़ाते रहते थे लेकिन मैं अंदर से खुद को एक लड़की महसूस करती थी. विद्या बताती है कि जब-जब मैंने अपने परिवार को यह बात बतानी चाहिए तो उन्होंने सुनी नहीं. एक दिन तो ऐसा भी आ गया था, जब विद्या खुद को खत्म कर लेना चाहती थी लेकिन इतनी कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने ठान लिया कि वह अपना जेंडर चेंज करवाएंगे. अगर उनकी आत्मा एक लड़की है, तो वह लड़की की तरह ही जिंदगी जिएंगीं. 

 

जेंडर चेंज के लिए किया कड़ा संघर्ष

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जेंडर चेंज के लिए किया कड़ा संघर्ष

अपनी आगे की कहानी बताते हुए विद्या कहती हैं कि जब मैंने पता किया तो पता चला कि सेक्स ऑपरेशन के लिए बहुत सारा पैसा लगता है. बचपन में ही उनके पिता की मौत हो गई थी और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि वे उसका सेक्स चेंज करवा सकें. ऐसे में विद्या ने पहले पैसे कमाने का फैसला किया और इसके लिए वह रायपुर पढ़ाई करने के लिए पहुंच गई. यहां उन्होंने कई अलग-अलग कंपनियों में काम करते हुए अपने सेक्स चेंज के लिए पैसे इकट्ठा किए और फिर इससे जुड़ी हर तरह की जानकारियां भी इकट्ठा करती रही. साल 2007 में विद्या का विद्या ने सेक्स चेंज प्रोसेस शुरू करवाई. साल 2020 तक विद्या के विद्या को चार ऑपरेशन करवाने पड़े.

 

विद्या बोलीं-मैंने खुद से ही खुद को पैदा किया

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विद्या बोलीं-मैंने खुद से ही खुद को पैदा किया

विद्या राजपूत बताती हैं कि आज भी मुझे वह दिन याद है, जब वह अपने सेक्स चेंज के लिए ऑपरेशन थिएटर में थी. उस वक्त न तो उनके साथ कोई दोस्त था और न ही कोई परिवार का. वह बहुत ही दुख में थी लेकिन सबसे ज्यादा खुश इस बात से थी कि अब से वह वह जिंदगी जी सकेंगी, जिसे वह बचपन से जीना चाहती थी. वह हमेशा से ही लड़कों के कपड़े फेंक कर लड़कियों के कपड़े पहनना चाहती थी. विद्या राजपूत बताती है कि ऑपरेशन के बाद मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. मुझे बहुत खुशी थी कि अब से मैं लड़कियों की तरह जिंदगी जी सकूंगी. विद्या राजपूत का कहना है कि उनकी मां को इन सब चीजों से बहुत तकलीफ होती थी. उनकी मां मानसिक रोगी हो गई थी और साल 2009 में उनका निधन हो गया था.

 

अब परिवार दे रहा साथ

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अब परिवार दे रहा साथ

विद्या राजपूत भीगी हुई आंखों से कहती हैं कि मैंने अपनी जिंदगी अपनी जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना किया है. मैंने अपने सेक्स चेंज के लिए परिवार ही नहीं पूरे समाज से लोहा लिया तब जाकर कहीं मुझे मेरी असल जिंदगी वापस मिल पाई. विद्या की मानें तो उनके परिवार ने कभी उनका साथ नहीं दिया था लेकिन अब अब उनकी बहन और उनके बच्चे उनके साथ हैं. उनका कहना है कि वह विद्या राजपूत पर गर्व महसूस करते हैं.

 

सम्मानित हो चुकी है विद्या राजपूत

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सम्मानित हो चुकी है विद्या राजपूत

जानकारी के मुताबिक, विद्या राजपूत साल 2009 से एक समुदाय पर बेस्ड संगठन मितवा समिति भी चला रहे हैं. वितरित की जा चुकी हैं. इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस की हैं. उन्हें समाज में प्रेरणा बनने के लिए भी कई सम्मान मिल चुके हैं. प्रशिक्षक के तौर पर विद्या काम कर चुकी हैं.

 

 

 

विद्या राजपूत की फोटो

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विद्या राजपूत की फोटो
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