शाहपुरा रोडवेज की खटारा बसों में सफर करने को यात्री मजबूर, 53 में से 51 गाड़ियां कंडम होने की कगार पर
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शाहपुरा रोडवेज की खटारा बसों में सफर करने को यात्री मजबूर, 53 में से 51 गाड़ियां कंडम होने की कगार पर

Shahpura, Jaipur: आमतौर पर यात्री रोडवेज बसों में सफर करना सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते है, लेकिन शाहपुरा डिपो की बसें खस्ताहाल है और यात्रियों को खटारा बसों में यात्रा करनी पड़ रही हो, तो उन सवारियों की हालत कैसी होगी. क्योंकि शाहपुरा डिपो से संचालित कई बसें कंडम हो चुकी है और इनमें कई बसे कंडम होने के कगार पर है. 

शाहपुरा रोडवेज की खटारा बसों में सफर करने को यात्री मजबूर, 53 में से 51 गाड़ियां कंडम होने की कगार पर

Shahpura, Jaipur: आमतौर पर यात्री रोडवेज बसों में सफर करना सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते है, लेकिन शाहपुरा डिपो की बसें खस्ताहाल है और यात्रियों को खटारा बसों में यात्रा करनी पड़ रही हो, तो उन सवारियों की हालत कैसी होगी. क्योंकि शाहपुरा डिपो से संचालित कई बसें कंडम हो चुकी है और इनमें कई बसे कंडम होने के कगार पर है. ऐसे में यात्रियों को असुरक्षा और अनिश्चितता के डर के साथ सफर करना पड़ रहा है. ऐसा भी नहीं है कि जिम्मेदारों को इसकी जानकारी न हो, सब कुछ जानकर भी वे आंखे मूंदे बैठे है. 

जानकारी के अनुसार शाहपुरा डिपो से करीब 53 बसें विभिन्न रूटों पर संचालित हो रही है. इनमें 43 मिनी बस और 10 बड़ी बस है. इस डिपो में निर्धारित मापदंडों के तहत 5 मिनी बस कंडम भी घोषित हो चुकी है, जबकि अन्य 51 बसे कंडम होने की कगार पर है. इसके बावजूद रोडवेज डिपो इन खस्ताहाल बसों को सड़कों पर दौड़ा रहा है.

डिपो के हालात क्या है? 
शाहपुरा डिपो के खस्ताहाल बसों के सड़कों पर दौड़ने से यात्रियों की भी जान सांसत में बनी रहती है. साथ ही सफर के दौरान ये बसे कब, कहां बीच रास्ते खराब होकर खड़ी हो जाए इसकी कोई निश्चितता नहीं है. इन बसों के हालात इतने दयनीय है कि बसों की छत छलनी हो चुकी है और बारिश के दिनों में पानी टपकता रहता है. साथ ही सफर के दौरान बसों के शीशे और अन्य पार्ट्स की तेज ध्वनि भी यात्रियों की परेशानी का सबब बन रही है. 
नियमानुसार रोडवेज विभाग मिनी बसों के 6 साल संचालन होने या 6 लाख किलोमीटर तक चलने पर कंडम मान लिया जाता है. बड़ी बसों के 8 साल या 8 लाख किलोमीटर चलने के बाद कंडम घोषित किया जाता है. ऐसे में शाहपुरा डिपो में संचालित हो रही 43 मिडी बसे 2013-14 मॉडल की है. इसके अलावा 10 बड़ी गाड़ियों में सिर्फ 2 गाड़ियां ही 2020 मॉडल है, जबकि अन्य 8 बसे 2013-14 मॉडल की है. 

ऐसे में इन बसों के संचालन होते 8 साल हो गए. शाहपुरा डिपो की दयनीयता यहीं खत्म नहीं होती, इस डिपो को सिर्फ यूनिट मानते हुए 2018 में प्रशासनिक और वित्तीय पावर भी छीन लिए गए. ऐसे में छोटे-मोटे कार्यों के लिए कोटपूतली आगार पर निर्भर रहना पड़ता है. अव्यवस्थाओं से जूझ रहे डिपो से बसों के संचालन से पूर्व के मुकाबले एक लाख के राजस्व आय की भी हानि हो रही है, यहां बस चालकों के अभाव है. साथ ही स्पेयर पार्ट्स समय पर उपलब्ध नहीं हो पाते, जिससे बस के खराब होने पर मरम्मत करने में परेशानी होती है.

शाहपुरा बस डिपो में चलने वाली रोडवेज बसों का मुद्दा आमजन काफी समय से उठाता आ रहा है. रोडवेज बस में कई बार आग लग जाती है और रास्तों में खराब हो जाती है. बारिश के समय में इन बसों की छतों से पानी भी टपकता रहता है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बसों की मेंटिनेंस करवाने की तरफ कोई भी जिम्मेवार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है.

शाहपुरा रोडवेज की अधिकतर बसे नकारा साबित हो चुकी है और नकारा बसों को ही सड़क पर दौड़ाया जाता है. कई बार तो बस बीच रास्ते में ही खराब हो जाती है और किसी का ब्रेक खराब, किसी का स्टेयरिंग खराब और किसी बस का टायर खराब होने की वजह से यह बसे रास्ते में ही खड़ी हो जाती है. यात्री अपने गंतव्य स्थान पर समय पर नहीं पहुंच पाते है. यात्रा करते समय इन बसों में काफी तेज खट-खट की आवाजे आती रहती है, लेकिन आज तक इन बसों को सुधारने और सुध लेने की किसी ने कोई जहमत नहीं उठाई. 

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शाहपुरा डिपो की अधिकांश बसे नकारा है और इनके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है. शाहपुरा डिपो को प्रशासनिक और वित्तिय अधिकार नहीं है. इसके चलते छोटे-छोटे कार्यों के लिए कोटपूतली आगाज से अनुमति लेनी होती है, जिससे बसों का मेंटिनेंस करवाने में काफी परेशानी होती है. प्रबंधन संचालन विक्रम का कहना है कि शाहपुरा डिपो में 53 बसे है, जिनमें 2 बसे 2020 मॉडल है और बाकी सभी बसे कंडम हालत में होने की कगार पर है. 

विभाग ने पहले ही 6 बसों को कंडम घोषित कर दिया है. शाहपुरा डिपो में मिनी बसें ज्यादा है और मिनी बसों का स्पेयर पार्ट्स समय पर उपलब्ध नहीं होने से परेशानी उठानी पड़ती है. जिस तरह से शाहपुरा डिपो बसों की हालत खराब है उससे लगता है कि कोई बड़े हादसों का इंतजार कर रही है, क्योंकि जब सम्बंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को पूरी जानकारी होने के बावजूद इनका रख-रखाव सही नहीं किया जा रहा है तो इससे साफ प्रतीत है कि जिम्मेवार अपनी जिम्मेवारियों से पला छाड़ रहे है, लेकिन इनकी और राजधानी में बैठे डिपो के उच्च अधिकारियों और राज्य सरकार को सोचने की आवश्यकता है, लेकिन अब देखना यही है कि खटारा बसों की कोई सुध ले पाता है या नहीं.

Reporter: Amit Yadav

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