सुनो सरकार! लंदन के टेम्स रिवर फ्रंट का दिखाया था सपना, 1676 करोड़ रुपए खर्च के बाद फिर बना नाला
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सुनो सरकार! लंदन के टेम्स रिवर फ्रंट का दिखाया था सपना, 1676 करोड़ रुपए खर्च के बाद फिर बना नाला

राजधानी जयपुर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली द्रव्यवती नदी इन दिनों अपनी बदहाली की कहानी रो रही हैं. साथ में आस-पास रहने वाले इस नदी से आने वाली बदबू से परेशान हैं.

सुनो सरकार! लंदन के टेम्स रिवर फ्रंट का दिखाया था सपना, 1676 करोड़ रुपए खर्च के बाद फिर बना नाला

Jaipur: राजधानी जयपुर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली द्रव्यवती नदी इन दिनों अपनी बदहाली की कहानी रो रही हैं. साथ में आस-पास रहने वाले इस नदी से आने वाली बदबू से परेशान हैं. पूर्ववर्ती सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट से सत्ता बदलने के साथ राज्य में सत्ता बदली तो जेडीए की प्राथमिकता बदल ली. लेकिन जब टाटा कंपनी ने बकाया भुगतान नहीं होने के चलते काम बंद किया तो जेडीए में हडकंप मच गया. अब दोबारा से जेडीए ने टाटा कंपनी से हुए विवाद के बाद राज्य के महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी से राय मांगकर समस्या के समाधान के लिए कवायद शुरू की हैं.

1676 करोड़ रुपए का शहर के बीचों-बीच द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट, जिस द्रव्यवती नदी परियोजना से जयपुर की तस्वीर बदलने का दावा किया गया. उस पर करोडों खर्च हो गए और हालात जस के तस बने हुए हैं. सपना तो रिवरफ्रंट का दिखाया गया था, लेकिन स्थिति यह है कि नदी किनारे बसे लाखों लोगों की आबादी दुर्गंध से परेशान है. जिधर की हवा चलती, उधर लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता हैं.

पिछली सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट मौजूदा सरकार के कार्यकाल में बदहाली पर आंसू बहा रहा है. एक माह पहले तक टाटा कंपनी द्रव्यवती नदी के मेंटिनेस का काम देख रही थी, लेकिन भुगतान नहीं होने के चलते अनुबंधित कंसोर्टियम ने भी अपने हाथ खींच लिए हैं. जिसके बाद से द्रव्यवती नदी के हालात विकट होते जा रहे हैं. क्षेत्रीय भाजपा विधायक अशोक लाहोटी भी द्रव्यवती नदी का काम फिर से शुरू करने की मांग हाउसिंग बोर्ड के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गहलोत के सामने रख चुके हैं.

दरअसल भुगतान को लेकर जेडीए और कंसोर्टियम के पीछे लंबे समय से विवाद चल रहा है. हालांकि अब जिम्मेदार एजेंसी जयपुर विकास प्राधिकरण ने समस्या के समाधान के लिए कवायद शुरू कर दी है. इस विवाद को सुलझाने के लिए जेडीए ने राज्य के महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी से विधिक राय मांगी है.

क्या है जेडीए और कंपनी का विवाद

-अनुबंधित कंसोर्टियम ने परियोजना के रखरखाव का काम पिछले महीने भर से बंद कर रखा
-कंसोर्टियम की मांग है कि बिजली के बिल के पेटे 55 करोड़ रुपए

-रखरखाव के मद में बकाया 65 करोड़ की जेडीए की ओर से जल्द भुगतान किया जाए
-रखरखाव का काम बंद होने से परियोजना में लगे 5 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बंद

-रोजाना 1700 लाख लीटर सीवरेज पानी का ट्रीटमेंट करने की इन प्लांट्स की क्षमता
-STP प्लांट्स के माध्यम से सीवरेज के पानी को ट्रीट कर नदी में छोड़ा जाता था

-प्लांट्स बंद होने से सीवरेज का पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे में नदी में जा रहा है

-द्रव्यवती नदी में मेंटेनेंस का काम बंद होने से आसपास रहने वाली आबादी परेशान

-द्रव्यवती नदी के दोनों तरफ दूर-दूर तक घनी आबादी बसी हुई
-नदी में पहले भी कई स्थानों पर खुले नालों वे अन्य स्थानों से सीवरेज का पानी सीधे आ रहा था

-सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटस बंद होने के कारण स्थिति बहुत ज्यादा विकट हो गई
-अब नदी में पूरी तरह सीवर का पानी ही बह रहा

-इसके चलते आस-पास रह रहे लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर
-वहीं द्रव्यवती नदी की अब नियमित सफाई भी नहीं हो रही

-जगह-जगह लगे कचरे के ढेर और गंदगी से नदी पूरी तरह गंदे नाले में तब्दील हो गई
-इन हालातों के चलते मच्छर जनित बीमारी फैलने की आंशका हो गई

द्रव्यवती नदी को लेकर विवाद बढने के बाद अब जयपुर विकास प्राधिकरण इसका समाधान का रास्ता देख रहा हैं. जिसके लिए राज्य के महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी से विधिक राय मांगी गई हैं. जिसमें पूछा गया हैं कि परियोजना के जिस-जिस हिस्से में अनुबंधित कंसोर्टियम फर्म की वजह से काम अधूरा नहीं है. अदालती मामलों या जिम्मेदार एजेंसियों की कमी की वजह से जिन हिस्सों में काम अधूरा है. क्या उन हिस्सों को छोड़कर शेष परियोजना के रखरखाव का क्या भुगतान किया जा सकता है ? 1 जून 2022 से रखरखाव के पेटे बकाया राशि का भुगतान जेडीए कर सकता है? परियोजना में लगे पांचों सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और विभिन्न स्थानों पर लगी लाईटों और अन्य मशीनरी के बिजली के बिल का भुगतान क्या किया जा सकता है ?

दरअसल पिछली भाजपा सरकार के समय 10 अप्रेल 2016 तक को इस परियोजना का काम शुरू किया गया है. करीब 1676 करोड़ रुपए लागत के इस काम की जिम्मेदारी टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड व शंघाई अरबन कंस्ट्रक्शन ग्रुप के कंसोर्टियम को दी गई. इस परियोजना के तहत नाहरगढ़ की पहाड़ियों के आगे से ढूंढ नदी तक 47 किलोमीटर लम्बाई में बहने वाली द्रव्यवती नदी का कायाकल्प किया जाना था.

परियोजना का प्रमुख उद्देश्य नदी का बहाव क्षेत्र संरक्षित करना और इसमें स्वच्छ पानी का बहाव सुनिश्चित करना था. परियोजना का काम 10 अक्टूबर 2018 में पूरा किया जाना था, लेकिन अब तक ना तो पूरी लम्बाई में बहाव क्षेत्र संरक्षित हो पाया है और नहीं नदी में पूरी साफ पानी बह रहा है, लेकिन पिछले महीने भर से तो हालात और भी विकट हो गए हैं.

बहरहाल, द्रव्यवती नदी के किनारे अब आसपास के लोगों ने वॉक करना भी बंद कर दिया हैं. नदी के किनारे रखी बैंचे अब लोगों का इंतजार करती हैं. 38 किमी में बना साइकिल ट्रैक किसी के काम नहीं आ रहा हैं. दिनभर दुर्गंध आने से अब लोगों ने एंट्री बंद कर दी हैं. .सभी लोगों का घूमना-फिरना बंद हो गया है. .सीवर का गंदा पानी भी नदी में ही गिर रहा है. पहले गार्ड तैनात रहता था. अब वो भी नहीं आ रहा.

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