जयपुर: धरने पर बैठे निलंबित पार्षद, न्यायिक जांच की कॉपी देने की मांग
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जयपुर: धरने पर बैठे निलंबित पार्षद, न्यायिक जांच की कॉपी देने की मांग

पार्षदों का कहना है कि न्यायिक जांच की रिपोर्ट की सत्य प्रतिनिधि मिले तो वह उसे चैलेंज करने के लिए कोर्ट में अपील कर सकते हैं लेकिन जानबूझकर अफसर उन्हें टरका रहे हैं.

जयपुर: धरने पर बैठे निलंबित पार्षद, न्यायिक जांच की कॉपी देने की मांग

Jaipur: नगर निगम ग्रेटर में आयुक्त से मारपीट के मामले में निलंबित पार्षद बुधवार को स्थानीय निकाय निदेशालय धरने पर बैठ गए. पार्षदों का आरोप है कि उन्हें उनके खिलाफ की गई लाइक जांच की सत्य प्रतिलिपि नहीं दी जारी. डीएलबी अधिकारी पुणे चक्कर कटवा कर प्रताड़ित कर रहे हैं.

गौरतलब है कि 4 जून 2020 को तत्कालीन आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव मारपीट और धक्का-मुक्की के मामले में जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित किया गया था. यज्ञ मित्र सिंह देव की ओर से मारपीट और सरकारी कामकाज में बाधा की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से न्यायिक जांच बिठा दी गई,. हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद महापौर सौम्या गुर्जर ने कुर्सी संभाल ली थी.

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इधर 10 अगस्त को न्यायिक जांच कर रही मुदिता भार्गव ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट सौंप दी. न्यायिक जांच में महापौर और 3 पार्षदों को दोषी माना गया. हालांकि अभी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है. वहीं दूसरी ओर निलंबित पार्षद न्यायिक जांच की रिपोर्ट की कॉपी लेने के लिए डीएलबी पहुंचे लेकिन उन्हें सुपर आला अफसरों के पास होने का हवाला देते हुए टरका दिया. इसके बाद वह प्रमुख सचिव नगर विकास के कार्यालय पहुंचे लोगों ने जांच रिपोर्ट डीएलबी में होने का हवाला दिया.

इस बीच निलंबित पार्षद अजय चौहान और पारस जैन बुधवार को डीएलबी कार्यालय पहुंचे तो उन्हें जांच रिपोर्ट की सत्य प्रतिलिपि नहीं दी. इससे नाराज होकर दोनों पार्षद बीएलबी परिसर में धरने पर बैठ गए.

क्या है पार्षदों का आरोप 
पार्षदों का आरोप है कि उन्हें जानबूझकर अवसर न्यायिक जांच की सत्य प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं करवा रहे. जांच रिपोर्ट की कॉपी नहीं देने का कारण भी नहीं बता रहे हैं. पार्षदों का कहना है कि न्यायिक जांच की रिपोर्ट की सत्य प्रतिनिधि मिले तो वह उसे चैलेंज करने के लिए कोर्ट में अपील कर सकते हैं लेकिन जानबूझकर अफसर उन्हें टरका रहे हैं.

पार्षदों का आरोप है कि न्यायिक जांच की सत्य प्रतिलिपि नहीं देने पर उनके न्याय पाने की कोशिश में बाधा उत्पन्न की जा रही है.

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