Municipal Heritage: 2 साल में सिर्फ 1 मीटिंग, खाचरियावास के दखल के बाद आयुक्त ने कही ये बड़ी बात
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Municipal Heritage: 2 साल में सिर्फ 1 मीटिंग, खाचरियावास के दखल के बाद आयुक्त ने कही ये बड़ी बात

Jaipur News: इन दिनों नगर निगम हैरिटेज में सियासी भूचाल आया हुआ है. बिना मीटिंग के बजट सीधे सरकार को भेजने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस बीच  नगर निगम हैरिटेज आयुक्त ने ये बड़ी बात कही है.

 

Municipal Heritage: 2 साल में सिर्फ 1 मीटिंग, खाचरियावास के दखल के बाद आयुक्त ने कही ये बड़ी बात

Jaipur: नगर निगम हैरिटेज में सियासत गर्म है. साधारण सभा की बैठक को लेकर अब अलग-अलग बयान सामने आने लगे हैं. मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास के दखल और बयान के बाद नगर निगम हैरिटेज आयुक्त विश्राम मीना बैकफुट पर आकर मीटिंग कॉल करने के मूड में नजर आ रहे हैं. आयुक्त ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर पार्षद प्रोटोकॉल के तहत बोर्ड बैठक बुलाने का प्रस्ताव देते हैं तो मीटिंग कॉल कर लूंगा. देखिए एक रिपोर्ट

नगर निगम हैरिटेज के बोर्ड बने हुए 28 माह का समय हो चुका हैं. नियमों के मुताबिक इन 28 माह में 12 साधारण सभा की बैठक होनी चाहिए, लेकिन नियम-कायदे ताक पर रखकर मेयर मुनेश गुर्जर ने 12 तो छोडिए इन 28 माह में सिर्फ 1 ही बैठक आयोजित की. बोर्ड बैठक बुलाने के लिए पार्षदों ने खूब हंगामा किया धरना दिया. मेयर से लेकर आयुक्त और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन बैठक नहीं बुलाई गई, और नतीजन दो साल से लगातार बिना सदन में बजट पारित किए हुए सीधा राज्य सरकार को भेजा गया.

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इस बार भी मीटिंग कॉल नहीं करके सीधा बजट राज्य सरकार को भेजने पर मंत्री से लेकर पार्षद खफा हैं. बोर्ड बैठक नहीं होने पर उठे सियासी भूलाच के बीच अब कमिश्नर विश्राम मीणा ने बड़ा बयान दिया है. कमिश्नर ने कहा कि अगर मेयर मिटिंग नहीं बुलाती है और पार्षद प्रोटोकॉल के तहत मेरे पास प्रस्ताव लेकर आते है तो मैं जल्द मिटिंग कॉल कर लूंगा. वहीं कमिश्नर के इस बयान के बाद भाजपा पार्षदों ने होली के बाद बैठक के लिए कमिश्नर को प्रस्ताव देने की बात कही है. मेयर प्रत्याशी रही कुसुम यादव ने बताया कि वे जल्द ही भाजपा के पार्षदों संग मिलकर बैठक बुलाने का प्रस्ताव देने पर चर्चा करेंगी.]

दरअसल राजस्थान नगर पालिका कानून में नगर पालिका में साधारण सभा की बैठक 60 दिन में एक बार और एक साल में कम से कम 6 बार बुलाना जरूरी है. अगर नगर पालिका के एक तिहाई पार्षद लिखित में प्रस्ताव देकर बैठक बुलाने की मांग करते है तो अध्यक्ष को सात दिन में बैठक बुलानी पड़ती है. अगर नगर निगम का अध्यक्ष बैठक नहीं बुलाता है तो उस स्थिति में पार्षद नगर पालिका के अधिकारी (आयुक्त या सीईओ या अधिशाषी अधिकारी) को प्रस्ताव दे सकते है, जो 10 दिन में विचार करके बैठक बुला सकते है. 

दरअसल दो दिन पहले कांग्रेसी पार्षदों का एक दल निगम मुख्यालय में कमिश्नर के पास बजट बैठक बुलाने की मांग करने पहुंचा था. यहां उन्होंने करीब एक घंटे तक कमिश्नर के चैम्बर में घेराव किया और बाद में खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से फोन पर बात करवाई. इसके मंत्री ने कमिश्नर को विधानसभा बुलाकर फटकार लगाई और बैठक नहीं बुलाने का कारण पूछा, जिसके बाद कमिश्नर ने 10-15 दिन में बैठक बुलाने का आश्वासन दिया था.कल मंत्री प्रताप सिंह ने बजट बैठक नहीं बुलाने और बिना विधायकों से पूछे बजट सीधे सरकार को भिजवाने पर विरोध जताया था. 

उन्होंने मेयर पर निशाना साधते हुए कहा था कि वो होते कौन है बिना पूछे बजट सीधे सरकार को भेजने वाले. मिटिंग कॉल नहीं की और विधायकों से पूछा नहीं और अपनी मर्जी से मान लिया कि हम बैठक बुलाना नहीं चाहते. वहीं मेयर ने भी इस मामले पर बचाव करते हुए कहा था कि सरकार के नियमों के मुताबिक 15 फरवरी तक बैठक हो सकती थी और 28 फरवरी तक हर हाल में बजट सरकार को भिजवाना था.  

इसलिए भिजवा दिया. बैठक के लिए हमने टेलीफोन पर सांसदों से जब बात की तो उन्होंने लोकसभा सत्र के बाद बैठक बुलाने के लिए कहा था. उधर जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बैठक नहीं होने का जिक्र किया है. उन्होंने अपने पत्र में नगर नगम हैरिटेज में चारो विधायक कांग्रेस है, जिसमें दो कैबिनेट मंत्री है. उसके बाद भी न तो नगर निगम में पिछले तीन साल से संचालन समितियां नहीं बन सकी. वहीं पिछले 2 साल से निगम में साधारण सभा की बैठक भी इस कारण से बुलाई नहीं जा रही.इससे जयपुर शहर की स्थिति लगातार बिगड़ रही है.

बहरहाल, नगर निगम हैरिटेज बोर्ड बनने के बाद वर्किग कमेटियां नहीं बनने, तो कभी मुस्लिम मेयर बनाने तो कभी विकास कार्य नहीं होने के चलते धरने-प्रदर्शन हंगामा होता ही रहा है. साधारण सभा की बैठक नहीं बुलाने से पार्षदों को अपनी बात रखने के लिए मंच नहीं मिल रहा है. ऐसे में पार्षदों का गुस्सा बढता ही जा रहा है. यदि बैठक बुला भी गई तो ये तो तय है विकास की चर्चा से ज्यादा हंगामे की तस्वीरें नजर आएंगी.

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