पुलिस दूर संचार प्रणाली की सांसें उखड़ी,सरकार की तरफ हसरत भरी निगाहें लगाए बैठा पुलिस तंत्र
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पुलिस दूर संचार प्रणाली की सांसें उखड़ी,सरकार की तरफ हसरत भरी निगाहें लगाए बैठा पुलिस तंत्र

राजस्थान में पुलिस अफसरों, जवानों और थानों-चौकियों के बीच सम्पर्क के लिए दूर संचार प्रणाली काम में  ली जा रही है.एनालॉग प्रणाली पर कार्यरत 10 जिलों में संचार व्यवस्था का डिजटलीकरण प्रस्तावित है.

पुलिस दूर संचार प्रणाली की सांसें उखड़ी,सरकार की तरफ हसरत भरी निगाहें लगाए बैठा पुलिस तंत्र

Jaipur: राजस्थान पुलिस में अफसरों और जवानों के बीच गोपनीय बातचीत का जरिया बनी संचार प्रणाली की सांसें उखड़ रही है. पुलिस दूर संचार प्रणाली को प्राण वायु की जरूरत है. पुलिस अफसर संचार व्यवस्था को क्रमोन्नत करने के लिए हसरत भरी निगाह से सरकार की तरफ देख रहे हैं. अब वित्त विभाग और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निर्भर है कि बजट स्वीकृत कर पुलिस दूर संचार प्रणाली को संजीवनी देते हैं या नहीं ‌? 

राजस्थान में पुलिस अफसरों, जवानों और थानों-चौकियों के बीच सम्पर्क के लिए दूर संचार प्रणाली काम में  ली जा रही है. वर्तमान में राज्य में 37  पुलिस जिलों में पुलिस संचार व्यवस्था फ्रिक्वेंसी या प्रणाली पर कार्यरत है. इसमें 21 जिलों में हाई बैंड, 11 जिलों में मिड बैंड, दो रेडियो एनालॉग ट्रंकिंग तथा 3 में डिजीटल प्रणाली से वायरलैस चल रहे हैं.

राजस्थान के 11 जिले सीकर, झुन्झुनु, अलवर, भिवाडी, बारां, कोटा ग्रामीण, झालावाड़, भरतपुर, घोलपुर, सवाईमाधोपुर एवं करौली ऐसे हैं जिनका पुलिस दूर संचार तंत्र मिड बैंड प्रणाली पर कार्यरत है. यह प्रणाली अब अप्रचलित हो गई और इसके यंत्र, संयंत्र बाजार में उपलब्ध नहीं है. सम्बन्धित फर्मों ने इस प्रणाली के आवश्यक उपकरणों एवं संत्र- संयंत्रों का निर्माण करना बन्द कर दिया है. अतः प्राथमिक स्तर पर मिड बैण्ड पर कार्यरत रेंज  और जिलों की संचार प्रणाली को डिजीटल संचार प्रणाली पर कमोन्नत होने से पुलिस संचार "व्यवस्था में उल्लेखनीय प्रगति सम्भावित है.

- अफसरों का कहना है कि पुलिस संचार व्यवस्था को की  Analogue प्रणाली को digital संचार व्यवस्था में कमोन्नत किए जाने की आवश्यकता है.

-  Analogue प्रणाली को digital संचार व्यवस्था में बदलने के लिए 49 करोड़ 79 लाख रुपए का खर्च आने की संभावना है . 

- इस नई डिजीटल संचार व्यवस्था के फायदे भी सरकार को भेजे प्रस्ताव में गिनाए हैं 

-  डिजीटल संचार व्यवस्था में संचार की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं अत्याधुनिक फीचर्स का समावेश है.

- राज्य सरकार को भारत सरकार को संचार व्यवस्था के संचालन हेतु स्पेक्ट्रम आवंटन किया जाता है, जिसका सालाना शुल्क राज्य सरकार को भारत सरकार को अदा करना होता है. 

- स्पेक्ट्रम सीमित एवं कीमती संसाधन होने के कारण इसका optimal उपयोग डिजीटल संचार प्रणाली में सम्भव है. 

- इसके साथ ही आधुनिक संचार उपकरण डिजीटल प्रणाली से compatible है एवं इन्हें कम्प्यूटर - मोबाइल से जोड़ा जाकर संचार व्यवस्था को अधिक सुगम, सुदृढ एवं आधुनिक बनाए जाना सम्भव है.

- अफसरों के अनुसार 11 जिलों में से सीकर एवं झुन्झुनूं को डिजीटल प्रणाली में कमोन्नत किए जाने के लिए पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत बजट स्वीकृत किया जा चुका है एवं स्थापना का कार्य प्रक्रियाधीन है.

- अब शेष एनालॉग प्रणाली पर कार्यरत 10 जिलों में संचार व्यवस्था का डिजटलीकरण प्रस्तावित है.

इन जिलों में डिजीटल प्रणाली स्थापित करने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से बजट की आवश्यकता बताई गई है. अलवर में कम्पलीट डिजीटल कम्युनिकेशन सोल्युशन , डीएमआर स्टेटिक, मोबाइल सेट हैंड हेल्ड सेट सहित अन्य उपकरण चाहिए और इनके लिए तीन करोड़ 80 लाख रुपए का बजट मांगा गया है. 

भिजवाड़ी में कम्पलीट डिजीटल सोल्यूशन मांगा गया है. जिसके लिए 3 करोड़ 70 लाख रुपए का खर्च आएगा. बारां में कम्पलीट डिजीटल सोल्यूशन पर 3 करोड़ 89 , कोटा ग्रामीण में 3 करोड़ 81 लाख, झालावाड़ में 3 करोड़ 91 लाख, सवाई माधोपुर में 3 करोड़ 53 लाख, करौली में 3 करोड़ 67 लाख, धौलपुर में 3 करोड़ 49 लाख रुपए, भरतपुर में 6 करोड़ 19 लाख रुपए तथा कोटा सिटी में एक हजार 72 करोड़ का खर्च आने की संभावना है. कुल मिलकार इन जिलों की दूर संचार प्रणाली को दुरूस्त करने के लिए 46 करोड़ 79 लाख रुपए का खर्च होने की संभावना है. 

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