जयपुर निगम में 'ग्रेटर' ड्रामा, सुखप्रीत बंसल के नेतृत्व में BJP पार्षदों का धड़ एकजुट
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जयपुर निगम में 'ग्रेटर' ड्रामा, सुखप्रीत बंसल के नेतृत्व में BJP पार्षदों का धड़ एकजुट

नगर निगम ग्रेटर की निलंबित मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में विचाराधीन होने के चलते सरकार ने शील धाभाई को कार्यवाहक के तौर पर मेयर की जिम्मेदारी दे रखी है. 

संगठन-पिछले बोर्ड में हुई बगावत और फिर तख्तापलट के बाद भी संगठन ने सबक नहीं लिया.

Jaipur: नगर निगम ग्रेटर (Municipal Corporation Greater) में हलचल तेज हो गई है. शहरी सरकार में भाजपा पार्षदों के असंतोष की चिंगारी एक बार फिर भड़क गई है. कार्यवाहक मेयर शील धाभाई (Sheel Dhabhai) और आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव (Yagya Mitra Singh Dev) से नाराज भाजपा पार्षदों ने होटल में गुप्त बैठक कर हलचल मचा दी है.

उधर पूरे घटनाक्रम के बाद भागती-दौड़ती कार्यवाहक मेयर शील धाभाई भाजपा मुख्यालय पहुंची और अपना पक्ष रखा. क्या है इसके पीछे की वजह, पढ़िए एक रिपोर्ट-

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नगर निगम ग्रेटर की निलंबित मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में विचाराधीन होने के चलते सरकार ने शील धाभाई को कार्यवाहक के तौर पर मेयर की जिम्मेदारी दे रखी है. तीन बार कार्यकाल बढने और सौम्या गुर्जर की सुनवाई नजदीक आने के साथ ही भाजपा पार्षदों का एक गुट सक्रिय हो गया है. इसमें मेयर पद की दावेदार सुखप्रीत बंसल की सबसे ज्यादा अहम भूमिका मानी जा रही है. 

नगर निगम चुनाव के बाद सुखप्रीत बंसल का नाम पहले मेयर पद की दौड में था लेकिन ऐन वक्त पर डॉक्टर सौम्या गुर्जर के नाम का पार्टी ने ऐलान कर दिया, जिससे शील धाभाई और सुखप्रीत बंसल के अरमानों पर पानी फिर गया लेकिन सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद शील धाभाई की मेयर की कुर्सी पर बैठने की ख्वाहिश तो पूरी हो गई लेकिन सुखप्रीत बंसल अब इस मौके को हाथ से नहीं खोना चाहती. इसलिए समय की नजाकत को देखते हुए करीब 65  से ज्यादा पार्षदों को सुखप्रीत बंसल ने फोन करके लंच के बहाने होटल में बुलाया और रणनीति तैयार की. करीब चार घंटे तक लंच के बहाने होटल में अधिकतर पार्षदों ने सुखप्रीत बंसल के नाम पर सहमति जताई. पार्षदों ने गुप्त बैठक में सवाल उठाया कि धाभाई भाजपा की मेयर हैं या कांग्रेस की?

भाजपा अपने-अपने चहेते को मेयर की कुर्सी पर बैठाने की फिराक में
दरसअल धाभाई का कार्यकाल समाप्त होते ही भाजपा पार्षद अपने-अपने चहेते को मेयर की कुर्सी पर बैठाने की फिराक में हैं. कुछ पार्षदों ने तो यहां तक कहा कि सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद जब राज्य सरकार ने शील धाभाई को बाद से कांग्रेस के एहसान तले दबकर बीजेपी और निर्दलीय पार्षदों को नजरअंदाज कर रही है. मंगलवार को बैठक भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र श्रीमाली, वरिष्ठ पार्षद दिनेश कांवट और अध्यक्ष सुखप्रीत बंसल की मौजूदगी में हुई. सूत्रों के अनुसार बैठक विद्युत समिति की अध्यक्ष सुखप्रीत बंसल के की ओर से बुलाई गई थी और मेयर की कुर्सी के लिए उन्हीं के नाम की चर्चा ज्यादा रही हैं.

शीला धाभाई का कार्यकाल दो महीने के लिए तीन बार बढ़ा दिया गया 
ग्रेटर नगर निगम में 150 पार्षद हैं. सबसे ज्यादा 88 पार्षद भाजपा के हैं. इसके अलावा 9 निर्दलीय पार्षदों का भी भाजपा को समर्थन है. इस हिसाब से भाजपा बहुमत दल के पास 97 पार्षदों की संख्या आती है. शेष 49 पार्षद कांग्रेस के हैं और 4 कांग्रेस समर्थित पार्षद निर्दलीय चुने गए हैं. ऐसे में कांग्रेस का कुल योग 53 पार्षद है. नगर पालिका नियमों के तहत कार्यवाहक महापौर का अधिकतम कार्यकाल 6 महीने का माना गया है. उस हिसाब से कांग्रेस सरकार ने शीला धाभाई का कार्यकाल दो महीने के लिए तीन बार बढ़ा दिया गया है, जो कि अगले महीने में पूरा हो जाएगा. ऐसे में भाजपा पार्षद दल का साधारण सभा बुलाकर शील धाभाई को हटाए जाने की प्रबल संभावना है.

ग्रेटर नगर में भाजपा का बोर्ड 
ग्रेटर नगर में भाजपा का बोर्ड है. ऐसे में भाजपा पार्षद यदि वास्तव में विकास कार्य और "आयुक्त के खिलाफ एकजुट हुए होते तो उसमें महापौर और उपमहापौर भी मौजूद रहते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भाजपा संगठन को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई बल्कि अंतिम समय तक उनके पूरे मामले को छिपाने की कोशिश की जाती रही.

सौम्या गुर्जर का निलंबन का मामला भी भूल गए
संगठन-पिछले बोर्ड में हुई बगावत और फिर तख्तापलट के बाद भी संगठन ने सबक नहीं लिया. इसके अलावा मौजूदा बोर्ड में भी सौम्या गुर्जर का निलंबन का मामला भी भूल गए. प्रदेश संगठन पहले भी कहता रहा है कि शहर संगठन अध्यक्ष राघव शर्मा नियमित बैठकें करें लेकिन ऐसा नहीं हुआ. निगम में भाजपा पार्षदों के साथ हो रहे दोहरे व्यवहार मामले में भी संगठन आगे नहीं आ रहा. यह भी कारण है कि पार्षदों ने संगठन से दूरी बनाकर रखी.

भाजपा संगठन की भी नींद उड़ गई
बहरहाल, वार्डों में विकास कार्य नहीं होने और संगठन कार्यक्रम की आड़ में 50 से ज्यादा भाजपा पार्षद संगठन को बिना बताए एक होटल में लामबंद हुए. यहां महापौर पद के लिए प्रत्याशी के नाम तक की चर्चा की गई, जिससे भाजपा संगठन की भी नींद उड़ गई. उन्हें डर सता रहा है कि निगम में पिछले बोर्ड में हुए, बगावत की स्थिति फिर नहीं पनप जाए. चर्चा है कि बैठक भले ही आयुक्त को घेरने के बहाने बुलाई गई हो, लेकिन भाजपा की कार्यवाहक महापौर शील धाभाई के खिलाफ शुरुआत मानी जा रही है.

 

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