10वीं पास हुकुमचंद को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने दी सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी
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10वीं पास हुकुमचंद को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने दी सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कॉलेजों में जैविक शिक्षा (biological education) के लिए सिलेबस तैयार करने के लिए झालावाड़ के पदमश्री (padmsgree) सम्मानित किसान हुकमचंद पाटीदार को जिम्मेदारी दी है. हुकुमचंद पाटीदार की खेती की डिमांड दुनियाभर के 7 देशों तक पहुंच चुकी है.

10वीं पास हुकुमचंद को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने दी सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी

Jhalawar: देशभर में अब कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में जैविक खेती का भी अलग से पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है. इसे लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि विशेषज्ञों और जैविक कृषि पद्धति अपना रहे प्रगतिशील किसानों की कमेटी गठित की है. इसमें झालावाड़ जिले के मानपुरा गांव निवासी पदम श्री पुरस्कार किसान हुकम चंद पाटीदार को भी शामिल किया है. इनके अलावा जोधपुर से रतनलाल डागा को 20 कमेटी में लिया गया है. 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से इंफाल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अनूप मिश्रा की अध्यक्षता में गठित कमेटी में 14 लोगों को शामिल किया गया है. कमेटी को 2 माह में प्राकृतिक खेती से संबंध में कृषि शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम विकसित करने पर अपनी रिपोर्ट प्रेषित करनी होगी. अब तक कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि महाविद्यालयों में उद्यानिकी एवं वानिकी के अलग से पाठ्यक्रम तो थे, लेकिन जैविक खेती से संबंधित कोई पाठ्यक्रम शामिल नहीं था. ऐसे में अब जैविक खेती का पाठ्यक्रम शामिल होने से परंपरागत और रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा मिलेगा. कृषि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के बीएससी एमएससी पीएचडी में डिग्री पाठ्यक्रम जैविक खेती के शुरू होंगे. 

किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती के गुर सीखेंगे
कृषि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में जैविक खेती का पाठ्यक्रम शुरू हो जाने से देश भर में जैविक खेती का बेहतर माहौल बनेगा. अब तक इस विषय पर कॉलेजों में चर्चा नहीं होने से वैज्ञानिक भी रासायनिक दवाइयों व खाद का उपयोग के बारे में ही बताया करते थे, इससे कृषि भूमि से जैविक कार्बन गायब हो जाता था. अब जैविक खेती के पाठ्यक्रम में शामिल होने के बाद किसानों को भी वैज्ञानिक तरीके से परंपरागत खेती के गुर सीखने को मिलेंगे. 

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अमिर खान में इन्हें लोगों के सामने ला चुके हैं
झालावाड़ जिले के मानपुरा गांव के स्वामी विवेकानंद जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र (Swami Vivekananda Organic Agriculture Research Center) (कृषि फार्म) के संस्थापक हुकमचंद पाटीदार भले ही यह नाम आपके लिए अनजाना हो, लेकिन यह नाम दुनियाभर में जैविक कृषि के लिए मिसाल बना हुआ है. इनके जैविक कृषि फार्म पर नित नए प्रयोग करते हुए जैविक फसल का उत्पादन हो रहा है. जहां से विश्व के सात देशों में रहने वाले लोगों की रसोई तक इस फार्म का शुद्ध अनाज पहुंचता है.

पाटीदार प्रदेश में जैविक कृषि के उदाहरण बनकर उभरे हैं. इनकी सक्सेज स्टोरी को बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान (bollywood Actor Amir khan) के सत्यमेव जयते शो (Satyamev jayte) में भी दिखाया जा चुके हैं. साथ ही इन्हें कृषि क्षेत्र में कई पुरस्कार भी मिले हैं. "जी राजस्थान" ने भी जैविक खेती के जनक हुकम चंद पाटीदार को विशेष तौर पर सम्मानित किया था. जैविक खेती की मिसाल बन चुके हुकम चंद पाटीदार को 16 मार्च 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था. 

शुरूआत 4 बीघे खेत से की थी
ज़ी मीडिया संवाददाता महेश परिहार से हुकम चंद पाटीदार ने विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने दिसम्बर 2004 में जैविक कृषि क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया. सबसे पहले चार बीघा खेत पर जैविक फसल उत्पादन किया. पहले साल गेहूं की फसल उत्पादन में चालीस प्रतिशत गिरावट आई और काफी नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने यह सोच लिया था कि कुछ भी हो रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशी का उपयोग नहीं करेंगे. बैंक से लोन. पंचगव्य का वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद गोबर खाद अन्य जेविक दवाइयां तैयार कर उसका उपयोग किया. इस बार फसल अच्छी हुई. नुकसान की भरपाई होने लगी औऱ सिलसिला चल पड़ा. जिसके बाद हुकम चंद पाटीदार ने पूरे चालीस एकड़ में फैले फार्म में जैविक आधारित कृषि शुरू कर दी. शुरुआत में कम उत्पादन, मार्गदर्शक नहीं होना, विकल्प की कमी, बाजार आदि की समस्याएं भी आई, लेकिन हार नहीं मानी. तब से लेकर अब तक त्वरित वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर जैविक फसल उत्पादन जारी है. 

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पिछले 15 सालों में काफी मुश्किल से हुई शुरुआत के दौरान शुरुआती फसलों में नुकसान के बाद अन्य साथी के साथ और परिजन तो उन्हें पागल भी कहने लगे थे, लेकिन हुकम चंद ने हिम्मत नहीं आ रही और आज उनकी मेहनत पद्मश्री पुरस्कार के सम्मान तक पहुंच गई. हुकमचंद ने बताया कि जैविक उत्पादों को फार्म टू कीचन डॉट कॉम वेबसाइट के माध्यम से पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश व राजस्थान के विभिन्न शहरों में पहुंचाया जाता है. जैविक आटा भी क्षेत्र में सप्लाई होता है. जैविक खेती के उत्पादों की मांग विदेशों में है ऑस्ट्रेलिया जापान न्यूजीलैंड जर्मनी फ्रांस और कोरिया तक यहां से जैविक उत्पाद जा रहे हैं, जिनकी कीमत भी अच्छी मिलती है. हुकम चंद पाटीदार के जैविक कृषि फार्म पर तैयार हुआ मसाला तो जापान जर्मनी और स्विट्जरलैंड तक पहुंचाया जा रहा है.

फार्म पर गेहूं, जौ, चना, मैथी, धनिया, लहसून आदि की खेती होती है. साथ ही दो हजार पौधों के जैविक संतरों के बाग में बड़ी संख्या में संतरों का उत्पादन होता है. उनके द्वारा स्थापित स्वामी विवेकानंद जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र देश के उन चुनिंदा केन्द्रों में जहां पर केन्द्र सरकार की दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि योजना के तहत किसानों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिया जाता है. केन्द्र सरकार की ओर से इस केन्द्र को तीस किसानों के पांच बैच के प्रशिक्षण का जिम्मा सौंप रखा है.

हुकुम चंद पाटीदार द्वारा स्थापित स्वामी विवेकानंद की जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र में 28 देशों के विद्यार्थी, व्यापारी और कृषि विशेषज्ञ अनुसंधान के लिए आ चुके हैं. 2014 में तो अखिल भारतीय स्तर का प्रशिक्षण भी यहां आयोजित हो चुका है और इस फार्म को देखने के बाद देश के 16 राज्यों में ऐसे मॉडल फॉर्म तैयार किए जा चुके हैं.

ज़ी मीडिया ने हुकम चंद पाटीदार के परिवार के सदस्यों से भी बात की जहां एक और उनकी पत्नी ने हर कदम पर उनका साथ दिया और उन्हें हिम्मत नहीं हारने दिया, क्षेत्र के अन्य किसान भी हुकम चंद से जानकारियां लेकर जैविक खेती में हाथ आजमाने लगे हैं. खुशी की बात है कि जैविक खेती के जनक पद्मश्री पुरस्कार श्री हुकम चंद पाटीदार कृषि विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के छात्रों को अब जैविक खेती के गुर सिखाएंगे. 

Reporter: mahesh Parihar

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