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jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर के कई विभागों का कामकाज एक ही अफसर के संभालने के मामले में कड़ी मौखिक टिप्पणी की है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि जब दो नगर निगम नहीं संभल रहे हैं तो शहर को ही दो हिस्सों में बांटकर नया शहर बसा देते, ताकि नया नगर निगम नए कर्मचारियों के साथ काम-काज तो करता.
अदालत ने कहा कि पुरानी नगर निगम के स्टाफ से ही दोनों नगर निगम चला रहे हो तो क्या वार्ड की संख्या बढ़ाकर राजनीतिक उद्देश्य के लिए दो नगर निगम बनाए थे. सीजे पंकज मित्थल व जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह मौखिक टिप्पणी सोमवार को ओपी टांक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह आगामी सुनवाई को बताए कि निगम का कौनसा अफसर किस जगह पदस्थापित है. अदालत ने कहा कि दो निगम बनाने के बाद भी शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने अक्टूबर 2019 में शहर के विकास को सुचारू गति और प्रभावी प्रशासनिक नियंत्रण के नाम पर जयपुर नगर निगम को हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगम के तौर पर दो निगमों में बांटा था.
इसके बावजूद भी गैराज, उद्यान व टाउन प्लानिंग विभाग सहित अन्य विभागों के एक ही अफसर दोनों निगमों का काम देख रहे हैं. जिस पर राज्य के एएजी अनिल मेहता ने कहा कि जयपुर शहर का विस्तार हो गया है और नागरिकों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया था. जिस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि दो नगर निगम संभल नहीं रहे हैं तो बनाने की क्या जरूरत थी. दरअसल पीआईएल में कहा गया कि पूर्व में हाईकोर्ट में नगर निगम के विभाजन को चुनौती दी गई थी.
उस समय एजी ने यह कहते हुए राज्य सरकार का बचाव किया था कि दो नगर निगम होने से प्रशासनिक दृष्टि से आसानी रहेगी और क्षेत्र कम होने से अधिकारी कामों की निगरानी कर सकेंगे. जबकि अधिकारियों का बंटवारा केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है, दोनों नगर निगमों के कई पदों पर एक ही अधिकारी काम कर रहे हैं.
Reporter: Mahesh Pareek
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