विधानसभा में ही गलती कर बैठी गहलोत सरकार, विपक्ष के हंगामे पर वापस हुआ बिल
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विधानसभा में ही गलती कर बैठी गहलोत सरकार, विपक्ष के हंगामे पर वापस हुआ बिल

  राजस्थान विधानसभा में आज सरकार के लिए उस समय अजीब स्थिति हो गई जब सदन में पेश किए गए एक विधेयक के तथ्य ही गलत पाए गए. विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा.

 अशोक गहलोत. मुख्यमंत्री, राजस्थान

जयपुर:  राजस्थान विधानसभा में आज सरकार के लिए उस समय अजीब स्थिति हो गई जब सदन में पेश किए गए एक विधेयक के तथ्य ही गलत पाए गए. विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा. स्पीकर के दखल के बाद सरकार को अपना विधेयक वापस लेना पड़ा.

दरअसल, सदन में गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर विधेयक 2022 को मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने चर्चा के लिए रखा था. चर्चा शुरू हो उससे पहले ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सदन को इस विधेयक में गलत तथ्य पेश करने की जानकारी देते हुए बताया कि जो रिपोर्ट सदन में विधेयक के साथ रखी गई है वो गलत है.

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गलत सूचना देने पर विपक्ष ने किया विरोध

विधेयक में जानकारी दी गई है गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर में विश्वविद्यालय के लिए करीब 80 एकड़ भूमि में से अब तक 24 हजार वर्ग मीटर निर्माण कार्य हो चुका है जो कि सरासर झूठ है. वर्तमान स्थिति में जो सच्चाई है उसके मुताबिक़ गुरुकुल विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए केवल जमीन को समतल किया गया है. एक इन्च निर्माण कार्य भी अभी तक वहां पर नहीं हुआ है. विधेयक पेश कर सरकार सदन को गुमराह करने का काम कर रही है.

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स्पीकर जोशी ने विधेयक वापस लेने को कहा

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस विश्वविद्यालय की भूमि पर जाकर वस्तु स्थिति का जायज़ा लिया था और फोटोग्राफ सबूत के तौर पर सदन में रखे थे. इसके अलावा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जो कमेटी गठित की गई है, उसमें मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति अमेरिका सिंह भी शामिल थे, जिन पर हाल ही में विधानसभा में गंभीर आरोप लगे थे. विपक्ष के विरोध के बाद स्पीकर CP जोशी ने इस विधेयक को वापस लेने के लिए निर्देशित किया.

उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जांच की मांग की

उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए रुपयों का बड़ा लेनदेन हुआ है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए.  वहीं,  नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि लगता है कि पूरे कुएं में ही भांग पड़ी है. क्योंकि विधानसभा तक विधेयक आने से पहले कई चरणों से गुजरता है और किसी ने भी हकीकत जानने की कोशिश नहीं की. वहींं, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने भी इस पूरे मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि यह सदन की अवमानना जैसा है. उन्होंने कहा कि सरकार को भविष्य में ऐसा मैकेनिज्म बनाना चाहिए ताकि इस तरह की गलती नहीं हो.

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