राजस्थान में ऑनलाइन ठगी करने वालों पर शिकंजा, 7 लाख सिम और 76 हजार मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक
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राजस्थान में ऑनलाइन ठगी करने वालों पर शिकंजा, 7 लाख सिम और 76 हजार मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक

राजस्थान में बढ़ती ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराध ने न केवल आमजनता बल्कि दूरसंचार विभाग और पुलिस की भी नींद उड़ा रखी है.इन पर कंट्रोल के लिए पुलिस और दूरसंचार विभाग की टीम लगातार कार्यवाही कर रही है, लेकिन ये मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे.पिछले कुछ महीनों की रिपोर्ट देखे तो दूरसंचार विभाग ने राज्

राजस्थान में ऑनलाइन ठगी करने वालों पर शिकंजा, 7 लाख सिम और 76 हजार मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक

जयपुर: राजस्थान में बढ़ती ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराध ने न केवल आमजनता बल्कि दूरसंचार विभाग और पुलिस की भी नींद उड़ा रखी है.इन पर कंट्रोल के लिए पुलिस और दूरसंचार विभाग की टीम लगातार कार्यवाही कर रही है, लेकिन ये मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे.पिछले कुछ महीनों की रिपोर्ट देखे तो दूरसंचार विभाग ने राज्य में 7 लाख से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन को बंद किया है. ये कनेक्शन फर्जी आइडी के जरिए उठाए थे और पुलिस प्रशासन व टेलीकॉम विभाग की नजर में सदिग्ध थे.

प्रदेश में नेशनल सिक्योरिटी और साइबर क्राइम को देखते हुए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन ने सात लाख से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन ब्लॉक कर दिए हैं. लंबे समय से यूज नहीं आ रहे कनेक्शन, एक ही फोटो और फर्जी डॉक्यूमेंट्स से लिए गए सिम और संदिग्ध मोबाइल नंबर शामिल हैं. टेलीकॉम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, करीब 60 हजार से ज्यादा कनेक्शन केवल अलवर-भरतपुर बेल्ट के मेवात एरिया के बताए जा रहे हैं.

अधिकारियों के मुताबिक, मेवात क्षेत्र में पहाड़ी, जुहररा, नगर, सिकरी, खो, कैथवाड़ा, गोपालगढ़, कामां थाना क्षेत्र है जहां बड़ी संख्या में मोबाइल कनेक्शन बंद किए है..टेलीकॉम अधिकारियों के मुताबिक जिन मोबाइल हैंडसेट में मोबाइल सिम उपयोग की गई, उनमें से 74131 को भी ब्लॉक कर दिया है. इनके आईईएमआई नम्बर बंद कर दिए हैं. टेलीकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक, जो नंबर लम्बे समय से उपयोग में नहीं थे ऐसे करीब 6.28 लाख कनेक्शन थे, जिन्हें बंद किया गया. इसके अलावा मेवात क्षेत्र में बिना वेरीफिकेशन करवाए करीब 60 हजार कनेक्शन चल रहे थे, जिन्हे बंद किया गया.

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ओडिशा-बंगाल-आसाम की 58 हजार सिम से भी ठगी

वहीं, एक ही फोटो से कई फर्जी कनेक्शन लेने के मामले में 12 हजार से ज्यादा कनेक्शन बंद किए गए हैं. दूरसंचार विभाग के निर्देश पर एसओजी ने ऐसी 12 हजार मोबाइल सिम मामले में एफआईआर भी दर्ज की है..पहली बार है केवल एक साल में इतनी बड़ी संख्या में कनेक्शन बंद किए गए हैं..इनके अलावा 58 हजार कनेक्शन ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आसाम के पकड़े हैं. इन सिम के जरिए रजास्थान में साइबर ठगी की जा रही थी. ऐसी गंभीर स्थिति के बाद कुछ दिन पहले ही दूरसंचार विभाग और एसओजी अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई. इसमें आगे की रणनीति तैयार की गई.

मेवात एरिया से 60 हजार से ज्यादा कनेक्शन किए बंद

दूरसंचार विभाग और पुलिस की धरपकड़ के बाद मेवात क्षेत्र में जमे साइबर अपराधियों ने अब दूसरे राज्यों की मोबाइल सिम से ठगी का रास्ता अपना लिया है. इसमें ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आसाम से जारी 58991 संदिग्ध मोबाइल कनेक्शन ट्रेस किए गए. इन कनेक्शन को बंद कराकर संदिग्धों को पकड़ा गया है. दूससंचार विभाग के वरिष्ठ उपमहानिदेशक सिद्धार्थ पोखरना ने बताया की साइबर फ्रॉड होने पर तत्काल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें. साथ में पोर्टल वेबसाइट: https://cybercrime.gov.in/ के जरिए भी तत्काल शिकायत दर्ज कराने की सुविधा है.

इस तरह बंद किए कनेक्शन
-नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के आधार पर बंद- 10224
-लम्बे समय से उपयोग में नहीं, संदिग्ध कनेक्शन- 6,28,523
-मेवात क्षेत्र में संदिग्ध कनेक्शन (वेरीफिकेशन नहीं कराया)- 57000
-एक ही फोटो से कई फर्जी कनेक्शन लिए गए- 12100

नए डिवाइस के जरिए फर्जी सिम का खुलासा
दूससंचार विभाग के वरिष्ठ उपमहानिदेशक सिद्धार्थ पोखरना बताते है. की टेलीकॉम विभाग ने लोगों की सुविधा के लिए नया सिस्टम शुरू किया है. इसके तहत लोगों की आईडी से फर्जी तरीके से सिम अलॉट करवाने पर लोग पता कर सकेंगे कि उनके नाम से कितनी सिम चल रही है. इसके लिए दूरसंचार विभाग ने एक पोर्टल तैयार किया है. जिसका नाम टेफकोप (टेलीकॉम एनालेटिक्स फॉर फ्राड मैनेजमेंट एण्ड कंज्यूमर प्रोटक्शन) है.. इसी पोर्टल के माध्यम से उपभोक्ता फर्जी तरीके से संचालित सिम कनेक्शन को बंद करा सकता है.

पोर्टल पर मौजूद विकल्प पर इसकी जानकारी देनी होगी. इसके बाद डीओटी यह जानकारी संबंधित मोबाइल ऑपरेटर को भेजेगा। यहां से संबंधित उपभोक्ता से मामले की तस्दीक की जाएगी और सही पाए जाने पर कनेक्शन बंद कर दिया जाएगा..एक व्यक्ति अपनी आईडी से अधिकतम 9 मोबाइल सिम कनेक्शन ले सकता है. फर्जी तरीके से मोबाइल सिम हासिल कर अवैध गतिविधि करने के मामले सामने आते रहे हैं.स्थिति यह है कि लोगों को पता ही नहीं लग पा रहा था कि उनके नाम से कितने मोबाइल कनेक्शन जारी हैं.

बैंकिंग फ्राड अनवांटेड काल की होगी जांच
बहरहाल, यह कदम दरअसल वित्तीय अपराधों, आपत्तिजनक कॉल और धोखाधड़ी गतिविधियों की घटनाओं की जांच करने को लेकर उठाया है..एक मोबाइल फोन में एक या दो सिम की जरूरत होती है. तो फिर इस टोकरी भर सिम कार्ड के जरिये यहां कौन सा खेल हो रहा है. खेल नहीं गोरखधंधा है.समझ में आ गया तो बच गए नहीं तो चुटकियों में खाता खाली..फोन से फ्रॉड का ये मॉडल, पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है

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