संगरिया के सैंकड़ों परिवार 20 सालों से पट्टों के लिए रहे है तरस, SDM से लेकर प्रभारी मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार, जानिए मामला
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संगरिया के सैंकड़ों परिवार 20 सालों से पट्टों के लिए रहे है तरस, SDM से लेकर प्रभारी मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार, जानिए मामला

हनुमानगढ़: संगरिया जिले के 6 वार्डों के सैंकड़ों परिवार वर्षों से फाइलें लिए नगरपालिका से लेकर एसडीएम, कलेक्टर और प्रभारी मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं कि उन्हें ग्रामोत्थान विद्यापीठ से खरीदे हुए उनके भूखंडों के पट्टे दिए जाएं. . लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही.

संगरिया के सैंकड़ों परिवार 20 सालों से पट्टों के लिए रहे है तरस, SDM से लेकर प्रभारी मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार, जानिए मामला

हनुमानगढ़: एक तरफ राज्य सरकार जहां प्रशासन शहरों-गांवों के संग अभियान के तहत पट्टा वितरण के लिए शुल्क में बड़ी कटौती कर आमजन को ज्यादा से ज्यादा मालिकाना हक देने की मुहिम चला रखी है. तो वहीं जिले में संगरिया के 6 वार्डों के सैंकड़ों परिवार वर्षों से फाइलोंं लिए नगरपालिका से लेकर एसडीएम, कलेक्टर और प्रभारी मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं कि उन्हें ग्रामोत्थान विद्यापीठ से खरीदे हुए उनके भूखंडों के पट्टे दिए जाएं. लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही. कारण, राज्य सरकार से इन वार्डों के लिए पट्टे देने की मंजूरी नहीं मिल रही यह हालात तब हैं, जब स्थानीय एडीजे कोर्ट ने एक मामले में पट्टा जारी करने का आदेश दिया. लेकिन नगर पालिका इस आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट चली गई. 

ग्रामोत्थान विद्यापीठ द्वारा कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए उच्च न्यायालय के आदेश पर विक्रय किए गए भूखंडों में से एक खरीददार जैला सिंह बराड़ ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 700 परिवार जिन्होंने विद्यापीठ द्वारा विक्रय किए भूखंड खरीदे थे पिछले 20 सालों से लगातार भूखंड का पट्टा बनवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सभी प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर के प्रयास करने के बावजूद उनके भूखंड का पट्टा नहीं बन पाया. बराड़ ने बताया वे लोग पट्टा बनवाने की मांग को लेकर जिला प्रशासन, प्रभारी मंत्री सहित सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मिल कर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई तो जैला सिंह न्यायालय की शरण में पहुंचे जहां न्यायालय ने नगर पालिका को पट्टा बनाने के आदेश दे दिए, लेकिन नगरपालिका संगरिया ने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी, जिसके चलते उनका पट्टा फिर से लटक गया. जैला सिंह ने बताया कि पट्टा ना होने के चलते उनके पास अपने प्लॉट का मालिकाना हक नहीं है, जिसके चलते ना तो उन्हें बैंक लोन दे रहा है और ना ही उनके पास अपने ही भूखंड का पिछले 20 साल से स्वामित्व है. कस्बे में ऐसे लगभग 700 परिवार है जो पट्टा बनवाने के लिए लगातार 20 सालों से दर दर ठोकरें खा रहे है.

पालिका जहां एक ओर इस क्षेत्र में पट्टा जारी करने से कतरा रही है वहीं सड़क, नाली बनवा रही है तो वहीं बिजली, पानी के कनेक्शन के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर रही है. स्थानीय लोगों ने पालिका के दोहरे रवैये को लेकर भी सवाल उठाए. ऐसे में उन्होंने स्थानीय प्रतिनिधि और अधिकारियों को हर जगह गुहार लगाकर उन्हें पट्टा दिलवाने के लिए सहयोग करने की अपील की है.

भूखंड धारक नीरज मित्तल ने बताया कि ग्रामोत्थान विद्यापीठ ने अपने कर्मचारियों की तनख्वाह के पैसे जुटाने के लिए उच्च न्यायालय के आदेश पर विद्यापीठ की जमीन का बेचान किया था. लगभग पिछले 15 साल से 700 परिवार इन भूखंडों का पट्टा बनाने के लिए भटक रहे हैं. विद्यापीठ द्वारा विक्रय किए गए भूखंडों पर निर्माण के लिए जब बैंक से लोन करवाने के लिए जाते हैं तो बैंक इन से भूखंड की रजिस्ट्री और पट्टे की डिमांड करता है. जिसके चलते भूखंड धारकों को लोन भी नहीं मिल पा रहा. इस समस्या को लेकर कई राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी भी उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई है. ऐसे में हम लोग सरकार से मांग करते हैं कि हमारे भूखंडों के जल्द पट्टे बनाकर लगभग 700 परिवारों को राहत दी जाए.

अधिशासी अधिकारी नगर पालिका का बयान
वही नगर पालिका संगरिया के अधिशासी अधिकारी सोहनलाल नायक ने कहा कि ग्रामोत्थान विद्यापीठ द्वारा विक्रय किए गए लगभग 600 से 700 भूखंड धारक पट्टा बनवाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं. जिसको लेकर राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप ही नगर पालिका के जनप्रतिनिधि और प्रशासन लगातार प्रयासरत हैं कि इन लोगों को जल्दी पट्टे जारी करवाए जाएं. जिसको लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ स्वायत शासन विभाग से भी मार्गदर्शन मांगा गया है. 2013 में न्यायालय के एक फैसले में कुछ पेचीदगी के संबंध में भी मार्गदर्शन मांगा गया है. मार्गदर्शन मिलते ही राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप ही जल्द इन लोगों को पट्टे देने के लिए पालिका लगातार प्रयासरत है.

जहां एक ओर राज्य सरकार अधिकाधिक लोगों को भूमि का स्वामित्व देने के लिए पट्टा देने का अभियान चलाए हुए हैं वही संगरिया के लगभग 700 परिवार लगभग दो दशक से पट्टा प्राप्त करने के लिए लगातार संघर्षरत है. इन परिवारों ने न केवल नगरपालिका बल्कि कई प्रशासनिक और राजनीतिक मंचों पर भी पट्टे जारी करने की मांग उठाई, लेकिन अभी तक नतीजा सिफर रहा. वहीं पालिका प्रशासन इन लोगों की पट्टे जारी करने की जायज मांग को लेकर सकारात्मकता के साथ प्रयास करने का दावा करते हुए कह रहा है कि पालिका कोशिश कर रही है कि जल्द ही इन्हें पट्टा जारी करवा इनका हक दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है.

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