दिल्ली में डूंगरपुर की आदिवासी वीर बाला काली बाई के बलिदान पर हुआ नाटक का मंचन
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दिल्ली में डूंगरपुर की आदिवासी वीर बाला काली बाई के बलिदान पर हुआ नाटक का मंचन

 जनपथ पर स्थित उड़ान (द सेंटर ऑफ थिएटर आर्ट एंड चाइल्ड डेवलोपमेन्ट) और इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की ओर से सम्वेत सभागार में बाल रंग महोत्सव में नन्हे रंगकर्मी बच्चों ने राजस्थान के डूंगरपुर जिले की वीर आदिवासी बाला काली बाई के जीवन पर संजय टूटेजा द्वारा निर्देशित एक ना

दिल्ली में डूंगरपुर की आदिवासी वीर बाला काली बाई के बलिदान पर हुआ नाटक का मंचन

डूंगरपूर/दिल्ली : जनपथ पर स्थित उड़ान (द सेंटर ऑफ थिएटर आर्ट एंड चाइल्ड डेवलोपमेन्ट) और इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की ओर से सम्वेत सभागार में बाल रंग महोत्सव में नन्हे रंगकर्मी बच्चों ने राजस्थान के डूंगरपुर जिले की वीर आदिवासी बाला काली बाई के जीवन पर संजय टूटेजा द्वारा निर्देशित एक नाटक का मंचन किया. 75 वर्ष पूर्व इस वीर बालिका द्वारा अपने गुरु की रक्षा के लिए अग्रजों की गोली से स्वयं को बलिदान करने की ऐतिहासिक घटना को जीवन्त कर दिया.

यह नाटक आजादी का 75 वाँ अमृत महोत्सव के अन्तर्गत भारत सरकार के संस्कृति मन्त्रालय के इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र और दिल्ली की संस्था (आई जी एन सी ए) ‘और उड़ान’ संस्था के सौजन्य से बाल रंग महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित हुए.

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अग्रसेन मेडिकल कॉलेज और भारतीय शिक्षा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा इंटर नेशनल वैश्य फ़ेडरेशन के सलाहकार जगदीश मित्तल,पूर्व विधायक अनिल झा आई जी एन सी ए के आयोजक अचल पण्ड्या और विशिष्ट अतिथि जन सम्पर्क विशेषज्ञ गोपेंद्र नाथ भट्ट एलएनटी सरस्वती बाल विध्या निकेतन की प्राचार्य वीणा गोयल ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया.

कहानी को दर्शकों ने सराहा
वीर बाला काली बाई के नाटक की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि के बारे में बताया कि दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग में गुजरात से सटे आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में 75 साल पूर्व आज़ादी से ढाई महीने पहलें 19 जून 1947 को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी, जिसमें रियासत के रास्ता पाल गाँव की एक बहादुर आदिवासी बालिका काली बाई ने अपने गुरु सेंगा भाई की जीवन रक्षा और पाठशाला संचालक नानाभाई खांट के लिए अपने सीने पर अंग्रेजों की गोली खाई थी. यह नाटक इस वीर बाला काली बाई की अपने गुरु के लिए की गई महान शहादत की याद को समर्पित किया गया। इसी प्रकार कानपुर की राजकुमारी मैना का अंग्रेजों द्वारा किया गया कत्ल और देश भक्ति के नाटक ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ ‘आज़ादी की कहानी’ को दर्शकों ने सराहा.

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