Rajasthan News: देव जसनाथ संस्थागत वन मंडल अध्यक्ष बहादुर मल सिद्ध ने बताया कि प्रोफ़ेसर श्यामसुंदर ज्याणी के मार्गदर्शन में डाबला तालाब भूमि पर 11 लघु तालाबों का निर्माण किया जा रहा है.
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Rajasthan News: विश्व मरुस्थलीकरण दिवस पर मध्यकाल के महान पर्यावरण चिंतक जसनाथ जी की अवतरण स्थली डाबला तालाब में प्रदेश के विभिन्न रेगिस्तानी जिलं से जसनाथी सिद्ध अनुयायी एकत्र हुए और भूमि संवाद में हिस्सा लिया.
देव जसनाथ संस्थागत वन मंडल अध्यक्ष बहादुर मल सिद्ध ने बताया कि प्रोफ़ेसर श्यामसुंदर ज्याणी के मार्गदर्शन में डाबला तालाब भूमि पर 11 लघु तालाबों का निर्माण किया जा रहा है. आज निर्जला एकादशी पर तीन तालाब तैयार कर पानी से भर दिए गए एवं शेष तालाब एक सप्ताह में पानी से लबालब होंगे.
तालाबों के चारों ओर विशेष तरह से पौधारोपण किया जाएगा जिसकी शुरुआत भी आज की गई. इस अवसर पर आयोजित भूमि संवाद व लैंड वाक में जसनाथी समाज के बुजुर्गों की अगुवाई में युवाओं ने उत्साह से भाग लिया.
Met Shri Shyam Sunder Jyani, associate prof, Sociology at Govt Dungar College, Bikaner, Rajasthan & winner of UN’s prestigious Land for Life Award 2021 on the sidelines of COP15. Jyani ji’s idea of Familial Forestry won him the prestigious award. He will be felicitated by UNCCD. pic.twitter.com/nk0TFZTcmn
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) May 10, 2022
प्रोफ़ेसर ज्याणी ने बताया कि रुंख रीत को मज़बूती प्रदान करते हुए सभी भागीदारों ने सहकार पर्यावरणवाद की बुलंदी में अपना -अपना योगदान दिया. जलवायु परिवर्तन व भू उपयोग में बदलाव के कारण बनी विषम चुनौतियों का मुकाबला केवल सहकार के पर्यावरणीय विमर्श से ही संभव है क्योंकि सहकार से ही समुदाय एक साथ आकर सामाजिक स्तर पर चुनौतियों का मुकाबला कर सकता है.
यही जसनाथ जी की शिक्षाओं का मूल है जिसका मूर्त स्वरूप डाबला तालाब है.जहां वन्य जीवों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि लघु तालाबों का जाल बिछाने की जरूरत आन पड़ी है. ये लघु तालाब हमारे संस्थागत वनों की तरह ही आने वाले वक्त के लघु पारिस्थितिकी तंत्र होंगे.इस अवसर पर सामूहिक रूप से राबड़ी का सेवन कर देसज भोजन की महता का नारा बुलंद किया गया.