इस अलबेले शहर की है सबसे अलबेली होली, पीएम मोदी और सीएम योगी पर बनी पैरोडी पर झूमते हैं लोग
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इस अलबेले शहर की है सबसे अलबेली होली, पीएम मोदी और सीएम योगी पर बनी पैरोडी पर झूमते हैं लोग

अलबेले शहर बीकानेर में होली अलग ही समां बांधती है. अल्हड़ और मदमस्त स्वभाव के परकोटे के लोगों में फाग का रंग बिखरना शुरू हो गया है. जब मनोरंजन के साधन कम होते थे उस जमाने में होली पर ऐतिहासिक कथानकों पर आधारित रम्मतें मनोरंजन का जरिया होती थी.

फाइल फोटो

Bikaner: अलबेले शहर बीकानेर में होली अलग ही समां बांधती है. अल्हड़ और मदमस्त स्वभाव के परकोटे के लोगों में फाग का रंग बिखरना शुरू हो गया है. जब मनोरंजन के साधन कम होते थे उस  जमाने में होली पर ऐतिहासिक कथानकों पर आधारित रम्मतें मनोरंजन का जरिया होती थी. इन्हीं रम्मतों के जरिए आम लोग उल्लास और कला की अभिव्यक्ति करते थे. यह परम्परा जस की तस बीकानेर में होली पर रम्मतों के रूप में होती हैं. नाट्य कला की अद्भूत विधा रम्मतें आज भी बीकानेर के जन जीवन में उल्लास भरती हैं. भले जमाना टीवी का हो या त्वरित दृश्य मीडिया का, रम्मत परम्परा लोक जीवन में जस की तस है.

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बसंती बयार के इस फाल्गुन माह में जीवन की एक अलग ही उमंग होती है. जीवन के रंगों को दर्शाता यह महीना अपनी अल्हड़ता और मस्ती के लिए पूरी दुनिया में विशेष अंदाज में जीया जाता है. भारत में फाल्गुन माह में रंगों का त्योहार होली अपना विशेष स्थान रखता है. वैसे तो ''ब्रज की लठ मार होली पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखती है, लेकिन राजस्थान के बीकानेर की होली भी अपने अंदर मस्ती, उल्लास के साथ-साथ परंपरा के विशिष्ट रंग लिए हुए हैं. इस शहर को सबसे अलग बनाती है. अपनी परंपरा की विरासत को लगातार आगे बढ़ाने के साथ साथ वर्तमान की राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक मुद्दों को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत करना.

रम्मतों का शहर बीकानेर 
बीकानेर में होली की रंगत दो तरह से आगे बढ़ाई जाती है एक तरफ पारम्पारिक रम्मते तो वहीं डफ की थाप पर वर्तमान मुद्दों को लेकर होली की धमाल. पहले हम बात करते है परंपरा की विरासत को आगे बढ़ाती रम्मतों के बारे में होली के दिनों में होने वाली रम्मतों के कारण ही बीकानेर को रम्मतों का शहर कहा जाता है. होलकाष्टक के दिनों में शहर के प्रत्येक चौक में किसी न किसी रम्मत का आयोजन अवश्य होता है. रम्मत नाटक की एक विधा है जिसमें पात्र अभिनय करते हैं. रम्मत में पात्रों द्वारा गद्य विद्या में संवाद बोले जाते हैं और ख्याल, लावणी, चौमासे गाए जाते हैं. रम्मत में किसी न किसी कथानक का सहारा लेकर भी अभिनय होता है. बीकानेर शहर के बारहगुवाड़ चौक में फक्कडदाता की रम्मत, हडाऊ मेरी की रम्मत, स्वांगमेरी की रम्मत खेली जाती है. इसी तरह बिस्सों के चौक में भक्त पूरणमल या शहजादी नौटंकी का मंचन होता है. इसी तरह भटडों के चौक में हड़ाऊ मेरी की रम्मत, आचार्यों के चौक में अमरसिंह राठौड़ की रम्मत व किकाणी व्यासों के चौक में जमनादास कल्ला की रम्मत का आयोजन होता है. रम्मतों में उमड़ने वाली भीड़ से स्वत: अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीकानेर का आम जनमानस कितने गहरे तक अपनी परंपराओं व रीति-रिवाजों से आज भी जुड़ा हुआ है. इस बार की रम्मते 10 मार्च से 16 मार्च तक चलेगी.

राममंदिर, धारा 370 और यूपी चुनाव पर पैरोडी गाने 
रम्मते जो अपनी ओर परंपरा को जोड़ती है तो वहीं, वर्तमान के राजनीतिक आर्थिक मुद्दों पर गाने वाले अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान फंसे भारतीय छात्रों को ऑपरेशन गंगा अभियान चलाकर वापस भारत लाने के बीच होली पर मस्तानों की टोली ने चंग की थाप पर इसके समर्थन में पैरोडी सोंग बनाकर केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए इसे राष्ट्रहित में लिया गया कदम बताया है. हुरियारों की इस पहल को सोशल मीडिया पर खूब पसंद भी किया जा रहा है. शाम होते ही चंग की थाप पर प्रधानमंत्री मोदी के ऑपरेशन गंगा को लेकर बनाए गए. पैरोडी गाने को सुनने के लिए शहरवासियों का भीड़ इकट्ठी हो जाती है. पैरोडी सोंग में राममंदिर, धारा 370, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, यूपी चुनाव के दौरान आकर्षण का केंद्र रही बुल्डोजर को लेकर भी इस पैरोडी सोंग में हुरियारे मस्ती के साथ गाते दिखते हैं.

गाने को लिखने वाले सत्यनारायण बताते हैं कि वे प्रधानमंत्री मोदी ने आज तक जो भी फैसला लिया है, हम उससे प्रभावित हैं. इसलिए हमनें मोदी के फैसले जैसे ऑपरेशन गंगा, राम मंदिर के मुद्दे, धारा 370 काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, 3 तलाक, अपने गाने में लयबद्ध किया हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने फैसला लेने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बता दें कि बीकानेर में होली पर धमाल गाने की बहुत पुरानी परंपरा है. बसंत पंचमी के बाद से ही ये मस्ताने देश के वर्तमान हालातों पर पैरोडी गाना बनाकर गाते हैं. चंग की थाप पर हुरियारों की इस पहल को सोशल मीडिया पर भी अपार समर्थन मिल रहा हैं. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध के बीच हुरियारों की ये तस्वीरें सुकून देने वाली हैं.

बीकानेर की इस लोक सांस्कृतिक परंपरा में आज भी कोई व्यक्ति अछूता नजर नहीं आता है. चाहे वह सामान्य हो चाहे राजनेता शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला खुद रम्मतों के अभ्यास में अभ्यास करते नजर आते हैं तो साथ ही रम्मतों के मंचन में मंच सांझा करते हैं. रम्मत कलाकार रतनलाल कहते हैं कि इस बार शृंगार रस की रम्मत में देश के वर्तमान हालात, मोदी और गहलोत के द्वारा किए गए कार्य पर आधारित है साथ व्यंग्य के रूप में गैस और पेट्रोल की बढ़ी कीमतों पर गाना बनाया गया है. रम्मतों के इस अनूठे आयोजन में ख्याल व चौमासा के जरिये वर्तमान राजनीति प्रमुख समस्याओं पर कटाक्ष किया जाता ही है. वहीं, आज के मोबाइल व टीवी के युग मे भी परंपरा को जीवंत रखा जा रहा है.

Report: Tribhuvan Ranga

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