बीकानेर : पुलिस के पांव पकड़ गिड़गिड़ाता किसान, ये तस्वीर शासन के गाल पर तमाचा है
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बीकानेर : पुलिस के पांव पकड़ गिड़गिड़ाता किसान, ये तस्वीर शासन के गाल पर तमाचा है

Kolayat, Bikaner News : बीकानेर के कोलायत विधानसभा क्षेत्र के बज्जू में एक बेबस किसान की तस्वीर सामने आई है. यूरिया खाद के लिए लाइनों में लगे किसानों की ये तस्वीर राजस्थान में व्यवस्थाओं की पोल खोलती है

यूरिया खाद के लिए गिड़गिड़ाता किसान

Kolayat, Bikaner : ये तस्वीर बीकानेर जिले के बज्जू उपखंड की है. पुलिस के पांव पकड़ते, गिड़गिड़ाते इस व्यक्ति का नाम रामेश्वरलाल विश्नोई है. रोता गिड़गिड़ाता हुआ रामेश्वरलाल कह रहा है.. साहब मैं बीमार हूं, हाड कंपाने वाली ठंड में यहां आना मेरी मजबूरी है, मेरी विनती सुन लो. लेकिन असल में बीकानेर समेत राजस्थान के अलग अलग इलाकों में इस तरह के न जाने कितने ही रामेश्वरलाल है जो कड़ाके की ठंड में इन दिनों यूरिया की कतार में लगे रहते है. घंटों इंतजार होता है. सैकड़ों लोगों के कतारें और आखिर में यूरिया के चंद कट्टे. अधिकांश किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है.

बीकानेर के बज्जू उपखंड क्षेत्र में यूरिया की किल्लत लगातार जारी है जिसके चलते जब यूरिया पहुँची तो एक किसान यूरिया के लिए गिड़गिड़ाने लगा और यूरिया के बैग लेने की याचना करने लगा. मोडायत निवासी किसान रामेश्वरलाल बिशनोई ने बताया कि पिछले कई दिनों से वो भटक रहा है. मगर लंबी लाइन में वो लगने में सक्षम क्योंकि वो बीमार है. साथ ही वृद्ध अवस्था की दहलीज पर है. लेकिन उसके गिड़गिड़ाने से भी राहत नहीं मिली. जिम्मेदार व्यक्तियों का दिल नहीं पिसीजा. बज्जू में यूरिया के लिए लगी लाइन किसानों की भीड़ और पुलिस के आगे पैरों में गिर गिड़गिड़ाता किसान.

हमारी व्यवस्था नहीं तोड़ सकते

जब इस बारे में वहां मौजूद जिम्मेदार लोगों से पूछा गया तो उनका कहना है कि हम अपनी व्यवस्था को नहीं तोड़ सकते. नंबर आएगा तभी यूरिया दिया जाएगा. जो पहले आया उसे मिल जाएगा और जो बाद में आया वो खाली हाथ लौट जाएगा.

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व्यवस्था टूटती नहीं है, व्यवस्था तोड़ती है. किसानों की उम्मीदों को, युवाओं के अरमानों को और बहुतेरे किसानों की सांसों को. फोटो में दिख रहा खादी वर्दी धारी इसी व्यवस्था का प्रतीक है और गिड़गिड़ाते किसान की तस्वीर उस बेबस जनता का प्रतिनिधित्व करती है जो अदम गोंडवी के शब्दों में कह रही है- तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है...मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है.

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