सवाईमाधोपुर: नर्सरी में अमरुद के पौधे हैं तैयार, बेसब्री से है मानसून का इंतजार
Advertisement

सवाईमाधोपुर: नर्सरी में अमरुद के पौधे हैं तैयार, बेसब्री से है मानसून का इंतजार

अमरुद के प्रति किसानों के रुझान को देखते हुए इसके पौधे के नर्सरियों की संख्या काफी बढ़ चुकी है. 

एक पौधे पर करीब 20 से तीस रुपये का खर्चा आता है. (प्रतीकात्मक फोटो)

सवाईमाधोपुर: जिस तरह सवाईमाधोपुर विश्व मानचित्र पर टाइगर सिटी के नाम से जाना जाता है. ठीक उसी तरह यहां का अमरुद देश के कोने कोने में अपनी मिठास के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि जिले के किसानों का रुझान अब सरसो और गेहूं की फसलों को छोड़ कर अमरुदों की बागवानी की ओर बढ़ा है.

उद्यान विभाग की माने तो गत वर्ष इस बार 90 हजार मीट्रिकटन के लगभग अमरुद का उत्पादन हुआ था और यह आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. पिछले 9 माह से अमरुदों की पौध तैयार करने वाले नर्सरी संचालक अब मानूसन आने की प्रतीक्षा बेसब्री से कर रहे है. वहीं किसान भी पौधारोपण के लिए बरसात का इंतजार कर रहे है. 

मिठास एवं अच्छी किस्म के चलते सवाईमाधोपुर का अमरुद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है. जिला मुख्यालय के आस पास के क्षेत्र रामसिंहपुरा, करमोदा, सूरवाल सहित कई गांव अमरुद की अच्छी फसल के लिए जाने जाते है. यहां बर्फखाना, सफेदा लखनवी, इलाहाबादी  और गोला किस्म के अमरुदों की फसल तैयार की जाती है. जिसकी पूरे देश में काफी ज्यादा डिमांड है.

अमरुद के प्रति किसानों के रुझान को देखते हुए इसके पौधे के नर्सरियों की संख्या काफी बढ़ चुकी है. लगभग हर गांव में पौध तैयार की जा रही है. नर्सरी संचालक किसानों के साथ मिलकर अच्छी किस्म के पोधे तैयार करते है. ताकि किसानों को बागवानी का पूरा लाभ मिल सके. नर्सरी सचालको की माने तो पौध तैयार करने में 9 माह का समय लगता है और एक पौधे पर करीब 20 से तीस रुपये का खर्चा आता है. 

पूरे 9 माह तक देखरेख करने के बाद अब नर्सरी के पौधे पूरी तरह से तैयार हो चुके है बस इंताजार है तो मानूसन का. मानसून की पहली बरसात होने के साथ ही किसान अमरुदो के पौधे रोपण का कार्य शुरू कर देते है. जो अगस्त सितम्बर तक लगातार चलता रहता है.

Trending news