प्रदेश के इस राष्ट्रीय उद्यान से प्रवासी पक्षियों का पलायन, दो साल बाद इन वर्गों को मिली थी बड़ी राहत
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प्रदेश के इस राष्ट्रीय उद्यान से प्रवासी पक्षियों का पलायन, दो साल बाद इन वर्गों को मिली थी बड़ी राहत

घना में मौसम बदलने के साथ ही अब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से प्रवासी पक्षियों के लौटने का दौर शुरू हो गया है. काफी संख्या में प्रवासी पक्षी लौट चुके हैं जबकि कुछ मार्च तक लौट जाएंगे. हालांकि, पर्यटन की दृष्टि से इस बार का सीजन पिछले दो साल के मुकाबले काफी अच्छा रहा.

 

प्रवासी पक्षियों का लौटना

भरतपुर स्थित विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से मौसम में बदलाव के साथ ही प्रवासी पक्षियों की विदाई का दौर भी शुरू (Migratory birds returning from Keoladeo National Park) हो गया है. दूरदराज से आए तरह-तरह के प्रवासी पक्षी अब उद्यान से विदाई लेने लगे हैं. कई प्रवासी पक्षी तो पूरी तरह से पलायन कर चुके हैं जबकि कुछ के लौटने का सिलसिला अभी चल रहा है. बताया जा रहा है कि अगले मार्च तक ये भी यहां से विदा (Migratory birds will return till March end) ले लेंगे. वहीं, कोरोना के चलते दो साल से सूनापन झेल रहे घना में इस बार अच्छी संख्या में पर्यटक पहुंचे थे. इससे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के नेचर गाइड, रिक्शा चालक समेत शहर के होटल व्यवसायी एवं अन्य पर्यटन व्यवसायियों को भी राहत मिली थी.

ये पक्षी कर गए पलायन

नेचर गाइड नवीन करौला ने बताया कि अब मौसम में बदलाव होने लगा है. धीरे-धीरे तापमान भी बढ़ने लगा है. इसकी वजह से बर्फीले प्रदेशों और देशों से आने वाले कई प्रवासी पक्षी यहां से पलायन कर गए हैं. साइबेरियन रूबी थ्रोट, पिनटेल, पोचार्ड और मेलार्ड जैसे प्रवासी पक्षी उद्यान से पूरी तरह से जा चुके हैं.)

ये भी लेने लगे विदाई

नवीन करौला ने बताया फिलहाल उद्यान में पेलिकन पक्षी अच्छी संख्या में देखने को मिल रहे हैं, लेकिन अब ये भी पलायन कर रहे हैं. इनकी संख्या अब पहले की तुलना में कम होने लगी है. साथ ही ग्रे लेग गीज, बार हेडेड गीज के पलायन का सिलसिला भी शुरू हो गया है. ये सभी पक्षी भी मार्च अंतिम सप्ताह या अप्रैल प्रथम सप्ताह तक उद्यान से पलायन कर जाएंगे.

4 माह में 55 हजार से अधिक पर्यटक

उद्यान विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार पर्यटन सीजन में 1 अक्टूबर 2021 से 31 जनवरी 2022 तक 55 हजार से अधिक पर्यटक उद्यान घूमने के लिए पहुंचे. इनमें भारतीय पर्यटकों की संख्या 44,389, विदेशी पर्यटक 189 और 10,799 विद्यार्थी भी शामिल हैं. रेंजर जतन सिंह ने बताया कि राहत की बात यह है कि दो साल से सूनापन झेल रहे घना के नेचर गाइड, रिक्शा चालक, होटल व्यवसायी समेत अन्य पर्यटन व्यवसायियों को पर्यटकों के आने से अच्छी आय भी हुई है. सिर्फ उद्यान की बात करें तो यहां आने वाले पर्यटकों से टिकट कलेक्शन के जरिए ही इस सीजन में 50 लाख रुपए से अधिक की आय हुई है.

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