भरतपुर: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को मिला पानी, प्रशासन को अधिक प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद
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भरतपुर: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को मिला पानी, प्रशासन को अधिक प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद

मौसम में हल्की ठण्डक शुरू होने से इस साल घना प्रशासन को विंटर सीजन के बेहतर होने की संभावना जताई है. साथ ही अच्छी संख्या में प्रवासियों के आने की उम्मीद है. 

यहां हर साल 500 से 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है.

देवेन्द्र सिंह/भरतपुर: पानी से संकट से जूझ रहे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में गोवर्धन कनाल से मिले पानी ने जान फूक दी है. कैनाल से अभी तक घना को करीब 280 एमसीएफटी से अधिक पानी मिल चुका है. इस पानी को उद्यान प्रशासन ने पहले उन ब्लॉकों में छोड़ा है, जो पक्षियों की सर्वाधिक पसंदीदा जगह हैं. इसमें सात ब्लॉक प्रमुख रूप से शामिल हैं. 

वहीं, पिछले चार दिन से शहर के आसपास हो रही रुक-रुक कर बरसात ने भी उद्यान प्रशासन को राहत दी है. उधर, मौसम में हल्की ठण्डक शुरू होने से इस साल घना प्रशासन को विंटर सीजन के बेहतर होने की संभावना जताई है. साथ ही अच्छी संख्या में प्रवासियों के आने की उम्मीद है. 

गौरतलब है कि अगले माह अक्टूबर से घना में शीत ऋतु (विंटर सीजन) सीजन शुरू हो जाएगा. इससे पहले पानी की किल्लत के चलते सीजन प्रभावित होने की आशंका बनी हुई थी. हालांकि, घना प्रशासन चंबल लिफ्ट परियोजना से अपने कोटे का पानी अक्टूबर से नवम्बर के बीच लेने की योजना बना रहा है. 

फिलहाल करीब 20 एससीएफटी पानी ही शुरुआत में लिया गया था. अभी छोड़े पानी के बाद में कम होने पर ब्लॉकों में वापस पानी छोड़ा जाएगा, जिससे सीजन के दौरान पक्षियों की दुनिया में किसी तरह का खलल नहीं पड़े. घना में हर साल 500 से 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है.

प्रमुख ब्लॉकों में छोड़ा गया है पानी
घना में फिलहाल उन ब्लॉकों में पानी छोड़ा गया है, जहां अच्छी संख्या में पक्षी नेस्टिंग और ब्रीडिंग करते हैं. अभी ब्लॉक बी, डी, ई, एफ, के, एल व एन शामिल हैं वहीं, के ब्लॉक में अभी पानी कम है. जबकि एफ-2 व एलडब्ल्यू में छोड़ा जाना बाकी है

ठण्डक के साथ ही बढ़ेगी पक्षियों की संख्या
वहीं, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक डॉ.अजीत ऊचोई के मुताबिक जैसे-जैसे ठण्डक बढ़ेगी, उसी के साथ घना में पक्षियों की संख्या बढनी शुरू हो जाएगी. हालांकि, प्रवासियों पक्षियों का आना शुरू हो गया है और माइग्रेटी पक्षी पिन्टेल, सबलर, कूट व गागनी टिल आदि ने घना में डेरा जमा लिया है. इन पक्षियों ने नेस्टिंग भी शुरू कर दी है. ज्यादातर माइग्रेटी पक्षी मध्य एशिया, चाइना, साईबेरिया, उज्बेकिस्तान की तरफ बर्फवारी होने पर पलायन कर घना समेत कई स्थानों पर पहुंचते हैं.

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