दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर बाड़मेर भाजपा ने याद किया उनका योगदान
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दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर बाड़मेर भाजपा ने याद किया उनका योगदान

Barmer: दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर बाड़मेर भाजपा ने उनका योगदान याद किया.

दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर बाड़मेर भाजपा ने याद किया उनका योगदान

Barmer: केंद्र सरकार की वित्तीय समावेशन की योजना आज समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही है तो वह पंडित जी के अंत्योदय का ही उदाहरण है. पं. दीनदयाल जी के विचारों का ही प्रभाव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना’ की शुरुआत की जो आज ग्रामीण भारत की एक नई क्रांति बन चुकी है, जनसंघ की नींव डालने वाले एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता हैं.

कोई राजनीतिक दल इतने कम समय में एक विचार, एक राजनीतिक व्यवस्था, एक राजनीतिक दल, विपक्ष से लेकर विकल्प तक की यात्रा को पार कर ले तो इसे क्या कहेंगे? कोई इसे चमत्कार कह सकता है, लेकिन यह चमत्कार नहीं बल्कि संगठन आधारित राजनीति का अद्भुत उदाहरण है. जनसंघ से भाजपा के उदय तक पार्टी ने विपक्ष से राजनीति के मजबूत विकल्प का सफर तय किया है तो उसकी नींव डालने वाले व्यक्तित्व थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय. उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा किया, उसी का परिणाम है कि भारतीय जनसंघ से लेकर के भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल अपनी अलग पहचान रखता है, यह बात हमीर सिंह जी भायल ने सिवाना स्थत भाजपा कार्यालय में आयोजित दीन दयाल उपाध्याय जयंती के अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही.

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इस अवसर पर महामंत्री हिन्दू सिंह सिणेर ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे, अगर मेरे पास एक दो और दीनदयाल हो. तो मैं हिंदुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल सकता हूं.दरअसल पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कांग्रेस के विकल्प के तौर कार्यकर्ता के निर्माण पर जोर दिया, उनका उद्देश्य ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार करना था जिसका एक स्वतंत्र चिंतन हो. राष्ट्रभक्ति से प्रेरित हो और राष्ट्र-समाज को समर्पित हो. उन्होंने अपनी पूरी शक्ति संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने, कार्यकर्ता के निर्माण और संगठन के विस्तार में लगा दी. आज संघ और भाजपा जिस मुकाम पर है उस विचार की नींव पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही डाली थी.

एक वक़्त था जब पंडित जवाहरलाल नेहरु के दौर यह माना जाता था कि देश में कांग्रेस का ही शासन रहेगा. लेकिन नेहरू के बाद कौन? पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था. लेकिन अचानक 1962 से 1967 के बीच एक ऐसा राजनीतिक खालीपन आया कि देश को लगा कि इस रिक्तता को कौन? भरेगा? पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि की वजह से ही वैकल्पिक राजनीति का दौर आया. लेकिन पंडित दीनदयाल का विचार संगठन तक सीमित नहीं था. उनका आर्थिक दर्शन भाजपा की राजनीति का केंद्र है. दीनदयाल जी कहते थे- “आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा.”

सुजा राम देवासी ने कहा की बचपन में ही माता-पिता को खोने वाले पंडित जी अभाव की पीड़ा को बखूबी महसूस करते थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले पंडित जी 1951 तक संघ में विभिन्न पदों पर रहकर समाज चेतना का कार्य करते रहे. 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई तब से उन्होंने अपनी सेवाएं जनसंघ को अर्पित कर दी. स्वदेशी को जीवन में आत्मसात करने वाले दीनदयाल उपाध्याय उच्च कोटि के पत्रकार थे. इस अवसर पर जगदीश सिंह राजपुरोहित, उत्तम सिंह,नग सिंह ने भी अपने विचार रखे.
कार्यक्रम में बाबू लाल कच्छवाह, भेरा राम माली, उम सिंह मवडी, बाबू सिंह मेली, छगन सिंह थापन, मदन लाल देवासी,खानू राम देवासी, सांवल राम सुथार, गुड़ा सरपंच जबर पूरी ,कान सिंह अर्जियाणा, सवाई सिंह पादरडी,प्रभु राम भील,बंशी लाल घांची, सहित भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे.

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