एड्स संविदा कर्मियों पर एक दिन का ब्रेक लगाने से गुस्से में कर्मचारी
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एड्स संविदा कर्मियों पर एक दिन का ब्रेक लगाने से गुस्से में कर्मचारी

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको नई दिल्ली द्वारा पिछले 15 सालों से हाई रिस्क जोन पर कार्य कर रहे एड्स कार्मिकों पर एक दिन का ब्रेक लगाने से प्रदेश भर में भारी रोष व्याप्त है.

एड्स संविदा कर्मियों पर एक दिन का ब्रेक लगाने से गुस्से में कर्मचारी

Barmer: राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको नई दिल्ली द्वारा पिछले 15 सालों से हाई रिस्क जोन पर कार्य कर रहे एड्स कार्मिकों पर एक दिन का ब्रेक लगाने से प्रदेश भर में भारी रोष व्याप्त है. नाको द्वारा लगातार किये जा रहे एड्स संविदा कार्मिकों के शोषण के विरोध व तुगलकी फरमान को वापस लेने की मांग को लेकर आज शुक्रवार को बाड़मेर जिले के समस्त एड्स कामिर्कों द्वारा जिला कलेक्टर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, स्वास्थ्य मंत्री राजस्थान सरकार एवं महानिदेशक, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) नई दिल्ली के नाम ज्ञापन सौंपा गया.

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ज्ञापन में बताया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको नई दिल्ली, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पूरे देश में एड्स रोगियों के जांच, परामर्श एवं उपचार के लिए गत 15 सालों से अधिक समय से कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत एआरटी सेंटर, आईसीटीसी, एसटीआई, पीपीटीसीटी, डेपकू इत्यादि कम्पोनेंट में लगभग 30 हजार कार्मिक कार्य कर रहे हैं. 

इसमें राजस्थान के लगभग 700 कमर्चारी एड्स विभाग में 15 सालों से न्यूनतम वेतन पर कायर्रत हैं. इन कामिर्कों को किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं दिया जा रहा है तथा निरंतर प्रतिवर्ष इनके अनुबंध बांड भरवाये जाकर इनकी सेवा का विस्तार किया जाता है. इसके विपरीत एनएचम, आरएनटीसीपी व अन्य कई कार्यक्रमों में कामिर्कों से इस तरह के सालाना बांड नहीं भरवाये जाते हैं एवं उनकी पराफोर्मेंस के आधार पर वार्षिक सेवावृद्धि कर दी जाती है.

ज्ञापन में बताया कि नाको द्वारा माह मार्च 2022 में तानाशाही रवैया अपनाते हुए समस्त कामिर्कों को एक दिन का ब्रेक देते हुए दिनांक 2 अप्रैल 2022 से इनकी सेवाओं का विस्तार किये जाने के आदेश जारी किये गये हैं. नाको द्वारा उठाया गया यह कदम पूरी तरह से कामिर्कों के मानवाधिकार के विरूद्ध है. नाको द्वारा लगातार कामिर्कों का शोषण किया जा रहा है. वर्ष 2020 में केंद्र के मेडिकल ऑफिसर्स का वेतन पुनरीक्षण करते हुए मूल वेतन में 45 प्रतिशत की वृद्धि तथा अनुभव के आधार वर्ष वार वार्षिक वेतनवृद्धि अतिरिक्त की गई. किंतु अन्य कामिर्कों के साथ भेदभाव करते हुए वेतन पुनरीक्षण आज तक नहीं किया गया. जोकि इनकी दोहरी मानसिकता को दर्शाता है.
इस अवसर पर एआरटी सेंटर के डाटा मैनेजर अबरार मोहम्मद, काउंसलर अनंत सचान, अलका शर्मा, एलटी प्रकाश चंद्र पूनड़, फार्मासिस्ट उम्मेद सिंह, आईसीटीसी काउंसलर मनीष शर्मा, पीपीटीसीटी काउंसलर शांति चौधरी सहित जिले के समस्त पीएचसी सीएचसी पर कार्यरत काउंसलर व एलटी कार्मिकों ने एक दिन के ब्रेक का विरोध जाहिर करते हुए इसे निरस्त करने की मांग की.

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