तीन सरकारी नौकरियां छोड़ कर बारां का धनराज बना किसान, आज 40 लोगों को दे रहा रोजगार
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तीन सरकारी नौकरियां छोड़ कर बारां का धनराज बना किसान, आज 40 लोगों को दे रहा रोजगार

वर्तमान में सरकारी नौकरी की चाह युवाओं में इस कदर हावी है कि वह सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं. कस्बे के एक युवा ने एक नहीं, तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर उस क्षेत्र को अपनाया जिसको किसान घाटे का सौदा या मौसम का जुआ कहते हैं.

तीन सरकारी नौकरियां छोड़ कर बारां का धनराज बना किसान, आज 40 लोगों को दे रहा रोजगार

Baran News : वर्तमान में सरकारी नौकरी की चाह युवाओं में इस कदर हावी है कि वह सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं. कस्बे के एक युवा ने एक नहीं, तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर उस क्षेत्र को अपनाया जिसको किसान घाटे का सौदा या मौसम का जुआ कहते हैं. इस युवा ने सरकारी नौकरी छोड़कर किसान बनने वाले बारां जिलें के छीपाबड़ौद क्षेत्र के युवा किसान धनराज लववंशी ने बताया कि इजराइल की पद्धति से खेत को मल्टीक्रोप हार्वेस्टिंग फार्मूला अपनाकर प्रदेश की सबसे बड़ी मल्टीक्राप फसल तैयार करने वाले वह प्रदेश के पहले किसान हैं. सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद पहली बार मुनाफा काश्त से खेत जोतकर लाखों रुपए का मुनाफा कमा कर दिखाया.

छीपाबड़ौद कस्बे के सीमावर्ती आसलपुर में रहने वाले 29 वर्षीय धनराज लववंशी ने वर्ष 2019 में अकलेरा कोर्ट से क्लर्क की नौकरी छोड़ी. फिर तहसील में क्लर्क बन गए. यही नहीं भाग्य ने फिर साथ दिया और इसी साल थर्ड ग्रेड टीचर में भी चयन हो गया. प्रकृतिक से लगाव और खेती के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने की ललक में उन्होंने तीनों नौकरियां छोड़ दी. जिसके चलते परिजनों ने विरोध किया और अपनों के ताने भी सुनने पड़े. परंपरागत खेती में कुछ नया करने की ललक उन्हें महत्मा फुले कृषि विद्यापीट रूहोरी महाराष्ट्र ले गई. यही नहीं, उन्होंने अलग-अलग स्थानों से खेती की उत्तम पद्धति से जुड़ी बारीकियां सीखी और इजरायल पद्धति पर खेती कर मल्टीक्राप फार्मूले का अध्ययन करके वेजिटेबल तकनीक व फसलों की गुणवत्ता के बारे जानकारी जुटाकर वापस लौटकर आए.

सारथल कस्बे में मुनाफे से खेत लेकर खेती शुरू की. पहली बार सोयाबीन की फसल पर अध्यन को अजमाया और सफल रहे. जिससे पहली बार 42 लाख की फसल हुई. 45 बीघा में चार लाख का खर्चा हुआ और 38 लाख का मुनाफा निकला. इस बार वेजिटेबल हार्वेस्टिंग की खेती कर रहे हैं. 40 बीघा में दस तरीके की ऑफ सीजन की वेजिटेबल लगाई है. जिसमें मिर्ची, टमाटर, बैंगन, भिंडी, करेला, गिलकी, लोकी, तरबूज, खरबूजा और गेंदा फूल की फसल तैयार की जा रही है. जिससे करीब एक करोड़ की आय का लक्ष्य है.

धनराज लववंशी ने मल्टीक्राप हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी से की जा रही खेती में क्षेत्र के करीब 40 महिला-पुरुषों को रोजगार मुहैया कराया है. यह लोग प्रतिदिन खेत में उगी फसल की देखरेख करने से लेकर दवा के छिड़काव, बेकार के पौधों को अलग करने व नर्सेरी से तैयार पौधों को रोपने सहित अन्य कार्य करते हैं.

कम पानी से अधिक फसल
खेती के लिए सबसे जरूरी पानी के लिए पूरे खेत में वॉटर डिपिंग पद्धति अपनाई है. ताकि जरूरत के अनुसार फसल को पानी मिल सके. युवा किसान लववंशी ने बताया कि इस पद्धति से चालीस बीघा में एक दिन में सिंचाई संभव हो जाती है और पानी बचाने में कारगर है. किसान ने बताया चार साल पहले अकलेरा में डेयरी फार्म में किस्मत आजमाई और सफल रहे. आज इनके पास दुधारू 23 उन्नत किस्म की भैंसें व गायें है. जिनका दूध बड़ी डेयरियों में सप्लाई करने के लिए चैन सिस्टम बनाया है. इससे हर माह होने वाली आय का आधा हिस्सा खेती में लगाते हैं. आधुनिक टेक्नोलॉजी का उचित फायदा लिया. लववंशी बताते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सीखने के लिए बहुत कुछ है. इसका सही उपयोग यूथ के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

क्षेत्र में पहली मल्टीकोर्प हार्वेस्टिंग फॉर्मूले से की जा रही फसल को देखने के लिए बड़ी संख्या में काश्तकार आते हैं. जिसमें युवा वर्ग के लोग अधिक होते हैं. जो लववंशी से मिलकर जानकारी लेते हैं. धनराज बताते है की मुख्य सड़क पर खेत होने से राहगीर रुककर खेत पर आते हैं और जानकारी लेते हैं. धनराज लववंशी खेती के क्षेत्र में इतने आगे निकल चुके हैं कि लोग उन्हें वैज्ञानिक के नाम से जानने लगे हैं. वेजिटेबल हार्वेस्टिंग को लेकर धनराज स्वयं की कंपनी खोलने लिए अग्रसर हैं. उनका कहना है कि कंपनी में लैब से लेकर वेजिटेबल पैकेजिंग की व्यवस्था रहेगी. ताकि यहां की पैंकिंग की हुई वेजिटेबल प्रदेश ही नहीं देश के अन्य स्थानों पर ऑनलाइन व मॉल में उपलब्ध हो सके.

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