ओडिशाः बचावकर्मियों के पीछे पड़ा रेल हादसे का भूत! पानी लगने लगा खून, भूख-प्यास गायब
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ओडिशाः बचावकर्मियों के पीछे पड़ा रेल हादसे का भूत! पानी लगने लगा खून, भूख-प्यास गायब

Odisha Tain Accident: बालासोर रेल हादसे ने अनगिनत लोगों को कभी न भर पाने वाला जख्म दे दिया है. बचाव कार्य में लगे एनडीआरएफ कर्मी भी सदमे में हैं. 

ओडिशाः बचावकर्मियों के पीछे पड़ा रेल हादसे का भूत! पानी लगने लगा खून, भूख-प्यास गायब

Odisha Tain Accident: ओडिशा रेल हादसे का भयावह मंजर लोगों को भुलाए नहीं भूल रहा है. हर तरफ बिखरी लाशें और मानव शरीर के अंग लोगों को नींद से जगा दे रहे हैं. रेल हादसे के बाद सबसे बुरा प्रभाव बचाव कार्य में लगे दल के सदस्यों पर देखने को मिला है. इस भीषण रेल हादसे ने न केवल अपनों को खोने वालों को कभी न भरने वाले घाव दिए हैं बल्कि इसकी विभीषिका बचाव कार्य में लगे कर्मियों पर भी दिख रही है. बचावकर्मियों की मानसिक स्थिति हिली हुई है.

हादसे के बाद की इस समस्या के बारे में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को पुष्टि की. उन्होंने बताया कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान में तैनात बल का एक कर्मी जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह दिखाई देता है. हादसे के बाद एक अन्य बचावकर्मी की भूख ही गायब हो गई है.

बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था. भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में करीब 278 लोगों की मौत हो गयी तथा 900 से अधिक लोग घायल हो गए. बचाव अभियान समाप्त होने तथा पटरियों की मरम्मत के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है लेकिन कई पीड़ितों का दावा है कि उनके अपनों का पता नहीं चल पा रहा है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बल ने 44 पीड़ितों को बचाया और घटनास्थल से 121 शव बरामद किए. आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन, 2023 को संबोधित करते हुए करवाल ने कहा, ‘‘मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला... एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है. एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है.’’

हाल में दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है. 

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी मानसिक सेहत के वास्ते ऐसी काउंसेलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं.’’ करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95 प्रतिशत कर्मी ‘फिट’ पाए गए.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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