2024 Election Strategy: तीसरे मोर्चे की अटकलों पर आज लगेगा विराम! जानिए खरगे-नीतीश की मुलाकात क्यों है खास?
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2024 Election Strategy: तीसरे मोर्चे की अटकलों पर आज लगेगा विराम! जानिए खरगे-नीतीश की मुलाकात क्यों है खास?

Opposition Strategy For 2024 Polls: विपक्ष को एक करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने कंधों पर उठा ली है. पिछले 40 दिनों में नीतीश ने प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात की. इसी कड़ी में वे आज मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) से मिल रहे हैं.

2024 Election Strategy: तीसरे मोर्चे की अटकलों पर आज लगेगा विराम! जानिए खरगे-नीतीश की मुलाकात क्यों है खास?

Nitish Kumar Mallikarjun Kharge Meeting: बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आज कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) से अहम मुलाकात करेंगे. इस दौरान नीतीश के साथ बिहार के डिप्टी सीएम और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी रहेंगे. 12 अप्रैल से लेकर 21 मई तक नीतीश कुमार तमाम प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं और अब वो दोबारा खरगे से मिल रहे हैं. माना जा रहा है कि विपक्ष को बीजेपी (BJP) के खिलाफ 2024 के चुनाव में एकजुट करने में नीतीश कुमार अहम भूमिका निभा सकते हैं. जो विपक्षी दल कांग्रेस से अलग तीसरा मोर्चा बनाने का मूड बना रहे हैं उनको मनाने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार को मिल सकती है.

प्रमुख विपक्षी नेताओं से नीतीश की मुलाकात

बता दें कि नीतीश कुमार ने रविवार को दिल्ली सीएम के आवास पर पहुंचकर सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने केंद्र के अध्यादेश के मामले में पर केजरीवाल को फुल सपोर्ट दिया था. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पिछले करीब 40 दिनों में अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, केसीआर, नवीन पटनायक, एमके स्टालिन, शरद पवार और हरीश रावत आदि से मिल चुके हैं.

विपक्ष एकजुट करने में जुटे नीतीश

दरअसल, नीतीश कुमार की कोशिश है कि बीजेपी के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट हो जाएगी. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर 303 सीटें जीती थीं. बीजेपी को करीब 38 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि विपक्ष के बिखरने की वजह से कांग्रेस महज 20 प्रतिशत वोट ही हासिल कर पाई थी. विपक्ष में कांग्रेस ही सबसे बड़ा दल था. बाकी विपक्षी दल साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़े थे और इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ था.

क्या है विपक्ष के लिए चिंता का विषय?

गौरतलब है कि नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि वो अपने लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. वे सिर्फ गैर-बीजेपी दलों को एक साथ एक मंच पर लाना चाहते हैं. हालांकि, अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है. कर्नाटक में जीत के बाद सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में तमाम विपक्षी नेता मौजूद रहे. लेकिन अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी, केसीआर और पिनाराई विजयन कार्यक्रम में नहीं शामिल हुए. 2019 में भी कर्नाटक में विपक्षी नेता एक मंच पर दिखे थे, पर इस बार की संख्या पिछली बार से कम रही. ये विपक्ष के लिए चिंता का विषय है.

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