BJP Vs Congress: अगर पिछले कुछ संसद के सत्रों को देखें तो मोदी सरकार हमेशा आरोप लगाती रही है कि विपक्ष संसद चलने नहीं दे रहा है. वेल में आकर कई बार विपक्षी सांसदों ने संसद ठप कर दी थी. संसद के ना चलने से ना सिर्फ देश का नुकसान हुआ बल्कि कई अहम बिलों पर चर्चा तक नहीं हुई.
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार 3.0 काम पर जुट गई है. 24 जून से संसद का विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है. 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा और फिर 1 जुलाई को बजट पेश किया जाएगा. इस बीच रविवार को केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके सरकारी आवास 10 राजाजी मार्ग जाकर मुलाकात की. रिजिजू ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे सदन में कांग्रेस का 'बढ़ा हुआ कद' कहा जा रहा है.
कांग्रेस का बढ़ा कद
दरअसल, कांग्रेस ने इस चुनाव में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है. इंडिया गठबंधन ने 232 सीटें हासिल की हैं जबकि एनडीए 293 पर ही सिमट गया था. मोदी सरकार ने नारा तो 400 पार का दिया था लेकिन अपने दम पर वह बहुमत का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. अब संसद का विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है तो सरकार चाहेगी कि सत्र बिना किसी रुकावट या शोर-शराबे के चले. हालांकि यह एक शिष्टाचार परंपरा है कि सदन शुरू होने से पहले संसदीय कार्यमंत्री विपक्षी पार्टी के नेता से मुलाकात करते हैं और संसद के सुचारू रूप से कामकाज को लेकर मदद मांगते हैं.
I had a pleasant courtesy meeting with Leader of Opposition in Rajya Sabha and Congress Party President Shri Mallikarjun Kharge ji. He shared with me about many valuable experiences of his life. Together, we all will work for the nation. pic.twitter.com/FLekmdzepi
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) June 16, 2024
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए किरेन रिजिजू ने ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की. इसमें उन्होंने कहा, 'राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात हुई. उन्होंने अपने जीवन के कई अहम अनुभव साझा किया. साथ मिलकर हम देश के लिए काम करेंगे'. पिछले ही हफ्ते रिजिजू ने मंत्रालय का चार्ज लिया है और सरकार और विपक्ष के बीच सहयोग पर जोर दिया. उन्होंने विश्वास दिलाया कि वह संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए हर किसी से मुलाकात करेंगे.
सदन में बढ़ी ताकत
दरअसल 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस की ताकत लगातार लोकसभा में घटी थी. 2014 में कांग्रेस को कुल 44 सीटें मिली थीं. जबकि 2019 में 52. नौबत के आ गई थी कि लोकसभा में कांग्रेस के पास नेता विपक्ष के पद का दावा करने लायक तक नंबर नहीं था. लेकिन इस बार वक्त बदला. हालात बदले. कांग्रेस को अपने दम पर 100 सीटें मिलीं. ना सिर्फ उसका कद संसद में बढ़ा बल्कि इंडिया गठबंधन की अन्य पार्टियां भी उसके हक में हैं. ऐसे में नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार के पास भले ही बहुमत हो. लेकिन संसद में अपनी आवाज मजबूती से रखने के लिए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के पास पर्याप्त सांसद हैं.
संसद का चलना ज्यादा जरूरी
अगर पिछले कुछ संसद के सत्रों को देखें तो मोदी सरकार हमेशा आरोप लगाती रही है कि विपक्ष संसद चलने नहीं दे रहा है. वेल में आकर कई बार विपक्षी सांसदों ने संसद ठप कर दी थी. संसद के ना चलने से ना सिर्फ देश का नुकसान हुआ बल्कि कई अहम बिलों पर चर्चा तक नहीं हुई. ऐसे में इस बार मोदी सरकार नहीं चाहेगी कि संसद ठप हो जाए. क्योंकि उसके एजेंडे में कई ऐसे बिल (जनसंख्या नियंत्रण, यूनिफॉर्म सिविल कोड) हैं, जिन पर विपक्ष भड़क सकता है. ऐसे में उन बिलों पर ठीक तरह से चर्चा हो और सदन सुचारू रूप से चले इसके लिए विपक्षी पार्टियों का साथ बेहद जरूरी है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्री रिजिजू का खरगे से मिलना इसी की कवायद है. देखना यह होगा कि विपक्ष संसद में मोदी सरकार के साथ चर्चा में आगे रहेगा या फिर पहले की तरह वॉकआउट वाली नीति अपनाएगा.