DNA: क्या देश में मनमानी करने का हथियार बन गई है भीड़? दिल्ली के पार्क में नहीं लगने दी गई रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा
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DNA: क्या देश में मनमानी करने का हथियार बन गई है भीड़? दिल्ली के पार्क में नहीं लगने दी गई रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा

Zee News DNA Rani Lakshmibai News: दिल्ली में समुदाय विशेष की भीड़ ने अपनी ताकत दिखाते हुए सरकारी पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा नहीं लगने दी. जबकि यह प्रतिमा लगाने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था. 

DNA: क्या देश में मनमानी करने का हथियार बन गई है भीड़? दिल्ली के पार्क में नहीं लगने दी गई रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा

Delhi Eidgah Rani Lakshmibai News: दिल्ली में एक पार्क के अंदर वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने का गुरुवार को विरोध हुआ था. प्रतिमा ना लगने देने के लिए रात के वक्त लोग शाही ईदगाह के नजदीक बने पार्क में पहुंच गए थे. आज जब ज़ी मीडिया डीडीए पार्क पहुंचा तो पता चला कि प्रतिमा लगाने का काम रोक दिया गया है. जब वजह पूछी गई तो कोई सीधा जवाब नहीं ला. इसी वजह से उठा एक सवाल...क्या भीड़तंत्र अब सबसे बड़ा हथियार बन गया है. क्या भीड़ लाकर किसी भी सरकारी काम को रोका जा सकता है. इसी भीड़तंत्र को DECODE करेगी DNA की GROUND REPORT

भीड़ देखकर डर गया प्रशासन, रोक दिया काम

चौबीस घंटों के अंदर सदर बाजार के पास डीडीए पार्क की तस्वीरें बदल गई हैं. गुरुवार को बुलडोजर आए थे. रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने के लिए खुदाई की जा रही थी. रात को जब भीड़ देखी गई तो सुबह सन्नाटा था. मौके पर कोई बुलडोजर नहीं था. कहा गया कि प्रतिमा लगाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है. 

प्रतिमा लगाने का फैसला रोक लिया जाता है. मौके पर भारी पुलिसबल पहुंच जाता है और उठते हैं सवाल. क्या भीड़ के विरोध की आशंका को देखते हुए...प्रतिमा लगाने का फैसला टाला गया. क्या माहौल बिगड़ जाने के डर से रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को नहीं लगाया गया. इन सवालों के उठने की वजह है, वो नफरती सोच और जुबान. जो प्रतिमा को लेकर पहले सामने आई थी.

'जब हमारा सिस्टम आएगा तो ये प्रतिमा नहीं रहेगी'

ज़ी न्यूज के कैमरे पर शबाना नाम की एक स्थानीय महिला ने ऐलान किया था कि एक दिन हमारा सिस्टम आएगा और तब ये प्रतिमा नहीं रहेगी. आज जब जी न्यूज की टीम शाही ईदगाह पहुंची तो जुमे की नमाज पढ़कर निकलते लोग मिले. उनसे हमने सीधा सवाल पूछा. रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को लेकर उनकी राय क्या है. उनकी दलीलें समझना मुश्किल हैं...जो हवाला दिया जा रहा है...वो गले से नहीं उतरता.

रानी लक्ष्मीबाई एक स्वतंत्रता सेनानी थीं. उनकी प्रतिमा लगाने से मंदिर बनने का क्या कनेक्शन हो सकता है. रानी लक्ष्मीबाई की फौज में मुस्लिम सेनापति थे. उनकी प्रतिमा लगने से मस्जिद के गिरने को कैसे जोड़ा जा सकता है. 

'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट से न हो छेड़छाड़'

इन बातों और दलीलों को सुनने के बाद एक ही बात समझ आती है...लोगों के दिमाग में गलत जानकारी भर दी गई है. उन्हें भड़काने की कोशिश की गई है. जिसके बाद लोगों ने भारतवर्ष की वीरांगना को हिंदू मुस्लिम के चश्मे से देखना शुरु कर दिया है.

सिर्फ आम लोग ही नहीं. मुस्लिम धर्मगुरुओं को सुनेंगे तो आप समझ नहीं पाएंगे कि रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा पर क्यों ऐतराज हो सकता है. मौलाना सैफ अब्बास कहते हैं कि PLACES OF WORSHIP ACT के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. 

क्या मनमानी करने का हथियार बन गई है भीड़?

आखिर एक स्वतंत्रता सेनानी और PLACES OF WORSHIP ACT को क्यों जोड़ा जा रहा है...ऐसी सोच और दिल्ली की इस घटना को देखकर लगता है. मानों भीड़ अब मनमानी करने का हथियार बन गई है. सिस्टम को डराने की कोशिश की जाती है कि उन्माद भरा जा चुका है और भीड़ कभी भी पत्थर उठा सकती है.

(दिल्ली से राजू राज की रिपोर्ट)

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