नेता जी के निधन के बाद अखिलेश के सामने ये है सबसे बड़ी चुनौती, कैसे पार लगेगी नैया?
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नेता जी के निधन के बाद अखिलेश के सामने ये है सबसे बड़ी चुनौती, कैसे पार लगेगी नैया?

UP Byelection: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव के सामने कई मुश्किलें आती दिखाई दे रही हैं. नेता जी के नहीं रहने पर पहली बार अखिलेश यादव के सामने मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव एक बड़ी चुनौती की तरह हैं.

नेता जी के निधन के बाद अखिलेश के सामने ये है सबसे बड़ी चुनौती, कैसे पार लगेगी नैया?

Mainpuri-Rampur byelection: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव के सामने कई मुश्किलें आती दिखाई दे रही हैं. नेता जी के नहीं रहने पर पहली बार अखिलेश यादव के सामने मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव एक बड़ी चुनौती की तरह हैं. मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव होना है. वहीं, आजम खां की सदस्यता खत्म होने के बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इन दोनों सीटों पर सपा लंबे समय से दबदबा कायम रखी है. अखिलेश के सामने अपने इन दोनों गढ़ को बचाने की बड़ी चुनौती होगी. इन दोनों सीटों पर अखिलेश यादव किसे प्रत्याशी बनाएंगे, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा. चुनाव आयोग मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर चुका है.

मैनपुरी से कौन होगा सपा का प्रत्याशी?

मैनपुरी लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसे आगे करेंगे फिलहाल यह तय नहीं है. लेकिन राजनीतिक पंडितों की माने तो अखिलेश मैनपुरी सीट में सोच समझकर दांव खेलेंगे. पिता के निधन के बाद उनके सामने जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन दोनो साधने हैं. ऐसे में पिता की इस सीट पर प्रत्याशी तय करना अखिलेश के लिए आसान नहीं है.

भाजपा की कड़ी घेराबंदी

सूबे की राजनीति में भाजपा की कड़ी घेराबंदी का सामना कर रहे अखिलेश यहां बहुत सोचकर दांव लगाएंगे. राजनीति के पंडित बताते हैं कि तेज प्रताप को मैदान में उतारकर अखिलेश एक साथ सियासत और परिवार दोनों के समीकरण दुरुस्त कर सकते हैं. मैनपुरी सीट पर जिन दो अन्य नेताओं को लेकर चर्चा है, उनमें अखिलेश यादव की पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव और अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव का नाम शामिल है.

अखिलेश ही लेंगे निर्णय

सपा के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो परिवार में एकता बनाए रखने के लिए अंदर ही अंदर शिवपाल को मनाने की कोशिशें भी चल रही हैं. इसका असर शिवपाल की बातों में भी दिख रहा है, जो लगातार परिवार में एका की बात करते हुए इसे जरूरी बता रहे हैं. पार्टी में एक धड़ा मैनपुरी सीट पर मुलायम की विरासत डिंपल यादव को सौंपे जाने के पक्ष में है. हालांकि इस बारे में निर्णय अखिलेश को लेना है, लेकिन उधर शिवपाल भी मुलायम के निधन के बाद परिवार में एकता के संदेश दे चुके हैं. बीते दिनों शिवपाल ने कल्की महोत्सव में कहा था कि "हम इंतजार कर रहे हैं कि वो हमें क्या जिम्मेदारी देते हैं, उसके बाद फैसला करेंगे."

रामपुर में आजम की मर्जी?

सूत्रों का कहना है कि तेज प्रताप के हक में शिवपाल अपनी दावेदारी छोड़ भी सकते हैं. दरअसल, परिवार में तेज प्रताप और शिवपाल के रिश्ते बेहतर बताए जाते हैं. वह एक बार मैनपुरी से सांसद रह भी चुके हैं. सपा सूत्रों की मानें तो रामपुर सीट पर अखिलेश यादव आजम के परिवार के किसी व्यक्ति को आगे बढ़ाना का प्रयास करेंगे, क्योंकि वह मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए आजम को नाराज करने और मुस्लिम वोट बिदकने का जोखिम नहीं उठाएंगे. ऐसे में वह रामपुर सीट पर आजम की मर्जी का उम्मीदवार उतारेंगे.

प्रत्याशी चयन करने की बड़ी चुनौती

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पी.एन. द्विवेदी कहते हैं कि मुलायम के निधन के बाद अखिलेश के सामने उपचुनाव की बड़ी परीक्षा है. उन्हें इन दोनों सीटों पर परिवार और समीकरण दोनों देखने हैं, क्योंकि आजम भी सपा के वरिष्ठ नेता हैं और कई बार से विधायक बन रहे हैं. ऐसे में अखिलेश के सामने दोनों सीटों के लिए प्रत्याशी चयन करने की बड़ी चुनौती है. ज्ञात हो कि चुनाव आयोग ने रामपुर की विधानसभा सीट और मैनपुरी की लोकसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया है. चुनाव आयोग ने प्रेस नोट जारी कर इसकी जानकारी दी. चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए बताया कि 5 दिसंबर को उपचुनाव की वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को रिजल्ट आएगा.

दोनों सीटों पर सपा का दबदबा

बता दें कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई थी. वहीं आजम खां की सदस्यता रद्द होने के बाद रामपुर विधानसभा सीट खाली हो गई थी. पिछली बार दोनों सीटों पर सपा के कद्दावर नेताओं ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

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