सुझाव में रजा ने ये भी कहा कि बाबर के नाम पर इस देश में कोई चीज स्वीकार नहीं हो सकती , चाहे वह मस्जिद हो या फिर कुछ और. वहीं कैबिनेट मंत्री मोहसिन रजा ने ये भी कहा कि बाबर ने मुसलमानों के लिए कोई भी अच्छा काम नहीं किया था.
Trending Photos
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री (Minorities Affairs Minister) मोहसिन रजा ने अयोध्या में बनने जा रही मस्जिद के नाम का नाम पैगंबर मोहम्मद साहब के नाम पर "मस्जिद ए मोहम्मदी " रखने का सुझाव दिया है.
रजा का 'राम बाण'
सरकार को दिए सुझाव में रजा ने ये भी कहा कि बाबर के नाम पर इस देश में कोई चीज स्वीकार नहीं हो सकती , चाहे वह मस्जिद हो या फिर कुछ और . वहीं कैबिनेट मंत्री मोहसिन रजा ने ये भी कहा कि बाबर ने मुसलमानों के लिए कोई भी अच्छा काम नहीं किया था. वहीं बाबर के नाम पर मुसलमानों के 73 फिरके (समुदाय) भी एकराय नहीं रखेंगे. और हम भी इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे. भगवान राम को लेकर मोहसिन रजा ने कहा कि जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम उत्तम हैं, उसी तरह मोहम्मद साहब मुसलमानों में महापुरुष हैं और उन्हें हिंदुओं में भी सम्मान प्राप्त है. इसलिए इस मस्जिद का नाम उनके नाम पर ही रखा जाना चाहिए.
सीएम योगी के मस्जिद बनाने के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है और राज्य का सीएम होने के नाते उन्हें आमंत्रित भी किया गया है. इसलिए वे इस कार्यक्रम में जाएंगे. मोहसिन रजा ने कहा कि जब भी अच्छे कामों के लिए किसी को बुलाया जाएगा, चाहे मुझे ही बुलाया जाए जरूर जाऊंगा. हम लोग अच्छे कामों के लिए सभी जगह जाते हैं.
सुन्नी वक्फ बोर्ड की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में आवंटित 5 एकड़ जमीन पर, सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड मस्जिद, अस्पताल, पुस्तकालय, सामुदायिक किचन और एक शोध संस्थान का निर्माण कराएगी. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस काम के लिए 'इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन' नामक ट्रस्ट बनाया है. और इसी बैनर के तले निर्माण कार्य शुरू होने संबंधी कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को न्योता भेजने के संकेत मिल रहे थे. हालांकि अभी कार्यक्रम के तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है.
इस्लाम का आधारभूत सिद्धांत अल्लाह को सर्वशक्तिमान, एकमात्र ईश्वर और जगत का पालक मानता है. इसी मान्यता के मुताबिक हजरत मुहम्मद को अल्लाह के संदेशवाहक (पैगम्बर) हैं. यही बात उनके 'कलमे' में दोहराई जाती है - 'ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह', यानी 'अल्लाह एक है, उसके अलावा कोई दूसरा (दूसरी सत्ता) नहीं और मुहम्मद उसके रसूल यानि पैगम्बर हैं'. पैगंबर मुहम्मद साहब ने कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया था.