भगवान राम ने लक्ष्मण को दी थी रिश्तों को निभाने की सलाह, कही थी ये बात
Abhinaw Tripathi
Dec 04, 2024
Lord Ram Story
प्रभु राम के जीवन में तमाम उतार- चढ़ाव आए, सारी मुसीबतों को झेलते हुए प्रभु राम मर्यादापुरुषोत्तम बने, प्रभु राम जब चित्रकूट में थे तो उनके छोटे भाई भरत मनाने आते हैं. उनके पहुंचने से पहले लक्ष्मण क्रोधित हो जाते हैं, तब भगवान राम ने लक्ष्मण को ये सीख दी थी.
प्रपंच के बाद
दासी मंथरा के प्रपंच के बाद भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता वन को चली जाती हैं. उनके जाने के बाद पूरी अयोध्या में सूनापन छा जाता है.
मिली सूचना
जिस समय भगवान राम वन को जाते हैं उस समय भरत अपने ननिहाल (मामा के घर) में थे. जब वो वापस अयोध्या लौटे तब उन्हें ये सूचना मिली.
राम को वापस लाने की बात
जब उन्हें ये सूचना मिली तो वो व्यतिथ हो गए. अपनी माता कैकेयी को उन्होंने भला बुरा कहा और गुरू वशिष्ट से सलाह लेते हैं और अपने भाई राम को वापस लाने की बात कहते हैं.
भला बुरा कहना
इसके बाद भरत गुरू वशिष्ट माता कैकेयी, सुमित्रा कौशिल्या भाई शत्रुध्न के साथ भगवान राम को मनाने चित्रकूट जाते हैं. जैसे ही ये सूचना लक्ष्मण को मिलती है वो क्रोधित हो जाते हैं और भरत को भला बुरा कहते हैं.
निहत्थे कैसे उसका सामना करोगे
लक्ष्मण क्रोध में कहते हैं कि अगर मैं सुमित्रा का पुत्र हूं तो भरत का सारा गर्व चूर कर दूंगा और उसे इस मिट्टी में सूला दूंगा. इस पर भगवान राम लक्ष्मण को समझाते हैं कि अगर मान भी लो भरत बदल भी गया है तो लक्ष्मण तुम निहत्थे कैसे उसका सामना करोगे.
अच्छी बात नहीं
इसके अलावा कहते हैं कि भरत भाई है और माता कैकेयी ने उसके लिए राज मांगा लेकिन उसमें उसकी कोई भी राय नहीं थी. भाई- भाई में फूट बढ़ जाए ये अच्छी बात नहीं लक्ष्मण.
क्रोध को काबू में करो
फिर भरत की तारीफ करते हुए कहते हैं कि पाप जिसकी सोच से बाहर खड़ा हो जाता है वो भरत हमसे युद्ध नहीं कर सकता है. इसलिए लक्ष्मण अपने क्रोध को काबू में करो.
गलती का प्रायश्चित
इसके बाद भरत दल बल के साथ चित्रकूट पहुंचते हैं और भाई राम और लक्ष्मण के गले लग कर रोने लगते हैं और अपनी माता की गलती का प्रायश्चित करते हैं.
माता सीता और लक्ष्मण
राम से भरत कहते हैं भी हैं कि आप माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या में राज करिए हम वन में रहेंगे. इस पर लक्ष्मण को अपनी गलती का एहसास होता है और भरत से अपनी गलती मानते हैं.
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक ग्रंथो से ली गई है. इससे जुड़ी और अधिक जानकारी लेने के लिए आप धार्मिक ग्रंथों का सहारा ले सकते हैं