राजपथ पर 'रामलीला': दीपावली के बाद अयोध्या की गौरवशाली झांकी की तैयारी शुरू
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राजपथ पर 'रामलीला': दीपावली के बाद अयोध्या की गौरवशाली झांकी की तैयारी शुरू

अयोध्या की झांकी में रामलीला का कलाकारों द्वारा सजीव मंचन करते हुए दिखाया जाएगा. ये अयोध्या में अनवरत रामलीला के मंचन का प्रतीक होगा. साइड के दोनों पैनल्स पर दीपावली के अवसर पर आयोजित भव्य दीपोत्सव के कार्यक्रम की झलकियां दिखाई जाएंगी.

राजपथ पर दिखाई जाएगी रामलीला की झांकी

भोपाल/नई दिल्लीः अयोध्या की भव्य रामलीला को इस बार दुनिया भर में लोगों ने देखा. अब यही रामलीला जल्द ही राजपथ पर दिखाई देने वाली है. इस बार रामनवमी से पहले नहीं, बल्कि गणतंत्र दिवस पर रामलीला का मंचन उत्तर प्रदेश की ओर से प्रस्तुत की जा रही झांकी में दिखाई जाएगी. राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर अयोध्या के नाम से झांकी निकलेगी. इसके लिए सूचना विभाग की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. 

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झांकी में दिखेगी अप्रतिम अयोध्या की झलक 
अयोध्या की झांकी में रामलीला का कलाकारों द्वारा सजीव मंचन करते हुए दिखाया जाएगा. ये अयोध्या में अनवरत रामलीला के मंचन का प्रतीक होगा. साइड के दोनों पैनल्स पर दीपावली के अवसर पर आयोजित भव्य दीपोत्सव के कार्यक्रम की झलकियां दिखाई जाएंगी. ये अयोध्या में होने वाला विश्व प्रसिद्ध कार्यक्रम है, जिसमें पिछली दो बार से वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जा रहा है. झांकी के पिछले हिस्से में प्रस्तावित राम मंदिर की झलक दर्शकों को देखने को मिलेगी.

अयोध्या से जुड़ी सांस्कृतिक विरासतों का प्रदर्शन 
इसके अलावा झांकी के चारों तरफ अलग-अलग शैलियों की रामलीला का सजीव मंचन भी किया जाएगा. झांकी प्रदर्शन के दौरान कुल 20 कलाकार हिस्सा लेंगे और सांस्कृतिक धरोहरों का प्रदर्शन करेंगे. 

राम मंदिर के अलावा भी अयोध्या समेटे है गौरवपूर्ण इतिहास 
अयोध्या नगरी ब्रह्मा के बेटे मनु के पुत्र इक्ष्वाकु ने बसाई थी, जिसका जिक्र अथर्ववेद में मिलता है. इसे अष्टचक्र और नवद्वार से युक्त अयोध्या कहा गया है. यहां जन्मी रानी सुवर्णरत्ना अब से लगभग 2000 साल पहले कोरिया गई थीं जहां के लोग आज भी अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं. कोरिया में अयोध्या से जुड़े हुए कई स्मारक मिलते हैं. अयोध्या नगरी में 5 जैन तीर्थंकरों ने भी जन्म लिया था. प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेव का ये जन्मस्थान है.

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महात्मा बुद्ध के शाक्य गणतंत्र की परंपरा भी अयोध्या से संबंधित है, इसका जिक्र चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तिका साची में किया है. शैव परंपरा का प्रतीक नागेश्वर मंदिर भी यहां मौजूद है. स्वामी नारायण संप्रदाय के संस्थापक का छपिया मंदिर भी यहां मौजूद है. सरयू नदी के पास मौजूद ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा पर गुरुनानक समेत 9 गुरु पधारे थे. निर्गुण संत कबीरदास का भी स्थान अयोध्या में मौजूद है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय ख्याति पाने वाले मृदंगाचार्य रामशंकरदास उर्फ स्वामी पागलदास का भी जन्मस्थान अयोध्या में ही है. 

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