6 December: राजीव गांधी सरकार का वो फैसला, जिसने लिख दी थी बाबरी विध्वंस की पटकथा!
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6 December: राजीव गांधी सरकार का वो फैसला, जिसने लिख दी थी बाबरी विध्वंस की पटकथा!

6 December: द्वारा इस तरह एक समुदाय के सामने घुटने टेकने से बहुसंख्यक समाज में नाराजगी दिखी. जिससे घबराई राजीव गांधी सरकार ने डैमेज कंट्रोल के 37 सालों से बंद अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचे का ताला खोल दिया.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः 6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में बेहद अहम है. दरअसल इस दिन ही हिंदूवादी संगठनों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराया था. यह घटना इतनी अहम साबित हुई कि इसने देश की राजनीति को पूरी तरह से बदलकर रख दिया. देश में जो आज सांप्रदायिक माहौल दिखाई देता है, उसकी शुरुआत भी बाबरी विध्वंस (Babri Demolition) की घटना के बाद से ही हुई थी. बाबरी विध्वंस की पटकथा पूर्व की राजीव गांधी सरकार (Rajeev Gandhi Government) की एक गलती से लिखी गई थी. तो आइए जानते हैं कि क्या था वो फैसला, जिसने देश को सांप्रदायिक उन्माद में झोंक दिया था. 

इस फैसल ने बदला सबकुछ
दरअसल साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक मुस्लिम व्यक्ति को तलाक के बाद उसकी पत्नी शाहबानो (Shahbano Case) को हर माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. हालांकि मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इसका विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे मुस्लिमों का कहना था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Board) के मुताबिक मुस्लिमों में तलाक के बाद महिला की देखरेख की जिम्मेदारी इद्दत की मुद्दत तक होती है, जो कि आमतौर पर 3 महीने होता है. यदि महिला गर्भवती है तो इद्दत की मुद्दत का वक्त बच्चे के जन्म तक होता है, इसके बाद पति, तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने का जिम्मेदार नहीं होता है. ऐसे में मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में आकर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने 1986 में संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. 

सरकार द्वारा इस तरह एक समुदाय के सामने घुटने टेकने से बहुसंख्यक समाज में नाराजगी दिखी. जिससे घबराई राजीव गांधी सरकार ने डैमेज कंट्रोल करते हुए 37 सालों से बंद अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचे का ताला खोल दिया. इस फैसले ने भाजपा को भारतीय राजनीति में अपनी जमीन बनाने का मौका दे दिया. लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा का आयोजन किया, जिसने देश में एक हिंदूवादी लहर पैदा कर दी. इसकी परिणिती के तौर पर 6 दिसंबर 1992 की घटना घटी, जब लोगों के हुजूम ने बाबरी ढांचे को ढहा दिया. 

कांग्रेस की गिरावट का दौर हुआ शुरू
शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद कांग्रेस की सेक्यूलर पार्टी की छवि को बड़ा नुकसान हुआ, जिससे पार्टी आज तक नहीं उबर पाई है और आज पार्टी लगातार गिरावट की तरफ जा रही है. वहीं भाजपा की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है. शाहबानो मामले से ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश की सेक्यूलर छवि को धक्का पहुंचा. यही वजह है कि देश में जो आज माहौल है उसकी जड़ में भी कह सकते हैं कि राजीव गांधी सरकार की गलती और उसके चलते हुई बाबरी विध्वंस की घटना है. बाबरी विध्वंस की घटना के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगे हुए और देश की गंगा जमुनी तहजीब को नुकसान हुआ. मुंबई के दंगों के चलते ही बाद में मुंबई बल ब्लास्ट हुए, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए और देश के दामन पर कभी ना मिटने वाले दाग लग गए. 

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