महाकाल की नगरी मे मिला एक और 'शिव' मंदिर, पुरातत्व विभाग का दावा 1000 साल पुराना है शिवलिंग
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महाकाल की नगरी मे मिला एक और 'शिव' मंदिर, पुरातत्व विभाग का दावा 1000 साल पुराना है शिवलिंग

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में एक और पौराणिक इतिहास इतिहास के साक्ष्य मिले हैं. शहर से 32 किलोमीटर की दूर एक सिव मंदिर का गर्भगृह मिला है.

महाकाल की नगरी मे मिला एक और 'शिव' मंदिर, पुरातत्व विभाग का दावा 1000 साल पुराना है शिवलिंग

उज्जैन: मध्य प्रदेश की पौराणित नगरी उज्जैन में एक और शिव मंदिर का अस्तित्व सामने आया है. बाबा महाकाल की नजरी उज्जैन से 35 किमी दूर कलमोड़ा में पुरातत्व विभाग को 1000 साल पुराना भगवान शिव मंदिर का गर्भ गृह मिला है. खुदाई में अब शिवलिंग बाहर दिखने लगा है. बताया जा रहा है मंदिर परमार कालीन है. यहां उस दौर के शिलालेख भी मिले हैं.

एक साल पहले मिला था मंदिर
ठीक साल पहले 21 फरवरी कलमोडा के बल्डे के नीचे माताजी के ओटले के पास ये मंदिर निकला है. मंदिर की चौड़ाई तकरीबन 4.5 मिटर है व लंबाई 8.15 मीटर चौड़ाई का अनुमान लगाया जा रहा है. मंदिर करीब 15 मीटर ऊंचा होगा. एक साल पहले शुरू खुदाई के दौरान अंदाजा लगाया गया था कि यहां गर्भगृह हो सकता है. इसके बाद भोपाल की टीम ने कर सर्वेक्षण कर पुरातत्व रिसर्च अधिकारी डॉ धुर्वेंद्र जोधा के निर्देशन में यहां खुदाई शुरू की थी.

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मिली हैं कई प्रतिमाएं
21 फरवरी 2021 को पहली बार मंदिर सामने आया था. मंदिर का आधा हिस्सा सुरक्षित मिला था और बाकी के हिस्सा में भगवान हरि-हर, शिव, ब्रह्मा, विष्णु की मूर्ति और मटकिया, दीपक और धूप पात्र तांबे पीतल के अवशेष निकले थे. ब्रह्ना की तीन मुख वाली भग्न प्रतिमा मिली थी, जिसके एक हाथ मे पुस्तक, दूसरे मे श्रुवा है. शिव की मूर्ति जटायुक्त मुकुट कुंडल तीन लड़ी हार से अलंकृत है. एक प्रतिमा में शिव संग विष्णु हैं. वहिं शिवलिंग और नंदी की भी प्रतिमा मिली है.

परमार कालीन है मंदिर
शोध अधिकारी ध्रुवेंद्र सिंह जोधा की मानें तो मंदिर परमारकालीन 1000 वर्ष पुराना हो सकता है. इस शिव मंदिर में लगातार शोध जारी है. एक साल की मेहनत के बाद गर्भ गृह निकल कर सामने आया है, इससे रिसर्च में उत्सुकता बढ़ी है. ध्रुवेंद्र सिंह ने बताया कि हमारी टीम ने दो साल पहले सोध शुरू किया था.  पुरावशेष मिलने पर यहां काम जारी रखने का निर्णय लिया गया. करीब 20 लोगों की टीम यहां ग्रामीणों की मदद से लगातार काम कर रही है.

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डैमेज का कारण स्पष्ट नहीं
ध्रुवेंद्र सिंह जोधा के अनुसार मंदिर का डैमेज भूकंप या आक्रांता दोनों में से किसी के द्वारा हो सकता है. फिलहाल दावे के साथ कुछ कहा नहीं जा सकता. हालांकि स्तिथी देख कर स्पष्ट होता है कि बाहरी आक्रांताओं द्वारा इसे ध्वस्त किया गया है. इसका निर्माण बड़ले के पत्थरों से हुआ है. लोहे से इसकी जोड़ाई की गई थी.

पहले भी उज्जैन जिले के वर्षों पुराने इतिहास
- कनीपुरा क्षेत्र में वैश्य टेकरी में बौद्ध स्तूप और 2 हजार साल पुराना विक्रमादित्य कालीन गढ़कालिका देवी मंदिर मिला है.
- शहर के चौबीस खंभा पर उत्खनन में 2600 साल पुराने जीवन के चिंन्ह मिले हैं.
- मत्स्येन्द्र नाथ समाधि क्षेत्र में 2600 साल पुरानी लकड़ी की दीवारे और बंदरगाह के अवशेष मिले हैं.
- कालभैरव मंदिर क्षेत्र में राजा भर्तृहरि का साधना स्थल (गुफा) मिली है.
- महाकाल मंदिर क्षेत्र में एक हजार साल पुराने राजा भोज कालीन शिलालेख मिले हैं.
- दुर्दारेश्वर जेथल में प्राचीन मंदिर आभूषण, कारखाने का साथ ही सबसे पुराना जल प्रबंधन सिस्टम मिला है.
- गणितज्ञ वराह मिहिर के नगर कायथा ग्राम में 4000 वर्ष पुराने तांबे के हथियार, मिट्टी व तांबे के बर्तन मिले हैं.
- 1987 में महिदपुर में सर्वे के दौरान 4 हजार वर्ष पुराने गायों के सिंग पर लगाने वाले स्वर्णानिष्क व अन्य सामग्री मिली थी.
- बड़नगर के दंगवाड़ा में 1976 में 4000 साल पुराने सिक्के, यज्ञ वेदिका ,पत्थर के मोती मीले थे.
- नागदा के टकरावदा में 2009 में हुए सर्वे में ताम्र सभ्यता के अवशेष पात्र आदि नदी में मिले थे.

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महाकाल मंदिर में भी मिला है पुराना इतिहास
हाल ही में महाकाल मंदिर परिक्षेत्र में 22 से 25 फुट की गहराई में 11विं शताब्दी का जलाधारी शिवलिंग निकला था. परिसर में खुदाई के दौरान 1700 से 2100 साल पुरानी ईंटें. 9वीं व 10वीं शताब्दी की विष्णु मूर्ति के अलावा शुंग काल की दीवार, परमार काल की मूर्तियां, स्तम्भ खंड, शिखर के भाग, रथ का भाग, भरवाई कीचक, हवन कुंड, चूल्हा मिला था. इसके अलावा  2016 सिंहस्थ कुंभ के समय नर कंकाल व हाल ही में 22 जलाई 2021 को खुदाई में मानव हड्डियां बिखरी मिली थीं. इनकी जांच अभी जारी है.

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