Lal Krishna Advani की भोपाल को लेकर वो ख्वाहिश जो कभी हो ना पाई पूरी, आज भी है अधूरी
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Lal Krishna Advani की भोपाल को लेकर वो ख्वाहिश जो कभी हो ना पाई पूरी, आज भी है अधूरी

Lal Krishna Advani Birthday: समय कभी एक सा नहीं रहता. हालात बदले और इतने बदले की लालकृष्ण आडवानी (Lal Krishna Advani) की कही बात के मायने कम होते गए. यहां तक कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल (Bhopal) को लेकर उनकी एक दिली इच्छा को भी दरकिनार कर दिया गया, जो कभी पूरी नहीं हो पाएगी.

आज बीजेपी के पितृ पुरुष (BJP) लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन (Lal Krishna Advani birthday) है

नई दिल्ली: भारतीय राजनीति (Indian Politics) में सबसे लंबी पारी खेल चुके आडवाणी (Lal Krishna Advani) को बीजेपी का पितृ पुरुष कहा जाता है. एक दौर रहा था जब वो ही तय करते थे कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा और क्या रणनीति तय की जाएगी. लेकिन समय कभी एक सा नहीं रहता. हालात बदले और इतने बदले की लालकृष्ण आडवानी की कही बात के मायने कम होते गए. यहां तक कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल (Bhopal) को लेकर उनकी एक दिली इच्छा को भी दरकिनार कर दिया गया, जो कभी पूरी नहीं हो पाएगी. आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन (Lal Krishna Advani birthday) है. ऐसे में एक बार फिर ये किस्सा याद किया जा रहा है. 

आम जनता तक के बीच ये सरगर्मी थी
किस्सा है साल 2014 का जब देश लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा था. उस समय लालकृष्ण आडवाणी भोपाल से चुनाव लड़ना चाहते थे. पार्टी के आला नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक उनकी इस इच्छा के बारे में जानते थे. यहां तक कि मीडिया और आम जनता तक के बीच ये सरगर्मी लंबे समय तक चलती रही थी. उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने ही वाली थी. भोपाल में अति उत्साहित पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके फोटो और नाम के होर्डिंग तक लगा दिए थे. पर उनकी ख्वाहिश को उपेक्षित कर हलात ऐसे बन गए कि उन्हें खुद घोषणा करनी पड़ी कि मैं 'भोपाल छोड़कर गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ रहा हूं. 

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भोपाल में 7 लोकसभा चुनावों में BJP ने कमल खिलाया
माना जा रहा था कि लालकृष्ण आडवाणी के लिए भोपाल सीट काफी फायदेमंद होती. 2014 से पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सात लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने कमल खिलाया था. इंदिरा लहर को छोड़ दें तो कांग्रेस की लाख कोशिश के बाद भी भोपाल से कोई सांसद दिल्ली की राह पर नहीं जा पाया था. सीट पर ब्राम्हण मतदाताओं का काफी प्रभाव था, जो बीजेपी को फायदा देता था. मुस्लिम रियासत होने के बाद भी यहां संघ और भाजपा की दबदबा रहता था. बीजेपी ने इस सीट से जिसे भी उतारा उसने जीत का परचम लहराया. ऐसे में जनता के बीच अपनी चमक कम होती देख आडवाणी के लिए ये आसान राह होती. 

आडवाणी के नाम के लग गए थे होर्डिंग्स
ये चर्चा इतनी जोरों पर थी कि उनके नाम की घोषणा भी नहीं हुई थी और भोपाल की सड़कों पर आडवाणी के नाम के होर्डिंग्स तक लगा दिए गए थे. लेकिन बाद में जब खबर आई कि उन्हें गांधीनगर से ही चुनाव लड़ाया जा रहा है तो मायूसी के साथ होर्डिंग्स हटाए गए. 

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उनकी वो ख्वाहिश रह गई अधूरी 
2014 के लोकसभा चुनावों में भोपाल सीट से लड़ने के लिए लालकृष्ण आडवाणी को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने न्यौता भेजा गया था. उस समय कहा जा रहा था कि शिवराज ने अपने इस कदम से आडवाणी की हमदर्दी भी हासिल कर ली थी और पार्टी के दूसरे खेमे तक ये संदेश भी भेज दिया कि आडवाणी जी का सम्मान हमेशा रहेगा. हालांकि लाख जतन के बाद भी आडवाणी को यू टर्न लेना पड़ा और उनकी वो ख्वाहिश हमेशा के लिए अधूरी रह गई.

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