इंदौर के स्वच्छता का सिरमौर बनने के पीछे ये है राज, इन फॉर्मूलों पर होता है काम
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इंदौर के स्वच्छता का सिरमौर बनने के पीछे ये है राज, इन फॉर्मूलों पर होता है काम

लगातार 5 बार अव्वल बने रहने में सफलता हासिल करने के बाद इंदौर अब स्वच्छता अभियान 2022 की तैयारियों में जुट गया है. इंदौर को स्वच्छता का सिरमौर बनाने के पीछे यहां के लोगों में सफाई की आदत है.

इंदौर के स्वच्छता का सिरमौर बनने के पीछे ये है राज, इन फॉर्मूलों पर होता है काम

इंदौरः मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी व देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर इसी उद्देश्य के साथ लगातार 5 बार अव्वल बने रहने में सफलता हासिल की है. संभवतः इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है जिसने हर साल स्वच्छता की पूर्व नियोजित रणनीति और नए इनोवेशन को अपनाकर तुलनात्मक रूप से अपने से विकसित और संसाधन संपन्न शहरों को स्वच्छता के तमाम पैमानों में आगे बने रहते हुए लगातार मात दी है.

लोगों की आदत में आई सफाई
इंदौर के पहले नंबर पर बने रहने की वजह यहां के लोगों के अलावा स्वच्छताकर्मी, जनप्रतिनिधि, प्रशासन और मीडिया का शहर को साफ रखने के प्रति जज्बा है, जिन्होंने स्वच्छता को अब अपनी आदत बना ली है. यहां कचरा कलेक्शन से लेकर उसकी प्रोसेसिंग तक पूरी एक चेन बनी हुई है. जिसमें कलेक्शन से लेकर प्रोसेसिंग और सैग्रीगेशन 100 फीसदी होता है.

इन फॉर्मूलों पर होता है काम
डोर टू डोर कचरा उठाने वाले वाहन
गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन, यानी जीटीएस
इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत कंट्रोल रूम
सफाई मित्र से लेकर ड्राइवर तक कर्मचारियों और अधिकारियों की समर्पित टीम
4 R के फॉर्मूले (Reduce, Reuse, Recycle and Recover) पर काम

जन भागीदारी के बिना असंभव मुकाम
इंदौर की जनता का स्वच्छता के प्रति समर्पण शहर को देश का सबसे साफ सुथरा शहर बनाता है. जनभागीदारी के किसी भी उपलब्धि को हासिल करना शायद असंभव है. तभी तो आज इंदौर स्वच्छता का सिरमौर है. बीते 5 साल से लगातार नंबर वन होने के बावजूद अब जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की टूल किट जारी की गई हैं.

साल-दर-साल ऐसे हुई प्रगति
2017- पहले इंदौर स्वच्छता सर्वेक्षण में 267 वे नंबर पर था, लेकिन कचरा कलेक्शन के तमाम संसाधन जुटाते हुए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में इंदौर पहली बार नम्बर वन बना
2018- इंदौर में तमाम तरह के रोको-टोको अभियान चलाकर शहर को खुले में शौच मुक्त बनाते हुए पहली बार ओडीएफ प्लस का अवॉर्ड जीता
2019- हैट्रिक के लिए निगम ने करीब 100 एकड़ में फैले कचरे के ट्रेंचिंग ग्राउंड में सालों से फैले 15 लाख मैट्रिक टन कचरे के पहाड़ को खूबसूरत गार्डन के रूप में विकसित कर दिया
2020- गीले कचरे से खाद के अलावा कचरे से तरह-तरह के उत्पाद तैयार किए गए. निगम ने घर घर से लिए जाने वाले कचरा कलेक्शन शुल्क से 40 करोड़ और कचरे से कच्चा माल तैयार कर 1.5 करोड़ सालाना कमाई की
2021- सीवरेज ट्रीटमेंट का वॉटर प्लस का खिताब हासिल किया. शहर की दोनों नदियों में मिलने वाले नालों की नदियों के स्थान पर ड्रेनेज लाइन में टेपिंग कर 21.3 किलोमीटर लंबी कान्ह और 12.4 किलोमीटर की सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया

ये है इंदौर का डेडिकेशन
-करीब 12,000 से 13,000 कर्मचारियों की टीम रोजाना इंदौर को सफाई का सिरमौर बनाए रखने में जुटी होती है
-करीब 15 सौ से ज्यादा अलग-अलग वाहन घर घर से कचरा उठाने उसे जीटीएस ले जाने और वहां से प्लांट ले जाने में लगे हैं
-घर घर से कचरा उठाने वाली गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगा है, इसके अलावा छह अलग-अलग तरह के पार्टीशन भी है जिनमें कचरे को अलग किया जाता है
-इंदौर में कचरे का निपटारा करने वाली गाड़ियों की मॉनिटरिंग के लिए इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत एक कंट्रोल एंड कमांड सेंटर भी बनाया गया है
-इंदौर से रोजाना करीब 500 टन कचरा निकलता है, इनमें गीला सूखा कचरा के अलावा ई वेस्ट, मेडिकल वेस्ट समेत 6 तरह का कचरा शामिल है

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2022 के लिए तैयारियों में जुटा इंदौर
जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की टूल किट जारी की गई हैं. उसमें कचरे की प्रोसेसिंग के साथ एंड प्रोडक्ट पर फोकस होगा. इसके अलावा एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी, जिसकी तैयारियां इंदौर में पहले से ही माइक्रो लेवल पर शुरु हो गई है.

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