9 रोचक किस्से: किसके साथ दर्जनभर बच्चे पैदा कर खंडवा की गलियों में घूमना चाहते थे किशोर कुमार?
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9 रोचक किस्से: किसके साथ दर्जनभर बच्चे पैदा कर खंडवा की गलियों में घूमना चाहते थे किशोर कुमार?

किशोर कुमार जब भी खंडवा आते थे अपने दोस्तों के साथ शहर की गलियों में घूमते थे. उन्हें जलेबी खाने का बड़ा शौक था. उनकी ज्यादातर महफ़िल घर के पास स्थित लाला जलेबी की दुकान पर ही सजती थी. 

फाइल फोटो

खंडवा: आज भारतीय फिल्म जगत के हरफनमौला कलाकार स्व. किशोर कुमार की पुण्य तिथि है. हर साल 13 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के खंडवा में उनकी समाधि पर उनके प्रशसंक पहुँचते हैं. किशोर कुमार की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनका पार्थिव शरीर मुम्बई से खंडवा लाया गया और खंडवा की जन्म भूमि पर ही उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके चाहने वालों ने उसी जगह उनकी समाधि भी बना दी जो आज तक पूजी जा रही है. बाद में सरकार ने यहाँ एक भव्य स्मारक बनवा दिया जो एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित हो चुका है.

स्कूल में थे सबसे शरारती छात्र
किशोर कुमार की स्कूली शिक्षा खंडवा में ही पूरी हुई उसके बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर भेज दिया गया. उनके स्कूल के दोस्त बताते थे कि वह शुरू से ही बड़े चुलबुले थे. स्कूल में डेस्क बजाना और उसपर खड़े होकर नाचना उनका शौक था. पढाई में कमजोर किशोर टीचरों की नक़ल उतरने में भी माहिर थे.

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खंडवा स्थित मकान जर्जर
किशोर कुमार का पुश्तेनी मकान आज जर्जर हालत में है. घर की छते गलने लगी है, दीवारे अब जवाब दे रही है. घर के अंदर रखा सामान मानों आज भी उनकी प्रतीक्षा कर रहा है. कुछ दिन पहले इसके बिकने की खबर आई थी लेकिन अमित कुमार ने समाचार पत्रों में  नोटिस देकर इसपर विराम लगा दिया. पिछले 40 सालों से उनका जर्जर मकान एक चौकीदार के जिम्मे है.

लाला की जलेबी थी सबसे पसंद
वह जब भी खंडवा आते थे अपने दोस्तों के साथ शहर की गलियों में घूमते थे. उन्हें जलेबी खाने का बड़ा शौक था. उनकी ज्यादातर महफ़िल घर के पास स्थित लाला जलेबी की दुकान पर ही सजती थी. यही वजह है कि उनकी समाधी पर जाने वाले उनके फैन दूध जलेबी का भोग लगाने के बाद ही श्रद्धांजलि अर्पित करते है. किशोर तो अब नही रहें लेकिन वह जलेबी की दुकान आज भी किशोर कुमार के नाम से चल रही है. दुकानदार किशोर कुमार की फोटो की पूजा करने के बाद ही  धंधा शुरू करते है.

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किशोर कुमार के किस्से

1. उन्होंने जब भी स्टेज-शो किए हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन में बोलते थे 'मेरे दादा-दादियों ' मेरे नाना-नानियों, मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम. नमस्कार !

2. किशोर कुमार के बड़े भाई अनूप कुमार कुछ योडलिंग रेकॉर्ड घर ले आए. घर पर उन्हें सुनकर योडलिंग की प्रैक्टिस करने लगे. बड़े भाई के पास संगीत की तालीम हासिल थी एक दिन अनूप और किशोर कुमार में कौन बेहतर योडलिंग करता है - यह शर्त लगी बस फिर किशोर कुमार को धुन सवार हो गई. वे योडलिंग की प्रैक्टिस करने लगे. एक बार तो जब अनूप कुमार कहीं बाहर से अपने घर पहुंचे तो उन्हें योडलिंग की आवाज़ सुनकर यह गलतफ़हमी हो गई कि एलपी रिकॉर्ड बज रहा है

3. हिन्दी सिनेमाई तरानों में योडलिंग और किशोर कुमार दोनों शब्द एक दूसरे का पर्याय हैं. 'मैं हूं झुम झुम झुम झुम झुमरू..' की जबर्दस्त योडलिंग हो. या मेरे जीवनसाथी फिल्म की `चला जाता हूं किसी की धुन में...`जैसी एक अलग ही अंदाज़ की मस्तीभरी यूडल हो. किशोर ने ही इस विधा से बॉलीवुड को परिचित करवाया था. 

4. हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को अलग नाम का दर्जा दिलाने में किशोर कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उनकी आवज पाकर देवआनंद सदाबहार हीरो, राजेश खन्ना को सुपर सितारा और अमिताभ बच्चन महानायक हो कहलाए जाने लगे.

5. अपने शहर से लगाव के चलते उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी मधुबाला से शादी के बाद मजाक में कहा था- 'मैं दर्जनभर बच्चे पैदा कर खंडवा की गलियों में उनके साथ घूमना चाहता हूँ.

6. किशोर कुमार इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ते थे. हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते. वो अपने शहर से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह पाते थे. सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते थे और मुसाफिरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे.

7. कॉलेज की कैंटीन से वह उधारी भी करते थे. किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पांच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको यह चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पांच रुपया बारह आना गा-गाकर धुन निकालते थे. बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पांच रुपया बारह आना का इस्तेमाल फिल्म में भी किया.

8. आपातकाल के दौरान कांग्रेस की हालत काफी खराब थी.अपनी खराब हालात देखकर कांग्रेस को भी समझ आ गया था कि उन्हें एक ऐसे आवाज की जरूरत है जो उसकी बात आम जनता तक पहुंचा सके. इसके लिए उन्होंने किशोर कुमार से संपर्क किया. लेकिन किशोर कुमार ने यह मना कर दिया तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने किशोर कुमार के गानों पर बैन लगा दिया.

9. यह बैन करीब 3 सालों तक चला और उनके गाने दूरदर्शन और आकाशवाणी पर नहीं चलाए गये. बैन पर किशोर कुमार ने एक बार कहा था, 'कौन जाने वो क्यों आए लेकिन कोई भी मुझसे वो नहीं करा सकता जो मैं नहीं करना चाहता. मैं किसी दूसरे की इच्छा या हुकूम से नहीं गाना गाता.

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