नक्सल प्रभावित इलाके में स्वच्छ भारत अभियान बेहाल, खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण
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नक्सल प्रभावित इलाके में स्वच्छ भारत अभियान बेहाल, खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण

नारायणपुर के घोर नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत मुरनार में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये जाने वाले 75 शौचालयों का निर्माण पंचायत सचिव के लापरवाही के चलते तीन साल से अधूरा पड़ा है. जिसके चलते ग्रामीण खुले जंगल में शौच जाने को मजबूर हैं.

 

निर्माणाधीन पड़ा शौचालय

नारायणपुरः एक तरफ जहां सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर शौचालय बनवाकर लोगों को खुले में शौच से मुक्त करने पर लगी है तो वहीं नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के मुरनार में स्वच्छ भारत अभियान की पोल खुली है. जहां स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाये जाने वाले 75 शौचालय 3 साल से अधूरा पड़ा है, कहीं शौचालय की दीवाल तो कहीं टीन की दीवाल बनाकर आधी-अधूरी छोड़ी गई है. कई घरों में तो शौचालय निर्माण के सामान 3 साल से रखें हैं. 

खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण
शौचालय के निर्माण होने की बात से ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ी थी. लेकिन 3 सालों से निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों में पंचायत के प्रति है काफी नाराजगी है. वहीं जनपद पंचायत सीईओ रोमांचल यादव ने मामले की जांच कराने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ते नजर आए. बता दें कि ग्राम पंचायत द्वारा शौचालय के समानों को खुले में ले जाकर सालों से रखा गया है, लेकिन आज तक इसका निर्माण पुरा कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. पंचायत सचिव के इस लापरवाही के चलते ग्रामीण खुले जंगल में शौच जाने को मजबूर हैं.

दरअसल नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर दूर घोर नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत मुरनार में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाये जाने वाला 75 शौचालय का निर्माण कार्य पिछले 3 साल से अधूरा होने के कारण ग्रामीण नाराज हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत द्वारा लोगों के घरो में शौचालय निर्माण का सामान लाकर छोड़ दिया गया है, लेकिन निर्माण कार्य कई घरों में शुरू तक नहीं किया गया और कई घरो में महज दीवाल और टीन शेड ही खड़ा कर दिया गया है. 

खुले जंगल में जाना पड़ता है शौच
शौचालय निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को शौच के लिए खुले में जंगल में जाना पड़ता है, जहां रात को जंगली जानवर का भय सदैव बना रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय के निर्माण होने से उसका उपयोग करने का सोचे थे. जो पंचायत की लापरवाही के चलते सपना ही बनकर रह गया वहीं पंचायत द्वारा शौचालय निर्माण का समान 3 सालों से खुले में लाकर छोड़ दिया गया था, जो भी अब टूट-फुट कर खराब हो गया है. लेकिन ग्राम पंचायत के सचिव सरपंच को कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि गांव तक कोई अधिकारी आता ही नहीं है. 

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