World News: खालिस्तानी गतिविधियां ब्रिटिश सरकार के लिए खतरनाक, UK की एक रिपोर्ट ने खोली पोल
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World News: खालिस्तानी गतिविधियां ब्रिटिश सरकार के लिए खतरनाक, UK की एक रिपोर्ट ने खोली पोल

Khalistan Movement On UK: एक इंडिपेंडेंट रिपोर्ट 'द ब्लूम रिव्यू' (The Bloom Review) में खालिस्तानियों की यूके में बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जाहिर की गई है. रिपोर्ट में खालिस्तानियों की विध्वंसक, आक्रामक और बढ़ती सांप्रदायिक गतिविधियों को ब्रिटेन के लिए खतरा माना गया है.

फाइल फोटो

New Update on Khalistan Movement: कनाडा, यूके ,जर्मनी और अमेरिका में खालिस्तानी गतिविधियां अब दुनिया के कई देशों के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं. पहली बार ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट ने खालिस्तानियों से बढ़ते खतरे ने चिंता में डाल दिया है. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Former Prime Minister Boris Johnson) द्वारा कमीशन की गई एक इंडिपेंडेंट रिपोर्ट 'द ब्लूम रिव्यू' (The Bloom Review) में खालिस्तानियों की यूके में बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जाहिर की गई है.

खालिस्तानियों को बताया खतरा

इस रिपोर्ट में खालिस्तानियों की विध्वंसक, आक्रामक और बढ़ती सांप्रदायिक गतिविधियों को ब्रिटेन के लिए खतरा माना गया है, साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि खालिस्तानी समर्थकों और उससे जुड़े ग्रुप की ब्रिटेन की संसद तक पहुंच न हो सके इसकी कोशिश करनी चाहिए. इस रिपोर्ट को तैयार करने में 21 हजार से ज्यादा ब्रिटिश लोगों की प्रतिक्रियाओं को शामिल किया गया है.

खालिस्तानी तत्वों पर लगे लगाम

ये रिपोर्ट उस वक्त में आई है जब इस साल मार्च में खालिस्तानियों के एक गुट ने लंदन में स्थित भारतीय हाई कमीशन पर हमला कर दिया था. इस हमले में शामिल खालिस्तानी तत्वों पर कारवाई के लिए भारत ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाया था, साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले दिल्ली पुलिस और उसके बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ( NIA) को इस हमले की जांच सौंप दी थी. देखा जाए तो ये पहली बार है कि जब UK सरकार की गठित कमीशन ने यूके में बढ़ रहे खालिस्तानी तत्वों पर लगाम लगाने की बात की है.

आईए बताते हैं कि रिपोर्ट में क्या बातें शामिल की गई हैं

1- आज ब्रिटेन में रहने वाले बहुसंख्यक ब्रिटिश सिख समुदाय ने देश को मजबूत बनाया है और एक अधिक संतुलित और गतिशील समाज बनाया है. 'द ब्लूम रिव्यू' में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार सिख समुदाय का आचरण सर्वोत्तम ब्रिटिश मूल्यों का आदर्श अवतार है यानी स्वतंत्रता, लोकतंत्र, न्याय, सहिष्णुता और सम्मान.

2-  दुनिया भर में और विशेष रूप से ब्रिटेन में सिख अपने धर्मार्थ और मेहमाननवाज स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और सकारात्मकता वे उस व्यापक समुदाय में लाते हैं जिसके भीतर वे रहते हैं. UK की रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि सिख समुदाय यूके में सबसे पुराने अल्पसंख्यक समुदायों में से एक है.

खालिस्तान समर्थकों से पहला खतरा

1- रिपोर्ट में कहा गया है ब्रिटिश सिखों का एक छोटा और आक्रामक अल्पसंख्यक समूह है, जिसे खालिस्तान समर्थक चरमपंथी के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो एक जातीय-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है.

2- रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश सिख समुदायों के भीतर एक शक्ति संघर्ष चल रहा है कि UK में आधिकारिक स्तर पर ब्रिटिश सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व कौन करेगा और किस निकाय को यूके में सबसे प्रमुख सिख निकाय के रूप में मान्यता दी जाएगी.

3- कॉलिन ब्लूम की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में सिखों के लिए कोई एक आधिकारिक नेता या धार्मिक प्राधिकरण मौजूद नहीं है. इसके बजाय वहां परिषदों, समुदायों और समूहों का एक समूह मौजूद है जो सभी शक्ति और प्रभुत्व के लिए संघर्ष करते हैं.

4- ब्रिटिश सिखों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले विभिन्न निकायों के बीच यह शक्ति संघर्ष सरकारी निकायों और मीडिया में भी आधिकारिक स्तर पर फैल गया है.

5- रिपोर्ट के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले कई लोग जिनमें कुछ राजनेता, सार्वजनिक हस्तियां, शिक्षाविद और अधिकारी हैं और उन्होंने आक्रामक सिख कार्यकर्ताओं द्वारा अपमानित, पीड़ित, परेशान या धमकाने की इसी तरह की कहानियों को साझा किया है क्योंकि वे उनके एजेंडे की आलोचना करने या उससे विचलित होने का साहस किया.

6- रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे ही ग्रुपों से जुड़े कुछ सिख कार्यकर्ता लोगों को गाली देते हैं, डराते-धमकाते हैं और लोगों को परेशान करते हैं, यहां तक कि 'देशद्रोही', 'अपवित्र', 'नास्तिक' और 'विधर्मी' जैसे नामों का सहारा लेते हैं.

7- रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश सरकार द्वारा इस चरमपंथी व्यवहार पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और इसकी गहन जांच की जानी चाहिए. ये सिख 'एक्टिविस्ट' न केवल शारीरिक नुकसान की धमकी दे रहे हैं, बल्कि वे सार्वजनिक पदधारियों को डरा-धमकाकर ब्रिटेन में लोकतंत्र की नींव को भी खतरे में डाल रहे हैं.

खालिस्तान समर्थकों से दूसरा खतरा

1- रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश सिख समुदायों के बीच दूसरी चिंताजनक प्रवृत्ति एक अतिवादी फ्रिंज विचारधारा, खालिस्तान समर्थक, एक अलगाववादी आंदोलन का उदय है जिसका उद्देश्य पंजाब में सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि बनाना और भारत से अलग होना है.

2- यह चरमपंथी विचारधारा विध्वंसक, आक्रामक है और कुछ खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं की कार्रवाइयां ब्रिटिश सिख समुदाय के लिए नकारात्मक प्रभाव पैदा कर रही हैं.

3- ब्रिटेन में ब्रिटिश सिखों का एक छोटा अल्पसंख्यक समूह है जिसे खालिस्तान समर्थक चरमपंथी माना जा सकता है लेकिन उनके बेहद मुखर और अति आक्रामक स्वभाव के कारण, यह अल्पसंख्यक अक्सर हिंसा और डराने-धमकाने की रणनीति के लिए उनके समर्थन के लिए सुर्खियों में रहता है.

4- अभी पिछले महीने खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर धावा बोल दिया और खालिस्तान झंडा फहराते हुए भारतीय ध्वज को नीचे उतार दिया.

5- रिपोर्ट में सबसे अहम बात ये है कि खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता पंजाब को भारत से अलग करके खालिस्तान नामक सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके क्षेत्रीय दावों में पंजाब के कुछ हिस्से शामिल नहीं हैं जो पाकिस्तान में हैं. यह खालिस्तान की लंबे समय से चली आ रही मांग के पीछे पूरे मकसद पर सवाल खड़ा करता है.

6- एक प्रतिवादी के अनुसार ये खालिस्तान चरमपंथी भारत से नफरत करने के लिए युवाओं का ब्रेनवॉश करने के साथ-साथ नफरत और विभाजन का प्रचार कर रहे हैं. प्रतिवादी ने कहा कि ये चरमपंथी अपने स्वयं के स्वार्थी राष्ट्रवादी एजेंडे और नफरत फैलाने के लिए धन जुटाने के लिए धार्मिक जगहों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

7- यूके की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि सिख चरमपंथियों ने ऑनलाइन और मीडिया सामग्री में भी मजबूत पकड़ बना ली है. यूके और अन्य देशों में सिख चरमपंथी समूह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि फेसबुक और यूट्यूब पर ग्राफिक और चिलिंग इमेजरी, हिंसा को बढ़ावा देने वाले संदेश और अश्लील भाषा वाले वीडियो और प्रचार सामग्री अपलोड कर रहे हैं.

खालिस्तान समर्थकों से तीसरा खतरा

1- रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश सिख समुदाय के संबंध में चिंता का तीसरा क्षेत्र सांप्रदायिकता और मुस्लिम विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने वाले कुछ व्यक्तियों और संगठनों में वृद्धि है. इसके साथ ही भेदभावपूर्ण और महिला विरोधी व्यवहार को वैधता प्रदान की गई है, जब वास्तव में सिख मान्यताएं महिलाओं के लिए सहिष्णुता, स्वीकृति और सम्मान को बढ़ावा देते हैं.

2- रिपोर्ट के एक उत्तरदाता के अनुसार ये व्यक्ति अल्पसंख्यक हैं, लेकिन इस अल्पसंख्यक का इंग्लैंड में प्रमुख धार्मिक स्थलों पर नियंत्रण है और खालिस्तान के लिए धन जुटाने और सोशल मीडिया पर खुले तौर पर इसका विज्ञापन करने के लिए इन तरीकों का उपयोग करता है. इन धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल युवाओं का ब्रेनवॉश करने और उन्हें अपने स्वार्थी एजेंडे पर चलने के लिए भर्ती करने के लिए भी किया जा रहा है.

3- इस प्रकार का व्यवहार यूके में सिख समुदाय को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है साथ ही ब्रिटिश-विरोधी भावनाओं को भी बढ़ा रहा है.

4- 159 पन्नों की द ब्लूम रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक कई लोगों ने माना है कि चरमपंथी समूहों की वजह से ब्रिटेन में विभाजन और शत्रुता का माहौल बन रहा है। रिपोर्ट के उत्तरदाताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि यूके सरकार को इन चरमपंथियों के बीच अंतर करना चाहिए जो केवल सत्ता चाहते हैं और नफरत और मुख्यधारा के सिख समुदायों को बढ़ावा देते हैं.

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