केरल के राज्यपाल ने हिजाब विवाद को लेकर कोर्ट के फैसले पर महबूबा को घेरा
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केरल के राज्यपाल ने हिजाब विवाद को लेकर कोर्ट के फैसले पर महबूबा को घेरा

कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब विवाद (Hijab Controversy) के फैसले को लेकर कई नेता अपनी-अपनी टिप्पणी दे रहे हैं. ऐसे में केरल के राज्यपाल (Arif Mohammad Khan) ने महबूबा के दिए गए बयान पर इस कश्मीरी नेता पर जमकर निशाना साधा है.

केरल के राज्यपाल ने हिजाब विवाद को लेकर कोर्ट के फैसले पर महबूबा को घेरा

नई दिल्ली: कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा मानने से इनकार कर दिया है. लगभग 74 दिन तक सुनवाई चलने के बाद यह फैसला आया है. केरल के राज्यपाल (Governor of Kerala) ने इस बारे में कहा कि वो इस फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि जुडिशरी से कोई भी फैसला आता है, तो हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम उस फैसले को स्वीकार करें. राज्यपाल को इस बात की उम्मीद है कि सब इस फैसले को स्वीकार करेंगे.

  1. हिजाब विवाद जारी
  2. केरल के राज्यपाल ने तोड़ी चुप्पी
  3. महबूबा पर साधा निशाना

केरल के राज्यपाल ने तोड़ी चुप्पी

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि जो लोग अभी सवाल खड़े कर रहे हैं उनसे पूछिए क्या उन्हें अभी फ्रीडम नहीं मिल रही है. सवाल है कि क्या स्कूलों को ये फ्रीडम है कि नहीं कि वे अपने बच्चों के लिए एक ड्रेस कोड (Dress Code) लागू कर सकें. जहां तक आम आदमी या महिला का प्रश्न है तो उन्हें पूरी स्वतंत्रता है, जो चाहें वह पहनें. उन्हें कोई मना नहीं करने वाला. लेकिन हमारे विद्यालय (Schools) में जो बच्चे पढ़ते हैं उनसे जुड़ी बहुत सारी परिस्थितियां आती हैं, जहां हम चाहते हैं कि हम तुरंत उस बच्चे को पहचानें. 

ड्रेस कोड के बताए फायदे

उन्होंने आगे कहा कि अगर हम बच्चों (Students) को कहीं टूर पर लेकर जाते हैं और उनके साथ कोई हादसा हो जाए तो हमें उनकी ड्रेस से पता चल जाता है कि यह बच्चा हमारे विद्यालय में पढ़ता है. इसलिए यह फैसला राज्य सरकार भी नहीं करती. यह फैसला स्कूल करता है और इसलिए एक स्कूल के बच्चे की ड्रेस दूसरे स्कूल से अलग होनी चाहिए. धर्म (Religion) के नाम पर आप ये कह सकते हैं कि मेरे धर्म या आपको उस ड्रेस को पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाए जिसे मेरा धर्म मना करता है लेकिन क्या धर्म यह कहता है कि तुम ऐसा मत करो?

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सुप्रीम कोर्ट का आर्टिकल 25 क्या कहता है? 

इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तय कर दिया है कि आर्टिकल 25 सेक्शन 25 A के तहत संरक्षण तब मिलेगा जब आप यह साबित करें कि जिस प्रैक्टिस को आप करना चाहते हैं यह आपकी आस्था पर चलने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस्लाम (Islam) के मामले में बहुत ज्यादा डिटेल में जाने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि इस्लाम ने खुद बता दिया है कि क्या जरूरी है. उन्होंने बच्चों का राजनीतिक इस्तेमाल किए जाने पर भी अपनी राय बताई.

बच्चों का राजनीतिक इस्तेमाल किए जाने पर भी बोले

केरल के राज्यपाल ने कहा कि वो पहले ही कह चुके हैं कि वो उन बच्चों को मासूम मानते हैं जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया. वो मानते हैं कि कोई भी जिसकी सोच-समझ परिपक्व है वो अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मार सकता. इन बच्चों में एक भावना पैदा कर दी गई है जैसे कि उनके धर्म (Religion) पर कोई हमला किया जा रहा हो. यह कोई नई चीज नहीं है, धर्म के नाम पर तो हमारे देश का बंटवारा हुआ है. लोगों के मन में यह डर भर दिया गया कि उनका धर्म खतरे में है. अगर यह बच्चे या बच्चियां उसका शिकार हो जाएं, तो हम इन बच्चों को दोष नहीं देंगे. दोष तो उनका है, जो जान-बूझकर उनके दिलों में इतनी नफरत पैदा कर रहे हैं.

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महबूबा मुफ्ती को घेरा

महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और अबू आजमी (Abu Azmi) के बयानों पर उन्होंने भी सवाल खड़े किए. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि इस पर मैं कमेंट भी करूं. लेकिन एक सवाल जो मेरे दिमाग में आता है वो है कि जो मुस्लिम कानून (Muslim Laws) लिखे गए हैं, उसमें अगर हिजाब (Hijab) है और वो उसके नाते इसे डिफेंड कर रही हैं तो उसमें यह भी लिखा हुआ है कि महिला का नेतृत्व किसी भी कौम को बर्बाद कर देता है. इस बात को वह अपने मामले में भी लागू करें. वो इस नेतृत्व की लड़ाई में क्यों हैं? उन्होंने आगे कहा कि वह नेतृत्व की लड़ाई में इसलिए हैं क्योंकि भारत का संविधान उन्हें इसकी इजाजत देता है. 

भारत के कानून पर ये कहा

केरल के राज्यपाल ने कहा कि इसी तरह भारत का कानून (Law of India) यह कहता है कि सिर्फ उस प्रैक्टिस को संरक्षण मिलेगा जो एसेंशियल है. अगर वह नॉन एसेंशियल प्रैक्टिस (Non-Essential Practice) के कानून को धर्म से जोड़कर खराबी निकाल रही हैं तो मत भूलें कि कानून (Law) में लिखा हुआ है कि जो कोई कौम अपना नेतृत्व महिला को सौंप देगी, वह बर्बाद हो जाएगी. वह कश्मीरियों को बर्बाद करना चाहती हैं जब वह कहती हैं कि उनको नेता मान लिया जाए और उनको मुख्यमंत्री (CM) बनाया जाए यानी अपने लिए एक चीज और बच्चियों के लिए दूसरी चीज.

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'द कश्मीर फाइल्स' पर भी बोले राज्यपाल

'द कश्मीर फाइल्स' ('The Kashmir Files') को लेकर संसद में ओवैसी समेत कई नेता सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि एक धर्म के लोगों को टारगेट किया गया है. इसके जवाब में राज्यपाल बोले कि आज तक मैंने 4 से ज्यादा फिल्में नहीं देखी हैं लेकिन कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के लिए मैं बहुत बोला हूं. मेरी पूरी हमदर्दी उनके साथ है. मैंने तो यहां तक कहा है कि आप इस्लाम-जिहाद (Islam-Jihad) के नाम पर चाहे जो करिए लेकिन इस्लाम में आप कुरान पढ़िए. उन्होंने कहा कि हथियार उठाने की इजाजत केवल तब दी जाती है जब किसी को उसकी धार्मिक आस्था (Religious Belief) के कारण घर छोड़ने पर मजबूर किया जाए. और कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ने पर मजबूर किया गया, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए. 

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