Kashmiri Pandits: मां खीर भवानी के जल कुंड का बदला रंग, कश्मीरी पंडितों ने कहा- खतरे का है संकेत!
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Kashmiri Pandits: मां खीर भवानी के जल कुंड का बदला रंग, कश्मीरी पंडितों ने कहा- खतरे का है संकेत!

Maa Kheer Bhawani: मां खीर भवानी के जल कुंड के रंग बदलने को लेकर कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) ने इसे खतरे का संकेत बताया है. ऐसा माना जाता है कि जब भी भवानी मां के कुंड का जल लाल या काला होने लगता है, तो मानवता पर संकट (Danger) आते हैं. 

Kashmiri Pandits: मां खीर भवानी के जल कुंड का बदला रंग, कश्मीरी पंडितों ने कहा- खतरे का है संकेत!

Sign Of Danger According To Kashmiri Pandits: मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में तुलमुला इलाके में स्थित माता खीर भवानी के जल कुंड का रंग पिछले कुछ दिनों से बदल रहा है. यह रंग लाल होता दिख रहा है. स्थानीय कश्मीरी पंडितों के अनुसार यह एक खतरे का संकेत है. कश्मीरी पंडितों (जिनकी कुल देवी माता खीर भवानी हैं) के अनुसार जब भी कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में कोई भी विपदा आती है तो जल कुंड के रंग बदलने से संकेत मिलता है. तुलमुला गांव में स्थित माता खीर भवानी के इस मंदिर का जल कुंड खुद माता भवानी का स्वरूप माना जाता है और यह अपने रंग बदलकर आने वाली स्थितियों के संकेत देती है. 

कई भक्त हैं चिंतित 

पिछले कुछ दिनों से इस जल कुंड का रंग लाल (Red Colour) होता दिख रहा है जिसके चलते यहां आए माता के भक्त परेशान हैं. एक महिला भक्त गुडी जूतशि ने बताया कि उन्हें यहां पर 10-15 दिन हो गए हैं लेकिन कुंड के पानी का रंग सही नहीं है. इससे पहले भी ऐसा ही रंग था जिसके बाद कोरोना (Corona) फैलना शुरू हुआ. अब फिर से ऐसा रंग आया है, ऐसा लगता है फिर से हालात खराब होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि जब भी कोई विपदा आने वाली होती है तो इस कुंड में पानी का रंग बदलता रहता है.

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क्या है रंग बदलने का मतलब?

गुडी ने कहा, 'इसका रंग बदलकर रेडिश हो रहा है. यह बहुत गलत है. इसका मतलब है कि कुछ होने वाला है. खून रेजी होने वाली है क्योंकि जब पलायन हुआ था, उस वक्त काला रंग था और हम में से कुछ यहां से चले गए और ना जाने कितने मर गए. फिर कोरोना में कितना विनाश हुआ. अब फिर ऐसा हो रहा है इसका मतलब जब राहुल भट्ट (Rahul Bhatt) की मौत हुई, उससे तीन-चार दिन पहले इसका रंग बदलकर मलमेटा था. फिर धीरे-धीरे लाल जैसा हुआ. जिसके बाद राहुल मारा गया, वो पुलिसकर्मी मारा गया और ब्लास्ट (Blast) हुआ. उम्मीद करते हैं कि यह इंडिकेशन गलत है कि कुछ ना कुछ होगा. हम प्रार्थना करते हैं कि आगे कुछ गलत ना हो.' 

कब-कब बदला रंग?

बताया जाता है कि जब इस कुंड के पानी का रंग लाल, पीला या काला होने लगता है तो वो किसी बड़ी आपदा (Disaster) के आगमन का प्रतीक माना जाता है. जबकि सफेद, नीला या हल्के रंगों को अच्छाई का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि जल कुंड के जल में रंग परिवर्तन होते हुए देखा गया है. खासकर जब 90 के दशक में जब कश्मीर घाटी में हालात खराब हुए थे तब भी इसका रंग काला हुआ था. उस समय पंडितों का कश्मीर में नरसंहार (Massacre) हुआ था और उनका यहां से पलायन हुआ था. ऐसे ही 1999 में कारगिल युद्ध से पहले इसका रंग लाल हुआ था. 2014 में बाढ़ से पहले भी इसका रंग बदला था. यही नहीं बल्कि कोविड से पहले भी इसका रंग बदला था. 

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पुजारी ने बताई भक्तों की मान्यता

मंदिर के पुजारी बंसी लाल जी (Bansi Lal Ji) कहते हैं, 'जब 1999 युद्ध हुआ था तब इसका रंग लाल हुआ था. लाल और काले रंग खतरनाक हैं. जब भी कोई खतरा आने वाला होता है तो इसका रंग बदल जाता है. बाढ़ के वक्त इसका रंग बदल गया था.' कश्मीरी पंडित ही नहीं बल्कि स्थानीय लोग भी इसमें यकीन रखते हैं. भक्त मानते हैं कि कश्मीर में होने वाला खून खाराबा इसी बदले रंग के कारण हो रहा है. अब यहां भक्त पूजा पाठ में जुट गए हैं ताकि माता खुश हों. भक्तों (Devotees) के अनुसार कुछ हद तक कुंड का पानी साफ हुआ है और अब माता से प्रार्थना है कि अपनी कृपा बनाएं और कश्मीर में सुख शांति लौटे. 

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