जानिये स्नान का वो तरीका जिससे मिलेंगी लक्ष्मी, 30 दिन स्नान से भरेगा खजाना
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जानिये स्नान का वो तरीका जिससे मिलेंगी लक्ष्मी, 30 दिन स्नान से भरेगा खजाना

स्नान तो आप रोज़ करते हैं लेकिन कार्तिक स्नान से तिजोरी भर सकती है। कार्तिक स्नान साधारण स्नान नहीं है। इसमें स्नान के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। ज़्यादातर लोगों को कार्तिक स्नान की विधि के बारे में जानकारी नहीं है। इसीलिये हम आपके लिये लाये हैं कार्तिक स्नान की वह विधि, जो स्कंद पुराण में बताई गई है। ये स्नान तन से ज्यादा मन का है। प्रसन्न मन से जब आप कोई भी काम करेंगे तभी सफलता मिलेगी। लक्ष्मी जी भी आपके भाग्य में तभी आयेंगी, जब आप प्रसन्न रहेंगे क्योंकि प्रसन्नता भी लक्ष्मी का ही एक रूप है। 

फाइल फोटो

दिल्ली: स्नान तो आप रोज़ करते हैं लेकिन कार्तिक स्नान से तिजोरी भर सकती है। कार्तिक स्नान साधारण स्नान नहीं है। इसमें स्नान के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। ज़्यादातर लोगों को कार्तिक स्नान की विधि के बारे में जानकारी नहीं है। इसीलिये हम आपके लिये लाये हैं कार्तिक स्नान की वह विधि, जो स्कंद पुराण में बताई गई है। ये स्नान तन से ज्यादा मन का है। प्रसन्न मन से जब आप कोई भी काम करेंगे तभी सफलता मिलेगी। लक्ष्मी जी भी आपके भाग्य में तभी आयेंगी, जब आप प्रसन्न रहेंगे क्योंकि प्रसन्नता भी लक्ष्मी का ही एक रूप है। 
 कार्तिक मे शीतल जल से स्नान
-शीतल जल से स्नान करने से शरीर सर्दी के अनुकूल होता है।

-सूर्योदय से पहले किया जाता है कार्तिक स्नान
 स्कंद पुराण में कार्तिक स्नान
मान्यता है कि जो कार्तिक में भगवान विष्णु के आगे अरुणोदयकाल में जागरण करता है,नदी में स्नान करता है, विष्णु जी की कथा सुनता और वैष्णवों का दर्शन करता है, उसके पितरों का नरक से उद्धार हो जाता है। लेकिन कार्तिक मास का स्नान कैसे करें, इस बारे में स्कंद पुराण में विस्तार से वर्णन मिलता है।
कैसे करें कार्तिक स्नान?
-कार्तिक स्नान रात 2 घड़ी बाकी होने यानि ब्रह्म महूर्त में करीब 4 बजे शुरु होता है। 
-तुलसी जी की मिट्टी, वस्त्र और कलश लेकर, तालाब या नदी में जायें। 
-पैर धोकर गंगा जी का स्मरण और विष्णु और शिवजी का ध्यान करें।
-जल में उतरें और नाभि के बराबर जल में खड़े हो जायें।
-स्नान आरंभ करने से पहले यह मंत्र पढ़ें-
-कार्तिकेअहं करिष्यामि प्रात:स्नानं जनार्दन
-प्रीत्यर्थें तव देवेश दामोदर मया सह

-अर्थात जनार्दन,देवेश्वर दामोदर लक्ष्मी सहित आपकी प्रसन्नता के लिये मैं कार्तिक में प्रात: स्नान करूंगा। इस मंत्र से स्नान का संकल्प करके, दूसरे मंत्र से जल का अर्घ्य दें --गृहाणार्घ्यं मया दत्तं राधया सहितो हरे, नम: कमलनाभाय नमस्ते जलशायिने, नमस्तेअस्तु ऋषीकेश गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते।
अर्थात हे भगवन, आप श्रीराधा के साथ मेरे दिये हुये इस अर्घ्य को स्वीकारें, आप कमलनाभ को नमस्कार है। जल में शयन करने वाले आप नारायण को नमस्कार है। 
-फिर पुरूष सूक्त से सिर पर जल छिड़कें।
-उसके बाद बाहर आकर मस्तक पर तीर्थ का जल डालें।
-फिर हाथ में तुलसी लेकर 3 बार आचमन करके, पानी से बाहर धोती निचोड़ें।  वस्त्र निचोड़ने के बाद तिलक करें। अगर आप इस तरीके से कार्तिक स्नान करेंगे तो इसका पूरा फल मिलेगा। जीवन में अभाव और तंगहाली से छुटकारा मिलेगा। वैसे भी कार्तिक में श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। ऐसे समय में की गई विधिवत अर्चना का बहुत लाभ मिलता है।

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