हमास ये दावा कर रहा है कि वो जीत गया है लेकिन हमास को ये देखना पड़ेगा कि सिर्फ रॉकेट दागने से जीत नहीं होती. आतंकवादी संगठन हमास के लिए आज ये समझना जरूरी है कि वो इजरायल को कभी हरा नहीं सकता.
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नई दिल्ली: इजरायल (Israel) और आतंकवादी संगठन हमास (Hamas) के बीच 11 दिनों तक चले युद्ध संघर्ष के नतीजे अब आ गए हैं. ये संघर्ष क्रिकेट के एक मैच की तरह टाई हो गया है. यानी हमास के साथ युद्धविराम पर इजरायल ने सहमति दे दी है. लेकिन इस युद्ध के टाई होने के बावजूद दोनों पक्ष अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं? इसलिए अब हम आपको ये बताएंगे कि 11 दिनों तक चले इस युद्ध में विजेता कौन रहा?
ऐसा कहा जा रहा है कि मिस्र (Egypt) और अमेरिका (America) ने युद्धविराम के लिए इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता की और इजरायल ने भी युद्धविराम के प्रस्ताव को सहमति दे दी. हालांकि इसके पीछे वजह ये बताई जा रही है कि इजरायल पर गाजा पट्टी में हवाई हमलों को लेकर भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव था, जो देश पहले इजरायल के समर्थन में थे, उन देशों ने गाजा में इजरायल के हवाई हमलों के बाद अपना रुख बदला और इजरायल पर दबाव बनाया. इसी दबाव ने इजरायल को युद्ध विराम पर सहमति देने के लिए मजबूर किया. जबकि हमास पर भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तरफ से दबाव बढ़ रहा था कि वो फिलिस्तीनी अरब लोगों की आड़ में इजरायल के नागरिकों पर रॉकेट दागने बन्द करे. यानी दोनों पक्षों पर दबाव था और इसीलिए 11 दिनों के बाद युद्ध विराम पर सहमति बन पाई. लेकिन ये युद्धविराम कब तक रहता है, ये एक बड़ा प्रश्न है.
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वर्ष 2014 में भी एक ऐसे प्रस्ताव पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी थी. उस समय इजरायल और हमास के बीच 7 हफ्तों तक युद्ध चला था और इसके बाद युद्ध विराम पर दोनों पक्ष तैयार हो गए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश ये प्रस्ताव ज्यादा दिन नहीं टिका और इस बार भी हो सकता है कि ये युद्ध विराम ज्यादा दिन ना चले. क्योंकि इजरायल कभी नहीं चाहेगा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये संदेश जाए कि उसे भारी दबाव की वजह से हमास के खिलाफ अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ी. जबकि हमास ऐसा ही चाहता है. इसीलिए ये प्रस्ताव युद्ध रुकने की 100 प्रतिशत गारंटी नहीं है.
इजरायल दावा कर रहा है कि जीत उसकी हुई है, जबकि हमास के लड़ाके गाजा पट्टी में जीत का जश्न मना रहे हैं. तो युद्ध में जीत किसकी हुई? आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे. आप कुछ आंकड़ों से समझ सकते हैं कि 11 दिनों तक चले इस संघर्ष में जीता कौन? इसे दोनों पक्षों को हुए नुकसान से समझ सकते हैं. पहले हमास को हुए नुकसान के बारे में आपको बताते हैं.
हमास का नियंत्रण गाजा पट्टी के इलाकों में है और इन इलाकों में इजरायल के हवाई हमलों में 243 लोग मारे गए है, जिनमें 66 बच्चे भी हैं. इसके अलावा इजरायल का दावा है कि उसने इजरायल के 250 आतंकवादियों को भी मार गिराया है, जिनमें 25 बड़े हैंडलर्स थे. इजरायल ने ये भी कहा है कि उसने अपने हवाई हमलों में हमास का टनल नेटवर्क तबाह कर दिया है. इन टनल्स का इस्तेमाल हमास इजरायल में आतंकवादियों को भेजने के लिए करता था. इसके अलावा इजरायल के हमलों से गाजा पट्टी में 17 हजार घरों को नुकसान पहुंचा. हमास के मीडिया ऑफिस ने खुद ये जानकारी दी है कि इन हमलों से गाजा पट्टी की फैक्ट्रियों में 40 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. गाजा पट्टी के पॉवर सेक्टर को 22 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. जबकि कारोबारियों के 27 मिलियन डॉलर इस युद्ध में डूब गए. इस हिसाब से देखें तो जिस गाजा पट्टी में हमास का नियंत्रण है, वहां इस युद्ध से लगभग 90 मिलियन डॉलर यानी 700 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए.
जबकि हमास इजरायल का ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाया. हमास के रॉकेट हमलों में इजरायल के 12 लोगों की मौत हुई, जबकि एक जवाब भी इसमें मारा गया है. अब दोनों पक्षों को हुए इस नुकसान में इतना बड़ा अंतर है तो फिर ये समझना भी जरूरी है कि हमास इसे अपनी जीत कैसे बता रहा है? और इसके लिए हमें इजरायल और हमास दोनों के उद्देश्य को समझना होगा. पहले बात करते हैं इजरायल की - इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने कहा था कि हमास से दो तरह से निपटा जा सकता है. पहला- हमास पर पूरी तरह से विजय प्राप्त करके या फिर हमास की लड़ाकू क्षमता को नष्ट करके.
इजरायल ने दावा किया है कि उसने इजरायल के लगभग 250 लड़ाकों को मार दिया है. उसके टनल नेटवर्क को बर्बाद कर दिया है और उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचाया है. नेतन्याहू का दावा है कि इजरायल ने हमास को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है. हालांकि इजरायल ने भले हमास को भारी नुकसान पहुंचाया लेकिन वो अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं हुआ. वो ना तो हमास पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर पाया और ना ही उसकी युद्ध क्षमता को पूरी तरह नष्ट कर पाया. और इसके भी कई कारण हैं- हमास के पास अब भी लगभग 50 हजार लड़ाके गाजा पट्टी में मौजूद हैं. हमास के पास हजारों रॉकेट का जखीरा है. हमास कल रात तक इजरायल पर रॉकेट दाग रहा था. यानी हमास ने दिखा दिया कि वो कमजोर है लेकिन वो फिर भी रॉकेट दाग कर इजरायल को परेशान कर सकता है.
वहीं हमास द्वारा युद्ध शुरू होने की दो प्रमुख वजह बताई गई थीं. इजरायल द्वारा पूर्वी यरूशलेम (Jerusalem) में फिलिस्तीनी नागरिकों के घर खाली कराना और अल अक्सा मस्जिद में रमजान के आखिरी शुक्रवार को हुई झड़प. जिस दिन झड़प हुई थी उसके अगले दिन से ही हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागने शुरू कर दिए थे. ये रॉकेट दाग कर हमास ने जता दिया कि वो ही फिलिस्तीनियों का असली मसीहा है. भले हमास के अधिकतर रॉकेट इजरायल ने हवा में नष्ट कर दिए, लेकिन इससे हमास ने इजरायल में रहने वाले फिलिस्तीनियों के मन में ये भरोसा जगा दिया है कि वो उनके लिए इजरायल से संघर्ष कर सकता है.
हमास ने ये भी दावा किया है कि इजरायल ने अल अक्सा मस्जिद और फिलिस्तीनियों के घर खाली ना कराने की दोनों मांगों को मान लिया है. हालांकि इजरायल ने इस दावे का खंडन किया है. सच्चाई ये है कि वो इजरायल को परेशान कर सकता है लेकिन पराजय नहीं. हालांकि आज जब इजरायल और हमास की बात हो रही है तो आपको ये भी जरूर समझना चाहिए कि आतंकवादी संगठन हमास के पास इतना पैसा आता कहां से है कि वो इजरायल से 11 दिन तक संघर्ष करता रहा.
हमास का सबसे बड़ा समर्थक है कतर, जो उसे 1.8 बिलियन डॉलर यानी 14 हजार करोड़ की मदद देता है. इसके अलावा हमास को ईरान और टर्की (Turkey) से भी मदद मिलती है. ईरान हर साल हमास को 70 मिलियन डॉलर यानी 550 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देता है. कहने के लिए ये पैसा फिलिस्तीनियों की आर्थिक मदद के लिए दिया जाता है लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा हमास हथियारों पर खर्च करता है. ईरान पैसों के अलावा हमास को रॉकेट भी देता है. इजरायल के पड़ोसी देश लेबनान में मौजूद आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह भी हमास को खतरनाक रॉकेट्स की सप्लाई करता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमास के पास अब भी 10 हजार रॉकेट्स मौजूद हैं. इसके अलावा हमास हर साल 27 मिलियन डॉलर यानी 200 करोड़ रुपये गाजा पट्टी में लोगों से टैक्स के रूप में वसूलता है.
इन पैसों से हमास दुनिया के सबसे अमीर आतंकवादी संगठनों में से एक बन गया है. Forbes के अनुसार, हमास इस दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आतंकवादी संगठन है. हमास फिलिस्तीनियों के नाम पर पूरी दुनिया से मदद के रूप में आर्थिक मदद जुटाता है लेकिन ये मदद कभी फिलिस्तीनियों तक नहीं पहुंचती. यानी जिनके लिए हमास ये लड़ाई लड़ रहा है, उन्हें कुछ नहीं मिलता. इसे आप कुछ और आंकड़ों से समझिए.
गाजा पट्टी में 20 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जिनमें से 56 प्रतिशत गरीब रेखा से नीचे हैं. गाजा पट्टी की 50 प्रतिशत आबादी बेरोजगार है. वहां सिर्फ 11 बड़े अस्पताल हैं. इसके अलावा गाजा पट्टी में लोगों को दिन में सिर्फ 12 घंटे ही बिजली की आपूर्ति होती है, और तमाम सुविधाओं के अभाव के साथ वो हर समय इस डर में भी रहते हैं कि कहीं इजरायल हवाई हमला ना कर दे या हमास का कोई रॉकेट उन पर गिर जाए. हमास ये दावा कर रहा है कि वो जीत गया है लेकिन हमास को ये देखना पड़ेगा कि सिर्फ रॉकेट दागने से जीत नहीं होती. आतंकवादी संगठन हमास के लिए आज ये समझना जरूरी है कि वो इजरायल को कभी हरा नहीं सकता लेकिन वो दुनिया से मिलने वाली इस आर्थिक मदद से फिलिस्तीनियों की जिन्दगी में बदलाव जरूर ला सकता है.
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