एक परिवार से एक व्यक्ति को देंगे टिकट- सीएम धामी
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत पर पलटवार करते हुए कहा कि हम किसी के घर में दो से तीन टिकट नहीं देंगे. हमारी पार्टी वंशवाद से दूर चलने वाली पार्टी है. हम राष्ट्रवाद को लेकर चलते हैं. वो अपने परिवार और अन्य लोगों के लिए पार्टी पर दवाब बना रहे थे. हमनें तय किया है कि एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट देंगे. उनका लंबा अनुभव है वो खुद तय करेंगे कि कहां जाना है.
उत्तराखंड सरकार नहीं दे पाई रोजगार- हरक सिंह रावत
हरक सिंह रावत ने कहा कि ऊधम सिंह नगर, चंपावत, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिला बनाया, उसके बाद कोई जिला नहीं बना उत्तराखंड में, क्या मैंने वो अपने लिए किया, उत्तराखंड के लिए किया. मैंने मायावती के साथ रहकर 7 तहसीलें बनाईं. हम पिछले 5 साल में नौजवानों को रोजगार नहीं दे पाए. मैं लड़ता रहा कि सरकारी कर्मचारियों को सम्मानजनक मानदेय मिले.
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नेताओं के रोजगार के लिए नहीं बना उत्तराखंड- हरक सिंह रावत
बीजेपी से बर्खास्त हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड नेताओं को रोजगार देने के लिए नहीं बनाया गया है. ऐसा लग रहा है कि 14-15 आईएएस मिलकर उत्तराखंड को चला रहे हैं. राज्य सरकार सीनियर आईएएस अफसर पर महीने का 10 लाख रुपये खर्च करती है लेकिन तुम दिल पर हाथ रखकर कहो कि क्या 100 रुपये का काम भी करते हो? उनके पास कोई काम नहीं है.
अमित शाह से मांगा था मिलने का समय- हरक सिंह रावत
हरक सिंह रावत ने आगे कहा कि जो लोग देश चला रहे हैं उनसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है? मैं जिस दिन मुंह खोलूंगा देश की राजनीति में बहुत बड़ा विस्फोट हो जाएगा. मैंने अमित शाह से वादा किया था कि पार्टी को छोड़कर नहीं जाऊंगा लेकिन कल मेरा बहुत भार हल्का हुआ. मैं अगर किसी मजदूर से भी वादा करता हूं तो सारी राजनीति वो वादा पूरा करने के लिए लगा देता हूं. सोशल मीडिया पर चल रहे फर्जी समाचार को उन्होंने सच माना और अब अपना मुंह छिपाने के लिए कुछ भी कह रहे हैं. मैंने अमित शाह से मिलने का समय मांगा था. आज मैं अमित शाह से मिलने वाला था.
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उन्होंने कहा कि मैंने तीन-चार दिन पहले बस इतना कहा था कि वो लड़की बहुत अच्छा काम कर रही है. मैं चुनाव लड़ना नहीं चाहता हूं. आप एक बार विचार कर लो. फिर वो बोले आपने ठीक कहा है कि मैं इस पर अमित शाह और नड्डा से बात करूंगा.
हरक सिंह रावत क्यों थे नाराज?
सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह रावत टिकट बांटने को लेकर नाराज थे. वो अपनी बहू के लिए लैंसडौन से टिकट मांग रहे थे और खुद भी कोटद्वार सीट को छोड़कर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे.