Exit Polls: गुजरात, हिमाचल और MCD चुनाव का एग्जिट पोल, जानें BJP, कांग्रेस और AAP का क्या हाल?
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Exit Polls: गुजरात, हिमाचल और MCD चुनाव का एग्जिट पोल, जानें BJP, कांग्रेस और AAP का क्या हाल?

Zee Media-BARC Exit Poll: एग्ज़िट पोल के अनुसार बीजेपी को गुजरात में बड़ी जीत के साथ वापसी कर सकती है, जबकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के एग्ज़िट पोल में भी बीजेपी की वापसी का अनुमान है. एमसीडी चुनाव के एग्ज़िट पोल में आप को बड़ा फायदा हो रहा है.

Exit Polls: गुजरात, हिमाचल और MCD चुनाव का एग्जिट पोल, जानें BJP, कांग्रेस और AAP का क्या हाल?

Gujarat, Himachal Pradesh and MCD Election Exit poll: गुजरात को अगर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत की प्रयोगशाला कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि इस राज्य में बीजेपी बीते 27 वर्षों से लगातार चुनाव जीत रही है और 24 वर्षों से ज्यादा समय से लगातार बीजेपी का यहां शासन है. गुजरात चुनाव को लेकर एग्जिट पोल (Gujarat Election Exit Polls) के जो आंकड़े आ रहे हैं और अगर ये नतीजों में बदलता है तो ये तय है कि आने वाले दिनों में देश की राजनीति पर इसका काफी ज्यादा असर देखने को मिलेगा.

बीजेपी फिर से जीत रही है गुजरात में चुनाव

एग्जिट पोल के जो आंकड़े हैं उससे तो यही लगता है कि बीजेपी फिर से गुजरात में चुनाव जीत रही है और बीजेपी इस बार 2017 से ज्यादा सीटें जीत सकती है. इस एग्जिट पोल को BARC ने किया है और इसके मुताबिक, गुजरात में बीजेपी 110 से 125 सीटें जीत सकती हैं. 2017 में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं. यानी एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी कम से कम 11 सीटों का फायदा हो रहा है. अब कांग्रेस के गुजरात में प्रदर्शन की बात करें तो एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस 45 से 60 सीटें जीत सकती है. 2017 में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं. यानी इस बार 2017 के मुकाबले कांग्रेस को कम से कम 17 सीटों का नुकसान हो सकता है. एग्जिट पोल के मुताबिक नुकसान का ये आंकड़ा 32 सीटों तक भी पहुंच सकता है.

आम आदमी पार्टी को गुजरात चुनाव में 1 से 5 सीटें जीतने की संभावना है. 2017 के मुकाबले ये आम आदमी पार्टी के लिए ये बड़ी बात हैं, क्योंकि 2017 में आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव में 29 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. 2017 में आम आदमी पार्टी को केवल 0.10  प्रतिशत वोट मिला था. एग्जिट पोल के मुताबिक अन्य के हिस्से में शून्य से लेकर 4 सीटें आने की संभावना है. यानी एग्जिट पोल मुताबिक गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं रहा और बीजेपी क्लीन स्वीप कर रही है.

गुजरात में किस जाति ने किस पार्टी पर जताया भरोसा?

सीटों के बाद अगर बात करें कि किस जाति ने किस पार्टी पर भरोसा सबसे ज्यादा जताया है तो यहां सीधे तौर बीजेपी ही बाजी मारती दिख रही है. एग्जिट पोल के मुताबिक, 49 प्रतिशत सवर्ण हिंदू ने बीजेपी को तो 41 सवर्ण हिंदू ने कांग्रेस को वोट दिया है. जबकि, आप और अन्य पर 10 प्रतिशत सवर्ण हिंदू ने भरोसा जताया है. एग्जिट पोल के मुताबिक 48 प्रतिशत OBC ने बीजेपी को, 43 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट किया है.

गुजरात के राजनीति पटेल की भूमिका बेहद अहम है और यहां पटेल कडवा और लेउवा में बंटे हैं. एग्जिट पटेल में 58 प्रतिशत कडवा पटेल ने बीजेपी को वोट दिया है, जबकि 34 प्रतिशत कडवा पटेल ने कांग्रेस पर भरोसा जताया है. वहीं, 53 प्रतिशत लेउवा पटेल ने बीजेपी पर, तो 37 प्रतिशत ने कांग्रेस पर भरोसा जताया है. एग्जिट पोल के मुताबिक आम आदमी पार्टी को ज्यादा पटेल वोट नहीं मिला है. लेउवा पटेल ज्यादातर सौराष्ट्र-कच्छ इलाके में रहते हैं, जबकि कडवा पटेल समुदाय के लोग उत्तर गुजरात के मेहसाणा, अहमदाबाद, कड़ी-कलोल, विसनगर इलाके में रहते हैं.

गुजरात के पिछड़ों ने भी बीजेपी पर ही भरोसा जताया है. एग्जिट पोल के मुताबिक 48 प्रतिशत दलित ने बीजेपी को, तो 41 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट किया है. आम आदमी पार्टी पर 7 प्रतिशत दलित ने भरोसा जताया है. वहीं, आदिवासी भी गुजरात में बीजेपी को ही पसंद करते हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक 49 प्रतिशत आदिवासी और बीजेपी को वोट किया, जबकि कांग्रेस पर 42 प्रतिशत आदिवासी ने भरोसा जताया है. अगर मुस्लिमों की बात करें तो एग्जिट पोल के मुताबिक सबसे ज्यादा 67 प्रतिशत मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट दिया, जबकि आम आदमी पर 19 प्रतिशत मुस्लिमों ने भरोसा जताया है. एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को 11 प्रतिशत मुस्लिमों का वोट मिलने की संभावना है.

गुजरात में चुनाव में कौन से मुद्दों ने दिखाया असर?

कोई भी चुनाव बिना मुद्दे के नहीं हो सकता है और BARC ने मुद्दों के लिहाज से भी एग्जिट पोल किया. एग्जिट पोल के मुताबिक, गुजरात चुनाव में बेरोजगारी एक मुद्दा था और 9 प्रतिशत लोगों ने इसके आधार पर वोट किया, जबकि 11 प्रतिशत लोगों के लिए महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा था. गुजरात चुनाव में ध्रुवीकरण बड़ा मुद्दा नहीं बना और इस मुद्दे का असर केवल 3 प्रतिशत रहा. अक्सर बीजेपी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगता रहा है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ होता दिख रहा है. विधायक और राज्य सरकार के कामकाज को भी लोगों ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी. एग्जिट पोल के मुताबिक, ये मुद्दा केवल 5 प्रतिशत और 6 प्रतिशत रहा.

अब जो आंकड़ा बताने जा रहे हैं वो मुद्दों के लिहाज से बेहद दिलचस्प है. एग्जिट पोल के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन या विरोध के नाम पर 34 प्रतिशत वोट पड़े. वहीं केंद्र-राज्य सरकार की योजना का लाभ 18 प्रतिशत लोगों के लिए मुद्दा रहा. इन मुद्दों का विश्लेषण करें तो ये साफ होता है कि गुजरात चुनाव के केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी ही रहे. 34 और 18 प्रतिशत को जोड़ ले तो ये 52 प्रतिशत होता है यानी गुजरात का चुनाव पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही हुआ. ऐसे में अगर एग्जिट पोल के आंकड़े नतीजों में बदलते हैं तो सीधे तौर पर इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही जाएगा.

हिमाचल प्रदेश में भी सरकार बनाती दिख रही है बीजेपी

गुजरात के बाद अब बात करते हैं हिमाचल प्रदेश की. इस एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 47 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 41 प्रतिशत वोट मिले हैं. जोर-शोर से इस चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी को केवल 2 प्रतिशत वोट मिले हैं और अन्य के हिस्से में 10 प्रतिशत वोट शेयर आए हैं. बीजेपी फिर से हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाती हुई दिख रही है. हिमाचल प्रदेश में 68 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 35 सीटें चाहिए. एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी इस चुनाव में 35-40 सीटें जीत सकती हैं, जबकि कांग्रेस के 20-25 सीटें जीतने की संभावना है. वहीं, आम आदमी पार्टी के शून्य से लेकर 3 सीटें जीतने की संभावना है. अन्य को 1 से 5 सीटें मिल सकती है.

साल 1990 के बाद पहली बार ऐसा होगा कि एक ही पार्टी लगातार 2 बार चुनाव जीतने में सफल रही है. फिलहाल हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले 1980 से लेकर 1990 तक हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी के मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कामकाज को लेकर 77 प्रतिशत लोगों की राय अच्छी है. इनमें 35 प्रतिशत लोग उनके कामकाज से बेहद खुश है. हालांकि, 20 प्रतिशत लोग उनके कामकाज को बेहद खराब भी मानते हैं. दिसंबर 2017 में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी थीं. बीते 5 वर्षों में बीजेपी के कामकाज से 66 प्रतिशत लोग खुश है. 28 प्रतिशत बीजेपी के कार्यकाल को बहुत बेहतर मानते हैं जबकि 30 प्रतिशत बेहद खराब मानते हैं. हालांकि,  इन आंकड़ों से साफ होता हैं बीजेपी को लेकर हिमाचल में एंटी इनकंबेंसी (Anti-incumbency) नहीं है.

हिमाचल चुनाव में पुरानी पेंशन स्कीम था बड़ा मुद्दा

इस बार हिमाचल प्रदेश चुनाव में पुरानी पेंशन स्कीम बड़ा मुद्दा था और कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी सरकार को घेर रही थी. एग्जिट पोल के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के 55 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस को चुनावी फायदा होने की संभावना है, हालांकि 42 प्रतिशत लोग मानते हैं कि कांग्रेस को इससे फायदा नहीं होगा.
 
पुरानी पेंशन स्कीम के अलावा हिमाचल प्रदेश में कई और मुद्दे अहम रहे जिसने मतदान को प्रभावित किया है. एग्जिट पोल में 32 प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्होंने केंद्र-राज्य की योजनाओं के आधार पर वोट दिया, जबकि 15 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा जताते हुए वोट डालने की बात कही है. यानी एग्जिट पोल  के मुताबिक इन मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में वोट डाले. वहीं 12 प्रतिशत लोगों को लिए पुरानी पेंशन स्कीम मतदान करने का एक अहम मुद्दा था.  बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी इस चुनाव में बेहद अहम रहे.

MCD चुनाव में किसने किसे दिया वोट?

BARC के एक्ज़िट पोल के अनुसार, बीजेपी को कुल 39 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया है, जिसमें बीजेपी को 42 प्रतिशत वोट पुरुषों ने जबकि 32 प्रतिशत वोट महिलाओं ने दिए हैं. इसी तरह आम आदमी पार्टी को कुल 46 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है, जिसमें उसे 44 प्रतिशत वोट पुरुषों के, जबकि 50 प्रतिशत वोट महिलाओं के मिल सकते हैं. यानी BARC के एक्ज़िट पोल के अनुसार महिलाओं ने आम पार्टी के लिए जमकर वोटिंग की है.

MCD चुनाव में कूड़ा और साफ-सफाई सबसे बड़ा मुद्दा

एक्ज़िट पोल के अनुसार. दिल्ली में कूड़ा और साफ-सफाई का मुद्दा पहले पायदान पर रहा. करीब 50 प्रतिशत पुरुषों और 43 फीसदी महिलाओं के लिए ये सबसे बड़ा मुद्दा रहा. इसके बाद दूसरे नंबर पर पॉल्यूशन का नंबर आता है, जहां 19 प्रतिशत पुरुषों और 14 फीसदी महिलाओं ने इसे बड़ा मुद्दा माना. दिल्ली में शराब नीति पर भी जमकर सियासत हुई है. शराब घोटाले को लेकर दिल्ली सरकार पर कई आरोप भी लगाए गए, लेकिन  BARC के  एक्जिट पोल के अनुसार दिल्ली के 37 प्रतिशत वोटर मानते हैं कि शराब नीति में घोटाला हुआ, जबकि 52 प्रतिशत का ये मानना है कि दिल्ली की शराब नीति में कोई घोटाला नहीं हुआ.

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