कैथल के इस स्कूल में न बच्चे पढ़ पा रहे हैं और न छोड़ पा रहे हैं, ऐसी क्या है मजबूरी?
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कैथल के इस स्कूल में न बच्चे पढ़ पा रहे हैं और न छोड़ पा रहे हैं, ऐसी क्या है मजबूरी?

गांव बुच्ची में एक प्राइमरी स्कूल में 17 महीने से शिक्षाल ही नहीं हैं, जो कि हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है. टीचर की कमी के बारे में अधिकारियों से लेकर विधायक तक को पता है, लेकिन समस्या का हल नहीं निकल पाया है.

कैथल के इस स्कूल में न बच्चे पढ़ पा रहे हैं और न छोड़ पा रहे हैं, ऐसी क्या है मजबूरी?

विपिन शर्मा/कैथल: हरियाणा में कैथल की पूंडरी विधानसभा के गांव बुच्ची में बिना अध्यापकों वाला एक प्राइमरी स्कूल चल रहा है. कारण, पिछले 17 महीनों से इस स्कूल में कोई अध्यापक नियुक्त नहीं है. यहां बच्चे हर रोज घर से पढ़ने के लिए तो आते हैं, लेकिन शिक्षा के इस मंदिर में शिक्षक की कमी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सामने रोड़ा बनकर सामने आ जाती है. आलम यह है कि स्कूल में पहुंचे बच्चों को साथ लगते मिडिल स्कूल के अध्यापक अपने खाली समय में इन्हें पढ़ाने आ जाते हैं. 

यह है स्कूल का हाल
सरकार की शिक्षा नीति चाहे कितनी भी अच्छी हो लेकिन कैथल जिले का यह सरकारी स्कूल बिल्कुल खाली पड़ा है, क्योंकि 17 महीने पहले यहां मौजूद टीचर अपना तबादला कराकर चले गए, जिसके बाद सरकार ने यहां किसी टीचर की ड्यूटी ही नहीं लगाई. अब इस स्कूल में न तो कोई टीचर है, न कोई क्लर्क है और न ही कोई स्कूल मुखिया. राजकीय प्राथमिक पाठशाला बुच्ची में कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों की संख्या 25 है, लेकिन यहां इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी टीचर नहीं है. ऐसे में अभिभावक बच्चों का स्कूल से नाम कटवाने को मजबूर हैं. अभिभावक स्कूल छोडने के प्रमाण पत्र लेने के लिए स्कूल आने लगे हैं.

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पहले के मुकाबले कम हुए स्टूडेंट्स
अगर पिछले शिक्षा सत्र की बात की जाए तो यहां वर्ष 2021-22 में 34 बच्चे थे. जबकि साल 2019-20 में पढ़ने  वाले छात्रों की संख्या 36 थी और अब यह संख्या 25 हो गई है. ग्राउंड रिपोर्ट की बात की जाए तो स्कूल में इस सत्र में कोई नया दाखिला नहीं हुआ है. आलम यह है कि पुराने बच्चे स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं.

'हम जारी नहीं कर सकते SLC'

मिडिल स्कूल के प्रिंसिपल राजकुमार का कहना है कि 17 महीनों से यहां अध्यापक नहीं है. चूंकि स्कूल की बिल्डिंग एक ही है, इसलिए हम अपने स्कूल के कुछ टीचरों को उनके खाली समय में प्राइमरी स्कूल में भेज देते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्राइमरी स्कूल के जो बच्चे पास हो गए हैं और स्कूल छोड़ना चाहते हैं, हम उन्हें स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) नहीं दे सकते, क्योंकि यह सर्टिफिकेट क्लास टीचर की आईडी से जारी किया जाता है. कोई दूसरा क्लास टीचर इसे जारी नहीं कर सकता. इस हालात में बच्चों को भी स्कूल छोड़ने में दिक्कत आ रही है. 

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समस्या से निपटने का बताया रास्ता

प्रिंसिपल ने कहा कि ऐसे में सरकार या तो प्राइमरी स्कूल में टीचर नियुक्त करे या हमें इस बात की अथॉरिटी दे कि हम बच्चों को स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट जारी कर सकें, ताकि बच्चे कहीं और दाखिला ले सकें. इस विषय को लेकर हम शिक्षा विभाग को पत्र लिख चुके हैं और फोन के माध्यम से भी बता चुके हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है. 

विधायक भी निकाल पाए समस्या का हल 

ऐसा नहीं है कि स्कूल कि इस स्थिति के बारे में किसी को मालूम नहीं है. ग्रामीण अपनी इस समस्या को जिला शिक्षा अधिकारी अनिल शर्मा और विधायक रणधीर गोलन के समक्ष रख चुके हैं. लेकिन शायद प्रशासन और सरकार को इन बच्चों की फिक्र नहीं है. स्कूल प्रबंधक कमेटी भी स्कूल में टीचरों की कमी बताते हुए उन्हें नियुक्त करने की मांग कर चुकी है, लेकिन पिछले 17 महीनों से समस्या जस की तस बनी हुई है.

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