1857 की क्रान्ति की लड़ाई मेरठ से नहीं अंबाला से हुई थी शुरू, मंत्री विज ने सुनाई गौरवगाथा
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1857 की क्रान्ति की लड़ाई मेरठ से नहीं अंबाला से हुई थी शुरू, मंत्री विज ने सुनाई गौरवगाथा

विज ने इस दौरान कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इतिहास से छेड़ छाड़ करने वाली कांग्रेस नहीं चाहती थी कि देशवासियों को पता चले कि उनसे पहले भी देशवासियों में आजाद होने का जज्बा था.

1857 की क्रान्ति की लड़ाई मेरठ से नहीं अंबाला से हुई थी शुरू, मंत्री विज ने सुनाई गौरवगाथा

अमन कपूर/अंबाला: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज बताया अंबाला में 450 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे शहीद स्मारक के पीछे का बड़ा राज, विज ने सुनाई उन 10 घंटों की कहानी जिससे साबित हुआ कि 1857 की क्रान्ति की लड़ाई मेरठ से नहीं अंबाला से शुरू हुई. विज ने इस दौरान कांग्रेस पर भी बड़े आरोप लगाए और कहा कि इतिहास से छेड़ छाड़ करने वाली कांग्रेस नहीं चाहती थी कि देशवासियों को पता चले कि उनसे पहले भी देशवासियों में आजाद होने का जज्बा था.

इसी के साथ भावुक हुए विज ने एक किस्सा भी सुनाया जब आजदी के लिए दिए बलिदान की गाथा देख वो रो पड़े और उनके साथ वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख में आंसू था. हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज एक निजी कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन करने पहुंचे थे. जहां पर विज ने बताया कि कैसे अंबाला में आजादी की लड़ाई 10 घंटे पहले शुरू हुई थी. कुछ तथ्य ऐसे मिले है जिनसे ये साबित होता है कि 10 मई, 1857 को 10 घंटे पहले अंबाला से बगावत शुरू हो गई थी.

उन्होंने कहा कि ये तथ्य देशवासियों से छुपाए गए, क्योंकि जब से देश आजाद हुआ तब से कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही और कांग्रेस पार्टी ने देश को यही बताया और पढाया कि देश की आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी थी, लेकिन आजादी की लड़ाई कांग्रेस के जन्म से 28 साल पहले ही हो चुकी थी. अग्रेजों को सबक सिखाने के लिए 26 मार्च, 1857 से उनके घरों को उनके दफ्तरों को आग लगानी शुरू कर दी थी जिसके पुख्ता प्रमाण है.

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विज ने बताया कि अंबाला में 450 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे शहीद स्मारक के पीछे का राज है उन 10 घंटों की कहानी सुनाई जिससे साबित हुआ कि 1857 की क्रान्ति की लड़ाई मेरठ से नहीं अंबाला से शुरू हुई. क्रांतिकारियों ने 10 मई को योजना बनाई थी क्योंकि इस दिन रविवार था और सभी अंग्रेज चर्च में इकठ्ठे होते है लेकिन इसकी सूचना सिपाही ने तत्कालीन डीसी को दे दी जिसने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा और उसकी पत्र की प्रति भी है.

इस दौरान विज ने कहा कि इस पुस्तक को शहीद स्मारक में शामिल किया जाएगा. ताकि लोगों को भी पता चल सके कि सच्चाई क्या है. क्योंकि कांग्रेस ने हमेशा से ही सच्चाई को छुपाया है. कांग्रेस नहीं चाहती कि कांग्रेस से पहले भी देशवासियों के अंदर आजाद होने का जज्बा था. विज ने इस दौरान कहा कि अंबाला के लोगों में भी क्रांति है. विज ने आजादी की लड़ाई किस्सा भी सुनाया जहां पर शहीदों के ऊपर एक नाटकीय का मंचन किया गया था.

उन्होंने कहा कि जहां पर ये बताया गया था कि शहीदों के ऊपर एक नाटकीय का मंचन किया गया जहां विज नाटकीय का मंचन देखकर खुद रो पड़े और वहां हर व्यक्ति के आखों में आंसू थे.

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