शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर EC की रोक बरकरार, दिल्ली HC का दखल से इंकार
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शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर EC की रोक बरकरार, दिल्ली HC का दखल से इंकार

चुनाव आयोग के अंतरिम आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने आयोग की कार्रवाई को सही बताते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था. 

शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर EC की रोक बरकरार, दिल्ली HC का दखल से इंकार

शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग की ओर से लगाई गई रोक को दिल्ली हाई कोर्ट ने हटाने से इंकार कर दिया है. दरअसल, उद्धव ठाकरे ने इसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग नियमों के मुताबिक इस मसले में कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. कोर्ट के दखल का औचित्य नहीं बनता.

SC से चुनाव आयोग को ग्रीन सिग्नल
उद्धव और एकनाथ शिंदे दोनों ही गुटों ने शिवसेना पार्टी के नाम और  इसके तीर धनुष वाले चुनाव चिन्ह पर अपना दावा पेश किया था. पहले शिंदे गुट ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए चुनाव आयोग से पार्टी का चुनाव चिन्ह खुद को आवंटित किए जाने की मांग की थी. 

उद्धव ठाकरे ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर चुनाव आयोग की  कार्रवाई पर तब तक रोक लगाने की मांग की थी, जब तक शिंदे ग्रुप के विधायकों की अयोग्यता पर कोई फैसला नहीं आ जाता. हालांकि, सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि चुनाव आयोग पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावेदरी को लेकर अपनी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है.

आयोग ने पार्टी का चुनाव चिन्ह किया 'फ्रीज'

8 अक्टूबर को दिए अपने अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों द्वारा शिवसेना पार्टी के नाम के इस्तेमाल और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल पर तब तक रोक लगा दी थी. आयोग का कहना था कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि किस धड़े का पार्टी पर दावा है, तब तक दोनों में से कोई भी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह जा इस्तेमाल नहीं कर सकता. आयोग ने महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव के मद्देनजर दोनों गुटों को वैकल्पिक नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित किए थे.

उद्धव ठाकरे की HC में अर्जी
चुनाव आयोग के अंतरिम आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने आयोग की कार्रवाई को सही बताते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे ने डिवीजन बेंच के सामने अर्जी लगाई थी.

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