हरियाणा की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के मन में सवाल उठना लाजमी है कि जेजेपी ने जिस मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ प्रचार करके महज 10 महीने में विधानसभा की 10 सीटें जीती हैं, भला किसके कहने पर दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने मनोहर लाल खट्टर से दोस्ती कर ली. आइए इन तमाम सवालों और पर्दे के पीछे की राजनीति की पूरी कहानी जानते हैं.
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नई दिल्ली: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जननायक जनता पार्टी (JJP) मिलकर सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह (Amit shah) और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की हुई बैठक के बाद इस गठबंधन पर मुहर लगी है. यूं तो बीजेपी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बहुमत के आंकड़े तक पहुंच रही थी, लेकिन सरकार को स्थायित्व देने के लिए जेजेपी के साथ गठबंधन किया गया है. हरियाणा की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के मन में सवाल उठना लाजमी है कि जेजेपी ने जिस मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ प्रचार करके महज 10 महीने में विधानसभा की 10 सीटें जीती हैं, भला वे उनके साथ सरकार में कैसे शामिल होने को तैयार हो गए. किसके कहने पर दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने मनोहर लाल खट्टर से दोस्ती कर ली. आइए इन तमाम सवालों और पर्दे के पीछे की राजनीति की पूरी कहानी जानते हैं.
BJP के इस दूत ने कराई बुजुर्ग खट्टर की यंग दुष्यंत से दोस्ती
बीजेपी+जेजेपी गठबंधन कराने में बीजेपी के युवा और प्रतिभाशाली सांसद अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने अहम भूमिका निभाई. माना जाता है कि दोस्ती हमेशा बराबर के उम्र वालों में अच्छी बनती है. शायद इसी बात का ख्याल रखते हुए बीजेपी के हाईकमान ने जेजेपी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) को गठबंधन के लिए राजी करने की जिम्मेदारी 45 वर्षीय अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) को सौंपी.
दोस्ती का स्पोर्ट्स कनेक्शन
बीजेपी में अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) की छवि बड़े अच्छे मैनेजर के रूप में मानी जाती है. अनुराग बीसीसीआई में भी अहम पद संभाल चुके हैं. साथ ही वह विभिन्न पार्टियों के युवा नेताओं के साथ खासा मेलजोल रखते हैं. हरियाणा जेजेपी के प्रमुख दुष्यंत टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया का चेयरमैन भी हैं. अनुराग और उनके बीच की इस साझी दोस्ती का परिणाम दोनों दलों का एक-दूसरे के नजदीक आना रहा. दोनों युवा नेताओं की दोस्ती का परिणाम हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के बीच गठबंधन के रूप में सामने आया.
सूत्र बताते हैं कि दुष्यंत जब कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) से मेलजोल हुआ था. इसी दोस्ती के सहारे अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) शुक्रवार शाम को दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) के आवास पर पहुंचे. अनुराग ने दुष्यंत को विधानसभा चुनाव में जीत की बधाई दी. साथ ही बीजेपी संग सरकार बनाने के लिए राजी कर लिया. थोड़ी देर बातचीत के बाद अनुराग खुद दुष्यंत को गाड़ी में लेकर अमित शाह (Amit shah) के घर पर पहुंचे. यहीं सरकार की रूपरेखा और गठबंधन की पूरी डील फाइनल हुई. बातचीत के बाद 31 साल के दुष्यंत 65 वर्षीय मनोहर लाल खट्टर के साथ सरकार बनाने को राजी हो गए.
#WATCH Delhi: Minister of State (MoS) for Finance and BJP leader Anurag Thakur & Jannayak Janata Party (JJP) Dushyant Chautala arrive at the residence of Union Home Minister and BJP President Amit Shah. #HaryanaAssemblyPolls pic.twitter.com/VqiRRxgYO8
— ANI (@ANI) October 25, 2019
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी और जेजेपी का यह गठबंधन न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत हुआ है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit shah) ने प्रेस कांफ्रेंस में स्पष्ट कर दिया कि सरकार में बीजेपी के मुख्यमंत्री और जेजेपी के उपमुख्यमंत्री होंगे. बताया जा रहा है कि जेजेपी की ओर से चुनाव प्रचार में किए गए कई ज्यादातर वादों को बीजेपी पूरा करने को तैयार हो गई है. साथ ही जेजेपी से कहा गया है कि अगले साल जनवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान वह बीजेपी को जाट वोटों का फायदा कराने में मदद करेंगे. माना जाता है कि दिल्ली में करीब 28 लाख जाट वोटर हैं.
क्यों खास है बीजेपी-जेजेपी गठबंधन
बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन बेहद खास माना जा रहा है. दरअसल, जेजेपी जाट जाति की राजनीति करती है वहीं बीजेपी पिछले दो चुनावों से गैर जाट समीकरण का फॉर्मूला आजमाती रही है. 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रचार लगातार इस बात पर फोकस रहा कि जाट बनाम 33 गैर जाट जाति वोटर का समीकरण. इसी वजह से मनोहर लाल खट्टर सरकार को पहले कार्यकाल में जाटों के दो बड़े आंदोलन का भी सामना करना पड़ा. जेजेपी का खट्टर सरकार को सपोर्ट करने का मतलब है कि बीजेपी अब जाटों से नजदीकी बढ़ाने के मूड में है.
मालूम हो कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा 40 सीटें आई हैं. बहुमत के लिए 46 विधायकों का समर्थन चाहिए. गुरुवार देर शाम तक ही बीजेपी को करीब 7 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल चुका था, लेकिन स्थाई सरकार बनाने के उद्देश्य से जेजेपी को साथ लाने की बात हो रही थी. कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं. उन्होंने सरकार बनाने के लिए जेजेपी के 10 विधायकों के अलावा पांच निर्दलीय विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस के पास हरियाणा में दीपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे युवा नेता हैं, लेकिन वह आगे बढ़कर दुष्यंत को अपने साथ लाने में नाकाम साबित हुए हैं. 41 वर्षीय दीपेंद्र हुड्डा की भी पढ़ाई विदेश में हुई है.